नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने 2012 के निर्भया बलात्कार एवं हत्या मामले में एक दोषी की दया याचिका खारिज करने की पुरजोर सिफारिश की है.
सूत्रों ने रविवार को बताया कि दिल्ली के गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन ने इस मामले में अरविंद केजरीवाल सरकार की अनुशंसाओं के साथ फाइल को उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेज दिया है.
पैरामेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में फांसी की सजा प्राप्त विनय शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दायर की थी.
एक सूत्र ने फाइल नोटिंग में जैन द्वारा लिखी गई बातों को उद्धृत करते हुए कहा, ‘आवेदक (विनय शर्मा) ने काफी घृणित अपराध को अंजाम दिया. इस मामले में कड़ा दंड दिया जाना चाहिए ताकि दूसरे इस तरह के जघन्य अपराधों को अंजाम नहीं दें.’
दिल्ली के गृह मंत्री ने भी कहा, ‘दया याचिका में कोई दम नहीं है, खारिज करने की पुरजोर अनुशंसा की जाती है.’
सूत्रों ने कहा कि फाइल को उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा और इसके बाद उसे उपराज्यपाल की अनुशंसाओं के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा.
निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा दया याचिका को खारिज करने के लिए की गई अनुशंसा का फैसला सराहनीय है. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इन लोगों को फांसी दी जाएगी.
Asha Devi, mother of 2012 Delhi rape & murder victim: I welcome Delhi government's decision to recommend rejection of mercy petition of one of the convicts in the case. I hope soon the accused will be hanged to death soon. pic.twitter.com/kuBSOZz4sd
— ANI (@ANI) December 2, 2019
आशा देवी ने हैदराबाद में एक महिला पशु चिकित्सक का बलात्कार कर जला देने की घटना पर कहा कि इस तरह की घटना काफी विभत्स है. जैसे हम लोग पिछले सात सालों से न्याय के लिए लड़ रहे हैं वैसे ही उसे भी न्याय मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस बारे में सोचना चाहिए की इस तरह की घटना कैसे बार-बार होती है.
मामले में गिरफ्तारी के बाद से ही तिहाड़ जेल में बंद शर्मा ने दया याचिका दायर की थी जबकि एक अन्य दोषी मुकेश ने दया याचिका दायर करने से इंकार कर दिया था.
दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 16-17 दिसम्बर 2012 की मध्य रात्रि को छह लोगों ने पैरामेडिकल की छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया और उसे सड़क पर फेंकने से पहले उसके साथ काफी बर्बरता की थी.
सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में 29 दिसम्बर 2012 को उसकी मौत हो गई थी जहां उसे दिल्ली से एयर एंबुलेंस से उपचार के लिए ले जाया गया था.
इस मामले में आरोपी राम सिंह ने जेल के अंदर ही फांसी लगा ली थी और एक किशोर को अधिकतम तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई गई.
फांसी की सजा पाए चौथे दोषी अक्षय कुमार सिंह (33) ने उच्चतम न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर नहीं की थी.