चंडीगढ़: उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में एक मुस्लिम छात्र को एक शिक्षिका के निर्देश पर उसके सहपाठियों द्वारा कथित तौर पर पीटे जाने के कुछ दिनों बाद, पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने सरकारी स्कूलों को सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान “आपसी भाईचारे” पर पाठ पढ़ाने का निर्देश दिया है.
रविवार को जारी एक प्रेस बयान में, पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य बच्चों के मन में “सांप्रदायिक सद्भाव के लोकाचार” को मजबूत करना है.
यह घटनाक्रम एक वायरल वीडियो के बाद सामने आया है जिसमें कथित तौर पर यूपी के मुजफ्फरनगर के नेहा पब्लिक स्कूल में एक शिक्षिका को अन्य छात्रों को सात वर्षीय बच्चे को पीटने के लिए उकसाते हुए दिखाया गया है. शिक्षिका को यह कहते हुए सुना जाता है: “मोहम्मडन बच्चों की माताएं अपने मायके चली जाती हैं, जिससे उनके बच्चों की शिक्षा बर्बाद हो जाती है.”
जिला अधिकारी ने बाद में इस घटना के जांच के आदेश दिए थे. साथ ही स्कूल को बंद करने का भी निर्देश दिया था.
अपने प्रेस बयान में बैंस ने ऐसी घटनाओं को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए कहा कि ये देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैं.
पंजाब के स्कूली शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के.के. यादव ने दिप्रिंट को बताया कि विभाग ने सोमवार शाम सरकारी स्कूलों को विस्तृत निर्देश जारी किए हैं.
यादव ने कहा, “इन आदेशों को पंजाब के सभी प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक विद्यालयों में लागू किया जाना है.” उन्होंने कहा कि पंजाब में लगभग 19,000 सरकारी स्कूल हैं – 12,000 प्राथमिक विद्यालय, 3,000 मध्य विद्यालय और 4,000 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय- सभी को जानकारी दे दी गई है.
यह भी पढ़ें: रक्षाबंधन के दिन आसमान में दिखेगा सुपर ब्लू मून, तो क्या नीला दिखेगा चांद
‘पूरी तरह से शिक्षकों की रचनात्मकता पर निर्भर’
राज्य सरकार के आदेशों के अनुसार, प्रत्येक सुबह की सभा के 10 मिनट शिक्षकों को छात्रों को विभिन्न धर्मों के बारे में बताने और उन सभी का सम्मान करने की आवश्यकता के लिए समर्पित होंगे. यादव ने कहा, “धार्मिक सहिष्णुता के अलावा, स्कूलों को राष्ट्रवाद और अपने देश के प्रति प्रेम के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए भी कहा गया है.”
यादव ने दिप्रिंट को बताया, “यह शिक्षकों पर निर्भर है कि वे इन 10 मिनटों का उपयोग सार्वभौमिक भाईचारे, सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रवाद का संदेश देने के लिए कैसे करते हैं. शिक्षक लघु विषयगत भाषण तैयार कर सकते हैं, या छात्रों को एक नाटक तैयार करने में शामिल कर सकते हैं, या छात्रों को एक छोटी कहानी या कविता पढ़ने के लिए कह सकते हैं, या छात्रों को निबंध, कहानियां, कविताएं लिखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जिन्हें बाद में असेंबली के दौरान पढ़ा जा सकता है. यह पूरी तरह से शिक्षकों की कल्पना और रचनात्मकता पर निर्भर है कि वे संदेश कैसे भेजते हैं.”
अपने प्रेस बयान में, मंत्री ने कहा कि पंजाब पहले से ही सिख गुरुओं द्वारा दिखाए गए सार्वभौमिक भाईचारे के मार्ग का पालन करता है.
उन्होंने कहा, “लेकिन फिर भी, सोशल मीडिया और संचार के अन्य माध्यमों के प्रभाव के कारण और छात्रों में धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ने से रोकने के लिए, स्कूलों को सुबह की प्रार्थना के दौरान उन्हें धार्मिक सद्भाव के बारे में शिक्षित करना होगा.”
(संपादन: ऋषभ राज)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘गोर्बाचेव ने एक बार राजीव गांधी से पूछा था कि कौन सी चीज़ भारत को एकजुट रखती है’, पूर्व IB चीफ नारायणन