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Friday, 22 November, 2024
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दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- राज्य के मुख्यमंत्री और शीर्ष अधिकारी हिंसा प्रभावित क्षेत्र में जाकर विश्वास बहाल करे

सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मांडर की याचिका पर न्यायमूर्ति मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह कर रहे थे. कोर्ट ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की कथित भड़काने वाली वीडियो भी देखी. 

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नई दिल्ली: दिल्ली के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में पिछले तीन दिनों से हो रही हिंसा पर दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर लोगों के बीच विश्वास पैदा करने को कहा है.

सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मांडर की याचिका पर न्यायमूर्ति मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह सुनवाई कर रहे थे. कोर्ट ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की कथित भड़काने वाली वीडियो भी देखी.

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि देश में 1984 जैसे हालात दोबारा नहीं बनने दे सकते हैं. अदालत ने आईबी अधिकारी की मौत पर दुख जताया और कहा कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. कोर्ट ने ये भी कहा कि राज्य के शीर्ष अधिकारी और केंद्र सरकार के अधिकारी पीड़ितों से और उनके परिवार वालों से मिले.

कोर्ट ने पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन नंबर बनाने के निर्देश दिए हैं और पीड़ितों को असुविधा न हो इसके लिए प्राइवेट एंबुलेंस मुहैया कराने को कहा है. कोर्ट ने मूलभूत सुविधा से लैस आश्रय घर बनाने के भी निर्देश दिए हैं.


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दिल्ली उच्च न्यायालय ने हिंसाग्रस्त उत्तर पूर्वी दिल्ली से घायलों को निकालने में त्वरित कार्रवाई करने के लिए पुलिस की सराहना की. आधी रात में आदेश दिए गए, तभी से पुलिस इनका पालन कर रही है और उत्तर पूर्वी दिल्ली से घायलों को इलाज के लिए निकाल रही है. कोर्ट ने कहा कि कानून अपना काम कर रहा है, यह विश्वास दिलाने के लिए जेड श्रेणी की सुरक्षा पाए, शीर्ष संवैधानिक पदों पर आसीन अधिकारियों को प्रभावित लोगों तक पहुंचना चाहिए.

कोर्ट को बताया गया कि हिंसा में 17 लोगों की मौत हुई है.

दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में पिछले 24 घंटों में 11 घायल लोगों को लाया गया है और एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है. अभी तक 20 से ज्यादा लोग हिंसा के शिकार हो चुके हैं.

हाई कोर्ट ने सीबीएसई से कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के केंद्रों पर 27, 28 और 29 फरवरी को बोर्ड परीक्षा कराने के मुद्दे पर शाम पांच बजे तक फैसला किया जाए और शाम छह बजे तक जनता को इस बारे में सूचित किया जाए.

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