नई दिल्ली: शनिवार रात करीब 11 बजे और मध्य दिल्ली में आईपी एस्टेट फ्लाईओवर पर प्रवासी श्रमिकों और बेघरों का एक व्यवस्थित जमावड़ा है वहां किसी भी प्रकार की आराजकता नहीं ही जैसा कि उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे शहर के कुछ हिस्सों में 21 दिनों के लॉक डाउन लागू होने के बाद से अराजकता देखने को मिली है.
लोग कतार में इंतजार करते हैं और खाना दिल्ली पुलिस के कर्मियों के द्वारा एल्यूमीनियम के पैकेजों में मिलना शुरू हो जाता है.
देश भर के पुलिसकर्मियों ने जिस तरह से लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों को संभाला है, पुलिस को बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा है, वीडियो में पुलिस के कार्य को देखा जा सकता है. लेकिन कैमरों से दूर दिल्ली पुलिस ने लोगों को इस संकट की घड़ी में मदद करने के लिए बहुत कुछ किया है.
उदाहरण के लिए दिल्ली पुलिस ने पूरे राजधानी के जिलों में पकाए गए भोजन के संग्रह और वितरण का प्रबंधन करने के लिए कर्मियों को नामित किया है. पुलिस ने भोजन की आवश्यकता वाले लोगों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर (011-23469526) भी शुरू किया है ताकि नामित कर्मी अपने अनुसार समन्वय कर सकें.
पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने दिप्रिंट को बताया कि ‘खाद्य वितरण नेटवर्क कई गैर-सरकारी संगठनों, आरडब्ल्यूए और मदद के इच्छुक व्यक्तियों के साथ टाई-अप किए गए हैं. उन इलाकों में जहां प्रवासी मजदूरों और वंचित लोगों का निवास है. इस सुविधा ने 250 से अधिक स्थानों पर भोजन की आपूर्ति को सक्षम किया है, जो हर दिन हजारों लोगों को खिलते हैं.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘यह वह भोजन नहीं है जो हमें पुलिस बल की रसोई से मिल रहा है. हम लोगों के साथ समन्वय करके भोजन इकट्ठा कर रहे हैं. हमें लगता है कि लोगों को खाना खिलाना कम से कम इस समय हम कर सकते हैं.’
डीसीपी नॉर्थ दिल्ली मोनिका भारद्वाज ने दिप्रिंट को बताया कि दिल्ली पुलिस 17,000 से अधिक खाद्य पैकेटों को वितरित कर रही है.
भारद्वाज ने कहा, ‘हमने अब समय और स्थान निर्धारित कर दिया है, जहां भोजन हर दिन वितरित किया जाएगा और सभी को बताया है कि उन्हें उस समय निर्धारित स्थान पर इकट्ठा होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हमने बेघरों को आश्रयों के अंदर रहने को कहा है और उन ठिकानों का फैसला किया है जहां भोजन इन आश्रयों के आस-पास वितरित किया जाएगा. यह सुनिश्चित करना है कि इन लोगों को भोजन के लिए अधिक यात्रा नहीं करनी पड़े.’
प्रवासी श्रमिकों को घर नहीं जाने के लिए राजी करना
भोजन के वितरण के अलावा पुलिस प्रवासी श्रमिकों से यह भी आग्रह कर रही है कि वे जहां रहे हैं, वहीं रहें. उन्होंने अब यूपी और बिहार में अपने गांवों में वापस जाने के लिए पैदल यात्रा शुरू करने के लिए मिनी वैन की व्यवस्था शुरू कर दी है.
रविवार को सरकार ने सभी राज्य सीमाओं को सील कर दिया, जिससे हजारों प्रवासियों और दैनिक वेतन पाने वाले मजदूरों को रोका गया, जो आनंद विहार बस टर्मिनल पर अपने-अपने गांवों में वापस जाने से एकत्र हुए थे. उन्हें दिल्ली में रहने के लिए लौटने में मदद करने के लिए पुलिस ने अब बसों को तैनात किया है.
श्रीवास्तव ने कहा हम नहीं चाहते कि लोग इस समय प्रवास करें. यह वायरस के फैलाने और इसे सीमित न करने जैसा है. जो लोग प्रवास करने की कोशिश कर रहे हैं वे अपना पैसा कमाने के लिए दैनिक श्रम पर निर्भर हैं. लॉकडाउन के साथ, उनके पास करने करने के लिए कोई काम नहीं है, इसलिए कोई पैसा नहीं है और कोई भोजन नहीं है. हम बस हमारी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हम जो भी कर सकें, उनकी मदद करें.
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