नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनौपचारिक मुलाकात का सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा. बंगाल की खाड़ी के तट पर मामल्लपुरम में चल रही इस मुलाकात के बीच दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता बैठक में पीएम मोदी के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे. इस बैठक के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग नेपाल के लिए रवाना हो जाएंगे.
वुहान समिट ने हमें नया मोंमेंटम और कनेक्ट दिया
बैठक की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के आजादी के 70 साल मना रहे चीन को बधाई दी. उन्होंने कहा, ’21वीं शताब्दी में भारत और चीन साथ-साथ नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहे हैं.
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में पीएम मोदी ने कहा,’ हमने तय किया था कि हम मतभेद को मिटाएंगे और कोई विवाद उत्पन्न नहीं होने देंगे और हम उस ओर आगे बढ़ रहे हैं. चेन्नई कनेक्ट के जरिए दोनों देशों के बीच सहयोग का एक नया दौर शुरू हुआ और हमारे बीच चेन्नई समिट में वैश्विक और द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत हुई थी.’
‘पिछले वर्ष वुहान में हमारी हुई अनौपचारिक बैठक के बाद हमारे संबंध काफी प्रगाढ़ हुए हैं. हमारे संबंधों में नई स्थिरता आई और एक नई गति मिली. दोनों देशों के बीच रणनीतिक संचार भी बढ़ा है.’
PM Narendra Modi: There have been deep cultural and trade relations between China and the state of Tamil Nadu. For most part of the last 2000 years, India and China have been economic powers https://t.co/y0bycoh1ye pic.twitter.com/54EWoI9qPA
— ANI (@ANI) October 12, 2019
‘इस दौरान चीन और तमिलनाडु के बीच गहरे सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध रहे हैं. पिछले 2000 सालों के अधिकांश सालों तक भारत और चीन आर्थिक शक्तियां रहे हैंं’
पीएम ने कहा कि वुहान समिट ने हमें नया मोंमेंटम और कनेक्ट दिया है.
बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपनी बात कहने के लिए आमंत्रित किया.
भारत और चीन के बीच भावनात्मक जुड़ाव
अपने वक्तव्य में चीन के राष्ट्रपति शी ने कहा, ‘मैं तमिलनाडु में हुए स्वागत से काफी खुश हूं. और यह दौरा हमेशा यादगार रहेगा. इस दौरे से भारत और चीन के बीच भावनात्मक जुड़ाव काफी गहरा हुआ है.
शी ने कहा, ‘ मैं भारत में आकर खुश हूं. हम आपके आतिथ्य से अभिभूत हैं. मैंने और मेरे साथियों ने महसूस किया है कि यह हमारे लिए एक यादगार अनुभव होगा. कल प्रधानमंत्री ने जैसा कि आपने कहा था आपने और मैंने द्विपक्षीय रिश्तों पर खुले दिल से बातचीत की.
वुहान शिखर सम्मेलन ने हमारे संबंधों में एक नई गति और विश्वास पैदा किया और आज का ‘चेन्नई विजन’ भारत-चीन संबंधों में एक नए युग की शुरुआत है.
शी जिनपिंग ने कहा कि हमारी इस मुलाकात पर चीनी मीडिया ने दोनों देशों के संबंधों पर बहुत कुछ लिखा है. पिछले साल हुई वुहान बैठक का क्रेडिट प्रधानमंत्री मोदी को जाता है. वुहान की पहल आपने (पीएम मोदी) की थी और यह बहुत अच्छी कोशिश साबित हो रही है.’
Chinese President Xi Jinping: We are really overwhelmed by your hospitality. Me and my colleagues have felt that very strongly. This will be a memorable experience for me and us. https://t.co/i5ZbBUj75r pic.twitter.com/bzSJERHR7y
— ANI (@ANI) October 12, 2019
भारत के दो दिन के दौरे पर आए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच शनिवार सुबह मामल्लापुरम के कोव बीच रिजॉर्ट में एक घंटे तक बातचीत चली.
बता दें कि प्रतिनिधिमंडल की बैठक के पहले दोनों नेताओं के बीच बातचीत 55 मिनट तक चली. इस दौरान उन दोनों ने बीचहट (समुद्र तट पर बनी झोपड़ी) पर बैठकर बातचीत की. और इस बैठक से पहले दोनों नेताओं ने कुछ मिनटों तक ताज फिशरमैन कोव होटल में भी मुलाकात और बातचीत की थी.
इस बैठक के बाद चीन के राष्ट्रपति नेपाल के लिए रवाना हो जाएंगे.
भारतीय पर्यटकों के लिए वीजा प्रतिबंधों में ढील और आयातित सामानों पर भी होगी बातचीत
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पीएम मोदी न केवल राष्ट्रपति शी से प्रभावी तरीके से काम करने बात कहेंगे साथ ही चीन भारत से अधिक से अधिक दवाइयों और कृषि सामानों का आयातित करने पर भी बातचीत की जाएगी . बल्कि वह दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए भी बातचीत करेगा.
सूत्रों ने बताया, ;’चीन से भारतीय पर्यटकों के लिए वीजा प्रतिबंधों में ढील देने और अधिक लोगों से लोगों को जोड़ने के लिए पेशेवर बनने की उम्मीद है.’
विदेश सचिव विजय गोखले के अनुसार, पहले दिन दोनों नेताओं ने कुछ “क्वालिटी टाइम” एक साथ बिताया जब प्रधान मंत्री मोदी ने व्यापार घाटे की चिंता को दूर करने के लिए चीन से अधिक निवेश के साथ-साथ दो तरफा व्यापार का विस्तार करने की मांग की.
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2018-19 में 87 बिलियन डॉलर रहा. हालांकि, चीन के साथ व्यापार घाटा या व्यापार असंतुलन भारत में 53.56 बिलियन डॉलर का है.
वहीं दूसरी तरफ बीजिंग इस बात पर जोर दे रहा है कि भारत अब बड़े और मुक्त व्यापार समझौता, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीइपी) पर हस्ताक्षर करे इन मामलों के लिए दोनों देशों के बीच 2012 में वार्ता शुरू हुई थी.
(नयनिमा बासू के इनपुट्स के साथ)