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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशलग्जरी चीजें नदारद- यूवी सैनिटाइजेशन और न्यूट्रिशनिस्ट के साथ दिल्ली के होटलों की कोविड मरीजों के लिए तैयारी

लग्जरी चीजें नदारद- यूवी सैनिटाइजेशन और न्यूट्रिशनिस्ट के साथ दिल्ली के होटलों की कोविड मरीजों के लिए तैयारी

दिल्ली सरकार 40 होटलों और तक़रीबन 80 बैंकेट हॉल्स को सहायक हेल्थकेयर सेट-अप्स में तब्दील करने जा रही है, ताकि आने वाले हफ्तों में कोरोनावायरस के पूर्वानुमानित उछाल से निपटा जा सके.

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नई दिल्ली: दिल्ली में कोविड-19 में आई उछाल के बीच, अपना हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार ने जिन होटलों को अपने अधीन लिया है वे मरीज़ों को रखने के लिए अपने यहां कई बदलाव किए हैं.

अपने परिसर में वॉश बेसिन्स और सैनिटाइजर्स जैसी एहतियाती सुविधाओं से लेकर मरीजों के इस्तेमाल की लांड्री को हैंडल करने के लिए कॉन्ट्रेक्टर्स रखने और कमरों में लगीं विलास की सभी वस्तुएं हटाने तक, कोविड केयर सेंटर्स के रूप में अपनी नई भूमिका को निभाने के लिए प्रीमियर होटल्स कई कदम उठा रहे हैं.

ख़बरों के मुताबिक, दिल्ली सरकार 40 होटलों और तकरीबन 80 बैंक्वेट हॉल्स को सहायक हेल्थकेयर सेट-अप्स में तब्दील करने जा रही है, ताकि आने वाले हफ्तों में, कोरोनावायरस के पूर्वानुमानित उछाल से निपटा जा सके. इस पहल के अंतर्गत 6 होटलों को पहले ही अलग-अलग अस्पतालों के साथ जोड़ा जा चुका है.

30 मई को जारी हुए पहले आदेश में होटल क्राउन प्लाज़ा को बतरा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, होटल सूर्या को इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, होटल सिद्धार्थ को डॉ. बीएल कपूर अस्पताल, होटल जिवितेश को सर गंगाराम अस्पताल, और होटल शैरेटन को मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के साथ जोड़ा गया है. बाद में ताज मानसिंह को भी सर गंगाराम के साथ साझा कर दिया गया है.

इस आदेश से शुरू में होटल्स चकरा गए और शिकायतें हुईं कि उनसे मशविरा नहीं किया गया. क्राउन प्लाज़ा और सूर्या होटल ने इसे क़ानूनी तौर पर चुनौती भी दी लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट के सरकार के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद वो मरीज़ों के लिए अपने द्वार खोलने को राजी हो गए.

प्रबंधन और स्टाफ से बात करने से पता चला है कि शैरेटन ने पहले ही मरीज़ों को लेना शुरू कर दिया है.

इस ख़बर के लिए दिप्रिंट ने छ: में से पांच होटल्स से बात की. होटल सूर्या से अभी भी कमेंट का इंतज़ार है, होटल सिद्धार्थ से कॉल्स के ज़रिए सम्पर्क नहीं हो सका है.


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लॉबी और लिफ्ट

दिल्ली सरकार के आदेश के अनुसार, होटल्स में कोविड-19 के हल्के और बिना लक्षण वाले मरीज़ों को रखा जाएगा. कमरों का किराया पांच सितारा होटलों में 5000 रुपए और 3-4 सितारा होटलों में 4000 रुपए तय किया गया है. ऑक्सीजन जैसी सुविधाओं के दाम अलग होंगे.

पूसा रोड पर होटल जिवितेश के मैनेजर सिद्धार्थ मिश्रा ने कहा कि वो सर गंगाराम अस्पताल के स्टाफ की दी गई गाइडलाइन्स के हिसाब से काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘कोविड मरीज़ों और डॉक्टरों के आने-जाने के लिए हम अलग पॉइंट्स बना रहे हैं और होटल स्टाफ के लिए एक जगह अलग कर रहे हैं. कोविड मरीज़ों के अंदर दाख़िल होने की जगह को रेड ज़ोन बना दिया गया है, और उसे सील कर दिया जाएगा. उस जगह को हम लकड़ी के पार्टिशन से अलग कर रहे हैं.’

