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Saturday, 4 May, 2024
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महीनों से वेतन नहीं, दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों का लॉकडाउन में संघर्ष और बढ़ा

इनमें फ्रंटलाइन स्टाफ जैसे डॉक्टर, नर्स, हेल्थकेयर कार्यकर्ता, स्वच्छता कार्यकर्ता, पैरा-मेडिकल स्टाफ, इंजीनियरिंग स्टाफ और शिक्षक शामिल हैं.

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नई दिल्ली: दिल्ली के नगर निगम फंड की कमी से जूझ रहे हैं. उन्होंने अपने कर्मचारियों को भुगतान नहीं किया है, जिनमें से अधिकांश कोविड-19 लड़ाई में महीनों से मोर्चे पर हैं.

नॉर्थ, साउथ और ईस्ट एमसीडी में कर्मचारियों के वेतन में महीनों से देरी हो रही है. इनमें डॉक्टर, नर्स, हेल्थकेयर वर्कर, सैनिटेशन वर्कर्स, पैरा-मेडिकल स्टाफ, इंजीनियरिंग स्टाफ और शिक्षक शामिल हैं.

अकेले उत्तरी दिल्ली एमसीडी में लगभग 58,000 कर्मचारियों और 24,000 पेंशनरों को इस साल जनवरी से तनख्वाह और पेंशन नहीं मिली है. फरवरी में केवल सफाई कर्मचारियों को भुगतान किया गया था, लेकिन तब से उन्हें भी अपना वेतन नहीं मिला है.

इस मुद्दे को अब दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता भाजपा के रामवीर सिंह बिधूड़ी ने उठाया है, जिन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है, उन्हें पहली तिमाही 2020-2021 वित्तीय वर्ष के लिए अनुदान सहायता और स्थानांतरण शुल्क जारी करने का आग्रह किया गया है.

बुधवार को अपने पत्र में बिधूड़ी ने कहा कि उन्होंने दो बार पहले भी सीएम के साथ इस मामले को उठाया था और कुछ दिन पहले वीडियो कॉन्फ्रेंस भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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उन्होंने दिल्ली सरकार से तुरंत पहली किस्त जारी करने का आग्रह किया और बताया कि कोविड-19 में लगे अन्य कर्मचारियों के अलावा और लोगों को भी प्रभावित किया है. पत्र में कहा गया है, ‘दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी जो पदानुक्रम के सबसे निचले पायदान पर हैं, उन्हें पिछले दो महीनों से भुगतान नहीं किया गया है.’

बिधूड़ी ने दिप्रिंट को बताया, ‘कुछ लोग अपनी बुनियादी आपूर्ति का प्रबंधन करने या अपनी रसोई चलाने में सक्षम नहीं होते हैं, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान उनकी ड्यूटी के कारण उन पर बहुत अधिक दबाव है.’

दिल्ली सरकार के ‘एमसीडी के सभी वित्तीय मंजूरी के झूठे दावों’ का विरोध करने के लिए बिधुड़ी गुरुवार को दिल्ली एलजी अनिल बैजल से मिलने के लिए भी तैयार है और वह आग्रह करेंगे कि अधिकारियों को बिना किसी देरी के फंड जारी किया जाए.

कर्मचारियों ने कोविड-19 लॉकडाउन में संघर्ष किया

सैनिटेशन वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष विजेंद्र बागड़ी ने दिप्रिंट को बताया कि भले ही स्वच्छता कर्मचारी चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महामारी के दौरान दूसरों को सुरक्षित रखा जा सके, लेकिन उन्हें अपना मूल वेतन भी नहीं मिल रहा है.

दिप्रिंट को पता चला कि अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए वे अपने परिवारों से पैसे उधार ले रहे हैं. ऐसे ही एक कार्यकर्ता, जहांगीरपुरी के निवासी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘मैं अपना बच्चों को क्या खाने को दूं, बाकि सब बाद में, पूरा दिन काम पर रहता हूं, घर जाऊं तो क्या जबाव दूं.’

प्रभावित लोगों में उत्तर नागरिक निकाय के साथ नियोजित शिक्षक शामिल हैं. वे पिछले कुछ हफ्तों से खाद्य वितरण केंद्रों में ड्यूटी पर हैं.

एक 40 वर्षीय शिक्षक और नरेला के निवासी ने दिप्रिंट को बताया कि वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है और उसे नहीं पता कि वह अगले महीने से कैसे काम करेगा. उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मैं मदद नहीं करना चाहता. यह हम सभी के लिए एक साथ आने का समय है, लेकिन मैं कैसे मदद कर सकता हूं जब मैं खुद को पूरा संभालने की स्थिति में नहीं हूं.’

एमसीडी शिक्षक संघ के प्रमुख रमेश सोलंकी ने भी अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को संबोधित एक पत्र में इस मामले को उठाया था. जबकि पूर्वी और दक्षिण एमसीडी स्कूलों के शिक्षकों को उनका वेतन मिला है, उत्तरी एमसीडी स्कूलों में काम करने वालों को भुगतान नहीं किया जा रहा है. उन्होंने लिखा कि वे लॉकडाउन के बीच पकाया हुआ भोजन वितरित करके दूसरों की मदद करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे.

उत्तरी दिल्ली एमसी के आयुक्त भाजपा के वर्षा जोशी ने कहा, ‘हमारे सभी कार्यकर्ता समस्याओं का सामना करने के बावजूद मैदान पर हैं. टीम की एकता के रूप में वे जानते हैं कि मैं उन्हें तुरंत वेतन देता हूं जिस क्षण मैं इसे प्राप्त करता हूं.’ बार-बार के प्रयासों के बावजूद आप सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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