नई दिल्ली : दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शनिवार को श्रद्धा वॉकर मर्डर मामले के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला के खिलाफ आरोप पत्र पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. अदालत 29 अप्रैल को आदेश पर फैसला सुनाएगी.
कोर्ट ने श्रद्धा के पिता विकास वॉकर की अपील पर दिल्ली पुलिस से मृतक की अस्थियों को रिलीज करने को लेकर जवाब मांगा है. उन्होंने कहा कि अस्थियों को जल्द दिखाया जाए ताकि वह श्रद्धा की उसकी मौत के एक साल के भीतर अंतिम संस्कार कर सकें. अतिरिक्त सत्र न्यायधीश (एएसजे) मनीषा खुराना कक्कड़ ने आरोपी और दिल्ली पुलिस के वकील की दलीलें सुनने के बाद आरोप पर आदेश सुरक्षित रख लिया है.
एडवोकेट अभिषेक भंडारी ने दलील दी कि आरोपी को हत्या के मुख्य अपराध और साक्ष्य नष्ट करने दोनों के लिए एक साथ आरोपी नहीं बनाया जा सकता. आरोप तय करते समय इस तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए.
उन्होंने ऊंची अदालत के फैसले के आधार पर दलील दि कि आरोपी को मुख्य अपराध और सबूत के नष्ट करने दोनों के लिए एक साथ सजा नहीं दी जा सकती.
वकील ने तर्क दिया कि आरोपी पर दोनों अपराधों के लिए एक साथ चार्ज नहीं तय किए जा सकते क्योंकि इससे उसके अधिकार का हनन होगा.
एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने श्रद्धा के पिता विकास वॉकर की ओर से मृतक की अस्थियां रिलीज करने के लिए आवेदन दिया.
उन्होंंने यह भी मांग कि अस्थियां जल्दी पेश की जाएं ताकि एक साल के भीतर उनका अंतिम संस्कार करने के लिए उन्हें सौंपी जा सके. दिल्ली पुलिस अगली तारीख तक इस पर जवाब देगी.
प्रॉपर्टी के मालिक जहां पर यह अपराध हुआ, ने भी परिसर को सील मुक्त करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कोर्ट ने वकील से लिखित आवेदन देने को कहा है.
3 अप्रैल को आखिरी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद और मधुकर पांडे द्वारा दायर फैसले की प्रति को रिकॉर्ड पर लिया. एसपीपी अमित प्रसाद ने बताया कि आईपीसी की धारा 201 के तहत साफ है कि मुख्य अपराधी को बचाने के लिए साक्ष्य को नष्ट करने वाले के साथ ही मुख्य अपराध करने वाले व्यक्ति के खिलाफ भी आरोप लगाया जा सकता है.
इससे पहले की तारीख पर, आरोपी आफताब के वकील ने दलील दी थी कि हत्या का आरोप और सबूत को गायब करना दोनों को साथ शामिल नहीं किया जा सकता. इन आरोपों को वैकल्पिक तौर पर तैयार किया जा सकता है. दिल्ली पुलिस ने दलील का विरोध किया और फैसला सुनाने के समय की मांग की.
वकील अक्षय भंडारी ने दलीली दी, ‘या तो आफताब को मर्डर का आरोपी बनाया जा सकता है या फिर सबूतों को मिटाने को लेकर. आरोपी को आईपीसी की धारा 302 व 201 दोनों के तहत हत्या करने और सबूत मिटाने दोनों के लिए आरोप नहीं तय किए जा सकते. वकील ने मांग की इसे वैकल्पिक तौर पर तैयार किया जा सकता है.’
उन्होंने तर्क दिया कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के अपराध में या फिर 201 के तहत मुख्य अपराधी को बचाने के लिए आरोप तय किए जा सकते हैं.
एडवोकेट भंडारी ने यह कहते हुए दलील दी थी कि अफताब का हत्या के लिए दोषी होना पर्याप्त नहीं है.
उनके पास केवल चश्मदीदों के ही बयान हैं. अभियोग में यह दिखाना होगा कि अपराध किस तरीके से किया गया था.
एसपीपी अमित प्रसाद ने इसका खंडन करते हुए कहा कि साक्ष्य मिटाने पर धारा 201 के तहत दोहरे आरोप तय किए जा सकते हैं.
उन्होंने यह भी बताया था कि सबूतों की श्रृंखला, गवाहों के बयान, पिछली घटनाओं और परिस्थितियों से रिकॉर्ड, फॉरेंसिक साक्ष्य, अपराध के तरीके आदि अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे.
यह मामला 18 मई, 2022 को श्रद्धा वॉकर के लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला द्वारा कथित उसकी हत्या से जुड़ा है.
दिल्ली पुलिस ने हत्या के आरोप और आरोपी के खिलाफ सबूत मिटाने के मामले में अपनी दलीलें पूरी कर ली हैं.
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