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Thursday, 19 December, 2024
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दिल्ली हाईकोर्ट ने एनडीएमसी से कहा- 24 जून तक दी जाए अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों की सैलरी

दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदू राव और कस्तूरबा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों को सैलरी नहीं मिलने के मामले से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स का स्वत: संज्ञान लिया था.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नॉर्थ दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन (एनडीएमसी) के अस्पतालों में काम कर रहे स्थायी और रेजिडेंट डॉक्टरों की सैलरी जारी किए जाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इनकी मार्च और अप्रैल की सैलरी दी जाए.

एनडीएमसी जिन छह अस्पतालों के डॉक्टर सैलरी नहीं मिलने की समस्या से त्रस्त हैं. उनमें कस्तूरबा हॉस्पिटल, हिंदू राव हॉस्पिटल, महर्षि वाल्मिकी इंफ़ेक्शियश डिज़िज़ हॉस्पिटल, गिरधारी लाल मैटरनिटी हॉस्पिटल, राजन बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ पलमोनरी मेडिसिन एंड ट्युबरक्युलोसिस (आरटीबीटी) और बालक राम हॉस्पिटल शामिल हैं. 

दिल्ली हाई कोर्ट ने हिंदूराव और कस्तूरबा गांधी के डॉक्टरों को सैलरी नहीं मिलने के मामले से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स का स्वत: संज्ञान लिया था. एनडीएमसी के स्टैंडिंग काउंसिल के वकील अखिल मित्तल ने दिप्रिंट से कहा कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक 19 जून तक सभी 6 अस्पतालों के जूनियर और सीनियर रेज़िडेंट्स के अलावा पीजी वालों की मार्च की सैलरी जारी की जाएगी.

मित्तल ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी 6 अस्पतालों के जूनियर और सीनियर रेज़िडेंट्स के अलावा पीजी डॉक्टरों के मार्च का स्टाइपेंड 19 जून तक दे देंगे.’ मित्तल ने आगे कहा, ’19 जून तक दिल्ली सरकार को हमें 10 करोड़ देने हैं, जिसके बाद हम अप्रैल का स्टाइपेंड 24 जून तक दे देंगे.’

उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेशन का 40 प्रतिशत फंड दिल्ली सरकार से आता है.

दिप्रिंट ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन तक फोन कॉल और संदेशों के माध्यम से पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

लगभग 546 रेजिडेंट डॉक्टरों को वेतन मिलेगा, इसकी लागत लगभग 8 करोड़ रुपये प्रति माह आएगी.

मामले में अगली सुनवाई 8 जुलाई को होनी है. मित्तल ने कहा, ‘8 जुलाई को कोर्ट स्थायी डॉक्टरों की सैलरी को लेकर निर्णय लेगा. कोर्ट ने हम रेज़िडेंट डॉक्टरों की सैलरी को प्राथमिकता देने को कहा है.’ एनडीएमसी के 6 अस्पताल के लिए काम करने वाले करीब 800 डॉक्टरों को मार्च, अप्रैल और मई की सैलरी नहीं मिली है.


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डॉक्टरों ने कहा सामूहिक तौर पर इस्तीफ़ा देंगे

हिंदू राव अस्पताल के 300 के करीब स्थायी, रेज़िडेंट और कंसलटेंट डॉक्टरों ने अपने मेडिकल सुपरिटेंडेंट को बृहस्पतिवार को एक ख़त लिखा. ख़त में इस बात का अल्टीमेटम दिया गया है कि 18 जून तक इनकी सैलरी नहीं आती तो ये सामूहिक तौर पर इस्तीफ़ा दे देंगे. ऐसा ही एक ख़त कस्तूरबा अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी लिखा है.

रेजिडेंट डॉक्टरों में शामिल रोहित तिवारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘ऐसी महामारी में भी हम बिना रुके काम कर रहे हैं. हमें अपना लोन, रेंट, खाने और सफ़र का ख़र्च उठाना पड़ता है. ऐसे में तो हम सड़क पर आ जाएंगे. ऐसे भी डॉक्टर हैं जिनके खाते में महज़ 800-900 रुपए बचे हैं. इतनी पढ़ाई के बाद हम किस मुंह से अपने परिवार से पैसे मांगें. थाली बजाने से हमारा पेट नहीं भरेगा, इनका कोई मतलब नहीं है. अगर सच में हमारा सम्मान है तो हमें हमारी सैलरी दे दी जाए.’

लेटर में लिखा, ‘हर बीतते दिन के साथ डॉक्टरों के लिए रोज़ का ख़र्च निकालना मुश्किल हो रहा है. काम के लिए सफ़र करके आना कठिन होता जा रहा है. हमें ऐसा लग रहा है कि हमारी कोई सुनने वाला नहीं है. हमारा अनुरोध है कि 18 जून तक हमारी (सिर्फ़ एक महीने की नहीं) पेंडिंग सैलरी जारी की जाए. हमें बताते हुए दुख हो रहा है कि हम ‘बिना पैसे के काम नहीं’ करने का रास्ता अख़्तियार करने जा रहे हैं. हमारे पास यही रास्ता बचता है और अगर फ़िर भी स्थिति ऐसी ही बनी रहती है, तो हम सामूहिक तौर पर इस्तीफ़ा दे देंगे.’

कस्तूरबा अस्पताल के 100 के करीब रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी अपने अस्पताल प्रशासन को मंगलवार को ऐसा ही एक ख़त लिखा था. हिंदू राव के ही तर्ज पर उन्होंने भी 16 जून तक सैलरी नहीं मिलने की स्थिति में सामूहिक इस्तीफ़े की बात कही है.

राजेंद्र बाबू टीबी हॉस्पिटल (आरबीटी) के आरडीए प्रेज़िडेंट डॉक्टर महेंद्र सीएस ने कहा, ‘हमें पिछले तीन महीनों से सैलरी नहीं मिली है. ना सिर्फ़ डॉक्टर बल्कि एनडीएमसी के अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी ठीक इसी समस्या से गुज़र रहे हैं. दो अस्पतालों को आरडीए ने इस बारे में ख़त लिखा है, हम उनके साथ हैं.’

हालांकि, एनडीएमसी के अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण फंड में कमी की वजह से सैलरी नहीं दी जा सकी है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और एनडीएमसी के चेयरमैन अवतार सिंह ने कहा, ‘आम तौर पर हमें जितना टैक्स मिलता था, मार्च के बाद से हमें उतना टैक्स नहीं मिला. लॉकडाउन की वजह से टैक्स में भारी कमी आई जिसकी वजह से हमारे पास पैसे नहीं है.’

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