सर गंगाराम अस्पताल के सूत्रों ने कहा, ‘अस्पताल उन होटलों की पूरी सहायता कर रहा है, जो हमारे साथ साझेदारी कर रहे हैं’.

अस्पताल के एक कर्मचारी ने कहा, ‘होटल स्टाफ को अस्पताल की तरफ से पीपीई किट्स दी जाएंगी और किट को पहनने और उतारने के लिए, एक हफ्ते की ट्रेनिंग दी जाएगी जिसमें हेल्थकेयर से जुड़े सफाई के दूसरे उपाय भी सिखाए जाएंगे.’

सूत्रों ने ये भी कहा कि मरीज़ के होटल छोड़ने के बाद, उस जगह को धुआं देने और सफाई करने में भी होटलों की मदद की जाएगी.

शैरेटन होटल साकेत के एक कर्मचारी ने बताया कि उनके परिसर में कोई बड़े बदलाव नहीं किए गए हैं. सिर्फ, दो में से एक एलिवेटर को, मरीज़ों के इस्तेमाल के लिए आरक्षित कर दिया गया है.

क्राउन प्लाज़ा ओखला ने भी एलिवेटर एरियाज़ में ऐसे ही बदलाव किए हैं. इसके अलावा होटल ने मेन पोर्च में वॉश बेसिन्स के साथ-साथ हाथ और पैर से चलने वाले सैनिटाइज़र्स भी लगा दिए हैं.

क्राउन प्लाज़ा और जिवितेश होटलों ने ये भी कहा, कि रूम की कार्ड्स, पेंस, आईडेंटिटी कार्ड्स और दूसरी चीज़ों के लिए, वो यूवी सैनिटाइज़ेशन इस्तेमाल करेंगे.

कमरे और सुविधाएं

होटलों के कमरों से लग्जरी वस्तुएं हटा ली जाएंगी, और बिल्कुल बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी जिससे सरफेस कॉन्टेक्ट कम से कम हो.

मिश्रा ने बताया, ‘कमरों में बेड रनर्स या सिरेमिक और ग्लास कटलरी नहीं होंगी. इनकी जगह पेपर कप्स और खाने की डिस्पोज़ेबल प्लेट्स दी जाएंगी.’

शैरेटन में, ठहरने वाले को अपनी कटलरी धो कर फिर से इस्तेमाल करने के लिए साबुन दिया जाएगा. इस बीच क्राउन प्लाज़ा ने कॉरिडोर्स में अपने सारे कार्पेट्स ढंक दिए हैं और कमरों के अंदर लगी दूसरी लूज़ चीजों को हटा लिया गया है.

मरीज़ों की हालत को मद्देनज़र रखते हुए ज़्यादातर होटलों में एसी थर्मोस्टैट को 24 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर फिक्स कर दिया गया है.

सर गंगाराम अस्पताल ने उससे जुड़े होटलों में ठहरने वाले मरीज़ों का मेन्यू तय करने के लिए एक न्यूट्रिशनिस्ट को लगाया है, और दूसरे होटल भी यही कर रहे हैं.

ठहरने वालों को एक बेडशीट, तकिया और एक डुवेट दिया जाएगा. जिवितेश में, ये शीट्स वेंडरों से ली जा रही हैं जो उनके लिए दिल्ली सरकार की गाइडलाइन्स के हिसाब से लिनेन की धुलाई भी करेंगे.

गाइडलाइन्स के मुताबिक़, मरीज़ की इस्तेमाल की हुई तमाम लिनेन, कम से कम 20 मिनट के लिए सोडियम क्लोराइड के घोल में डुबोकर, फिर वॉशर्स में डाली जाएंगी. शीट्स को 70 डिग्री के ऊंचे टेम्प्रेचर पर धोया जाता है और फिर बिना छुए 72 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है. शैरेटन और क्राउन प्लाज़ा ने बताया कि वो ये काम ख़ुद करेंगे.

