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Monday, 4 November, 2024
होमदेशकेदारनाथ विवाद: बुराड़ी ट्रस्ट ने तीर्थ पुजारियों को शांत करने के लिए नाम में ‘धाम’ की जगह ‘मंदिर’ किया

केदारनाथ विवाद: बुराड़ी ट्रस्ट ने तीर्थ पुजारियों को शांत करने के लिए नाम में ‘धाम’ की जगह ‘मंदिर’ किया

श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट द्वारा यह फैसला रुद्रप्रयाग मंदिर के पुजारियों द्वारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मुलाकात करने और नाम परिवर्तन के बारे में आम सहमति बनाने के एक दिन बाद आया है.

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नई दिल्ली: उत्तराखंड में स्थित ज्योतिर्लिंग की नकल करने वाले मंदिर के निर्माण से नाराज़ पुजारियों को संतुष्ट करने के लिए श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट अपने नाम में ‘धाम’ शब्द की जगह ‘मंदिर’ शब्द जोड़ेगा.

यह बात रुद्रप्रयाग मंदिर के पुजारियों द्वारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ बैठक और ट्रस्ट के नाम परिवर्तन और बुराड़ी में बनने वाले मंदिर के ढांचे पर आम सहमति बनने के बाद एक दिन पहले कही गई.

ट्रस्ट के संस्थापक-अध्यक्ष सुरिंदर रौतेला ने कहा, “केदारनाथ के पुजारियों को लगा कि हम दिल्ली में धाम बना रहे हैं. धाम कभी नहीं बनाया जा सकता; यह भगवान का काम है. हम केवल उसी तर्ज पर मंदिर बना रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि इमारत की नकल करना मुश्किल था, लेकिन मंदिर उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर ही बनाया जाएगा.

रौतेला ने कहा, “हमारे पास ज्योतिर्लिंग भी नहीं है. इसलिए, यह उस मंदिर की महिमा के साथ छेड़छाड़ करने का कोई प्रयास नहीं है, बल्कि यह उन कमज़ोर और अशक्त लोगों के लिए है जो उत्तराखंड के मंदिर में नहीं जा सकते.”

भगवान शिव के भक्तों के लिए 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है और केदारनाथ इन पवित्र तीर्थस्थलों में सबसे उत्तरी है. केदारनाथ उत्तराखंड में चार धाम तीर्थयात्रा सर्किट का भी हिस्सा है.

दिल्ली के बुराड़ी में मंदिर की नींव रखने के बाद धामी धर्मसंकट में फंस गए हैं. चार धाम के पुजारियों के अनुसार, दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर का निर्माण धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं के खिलाफ है.

योजना कैसे बनी

रौतेला ने दावा किया कि 2022 में उन्हें कोविड का संक्रमण हुआ था और उनकी तबीयत इतनी खराब हो गई थी कि डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी. हालांकि, वे बच गए और उन्हें लगा कि उन्होंने केदारनाथ के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है.

54-वर्षीय रौतेला ने दिप्रिंट से कहा, “मुझे लगा कि मुझे भगवान के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे लोग याद रखें.”

इस अहसास से प्रेरित होकर, उत्तराखंड के मूल निवासी ने परियोजना का समर्थन करने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों से संपर्क किया, जिसके परिणामस्वरूप दो साल पहले श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट का गठन हुआ. दो साल तक ज़मीन की तलाश करने के बाद, अब सेवानिवृत्त व्यवसायी रौतेला ने दिल्ली के बुराड़ी में एक जगह ढूंढी और मंदिर की आधारशिला रखी. ट्रस्ट के पास अब मंदिर के निर्माण के लिए समर्पित 200 योगदानकर्ता हैं.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा 10 जुलाई को मंदिर की नींव रखे जाने के कुछ दिनों बाद, केदारनाथ के पुजारियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. उनका मुख्य तर्क यह था कि ज्योतिर्लिंग के नाम का इस्तेमाल “व्यावसायिक उद्देश्यों” के लिए किया जा रहा है.

बाद में, मंगलवार को केदार सभा के विनोद तिवारी ने कहा कि आंदोलन को “उनके अध्यक्ष राज कुमार तिवारी के निर्देश पर रोक दिया गया है, जिन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी.”

पुजारी ने कहा कि सीएम के साथ बातचीत के दौरान मंदिर और बुराड़ी में ट्रस्ट का नाम बदलने के बारे में आम सहमति बन गई थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर नाम नहीं बदला गया, तो वे अदालत का रुख करेंगे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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