शैरेटन, जो मैक्स अस्पताल साकेत से जुड़ा हुआ है, के एक कर्मचारी के मुताबिक़, होटल के छ: में से पांच फ्लोर में, कोविड के 115 मरीज़ ठहरे हुए हैं, और 6 डॉक्टर हैं. हर फ्लोर पर दो स्टाफर रहते हैं जो ठहरने वालों की ज़रूरतों का ख़याल रखते हैं. कर्मचारी ने आगे बताया कि जिस फ्लोर पर वो तैनात होते हैं, उस पर उन्हें सर्विस के लिए कमरे बांट दिए गए हैं.

हर कमरे के बाहर एक मेज रखी होती है, जिस पर मरीज़ के लिए डिस्पोज़ेबल प्लेट्स में खाना रख दिया जाता है.

मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के वाइस-प्रेसिडेंट डॉ गुरदीप सिंह ने एक बयान में दिप्रिंट से कहा, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि ये एक कामचलाऊ अस्पताल है, ज़रूरी हो जाता है कि कुछ इमर्जेंसी इंतज़ामात (दवाएं, उपकरण, क्रैश कार्ट्स) किए जाएं, जिनमें ज़रूरत पड़ने पर रीससिटेशन उपाय भी शामिल हैं. ज़रूरत पड़ने पर मरीज़ को सबसे नज़दीकी अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस भी तैयार रहती हैं.

होटलों में बनावट संबंधी बदलाव पर उन्होंने कहा, ‘मरीज़ों की जगह और दूसरे कॉमन एरियाज़ के बीच, नॉन-मेडिकल स्टाफ के सीमित रूप से आने जाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है, जिससे वो सुरक्षित रहें और बीमारी के सम्पर्क में ना आएं.’

अस्पतालों ने होटलों को ये भी आश्वस्त किया है कि ठहरने वालों के कमरों से निकले कचरे को बायो-मेडिकल वेस्ट माना जाएगा, जिसे दिल्ली सरकार के आदेशानुसार, अस्पताल का स्टाफ खुद उठाएगा.

इस बीच ताज मानसिंह में अभी ये काम शुरू होना है, क्योंकि होटल का कहना है कि अगस्त 2019 से, वहां रेनोवेशन का काम चल रहा था. इसके अलावा, एक स्टाफर ने कहा कि अगले कदम के लिए वो अथॉरिटीज़ के निर्देशों का इंतज़ार कर रहे हैं.


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‘किसी का जीवन बचाना’

दिल्ली सरकार ने जब अपना पहला आदेश जारी किया तो होटल मालिक बहुत इच्छुक नहीं थे.

29 मई को दिल्ली हाईकोर्ट में दाख़िल अपनी याचिका में, सूर्या और क्राउन प्लाज़ा होटलों ने कई कारण बताए जिनकी वजह से वो कोविड केयर सेंटर्स का काम नहीं करना चाहते थे. इन कारणों में स्टाफ और फंड्स की कमी, बायो-मेडिकल कचरे का निस्तारण, और एलिवेटर्स के साइज़ शामिल थे.

लेकिन, इस मामले को देखने के लिए कोर्ट की ओर से गठित समिति, जिसमें एम्स के प्रोफेसर रण्दीप गुलेरिया और नीति आयोग के डॉ वीके पॉल शामिल थे, ने कहा, ‘ये उपयुक्त भी है और इनफ्रास्ट्रक्चर के हिसाब से संभव भी है कि होटल सूर्या और होटल क्राउन प्लाज़ा को, विस्तारित कोविड सुविधा के रूप में इस्तेमाल किया जाए’.

उसके बाद से होटल इसमें शामिल हो गए हैं लेकिन उनकी कुछ चिंताएं बरक़रार हैं जिनमें फंड्स प्रमुख हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए होटल जिवितेश के मिश्रा ने बार-बार कहा कि उनके लिए ये एक मुश्किल काम था. उन्होंने आगे कहा, ‘उपलब्ध कराई जा रही बहुत सी सुविधाओं का ख़र्च उन्हें ख़ुद ही उठाना होगा. लॉकडाउन के दौरान होटल भारी नुक़सान उठा चुके हैं. ज़्यादातर होटल इन आदेशों को सिर्फ इसलिए मान रहे हैं कि इससे किसी की जान बच सकती है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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