नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस साल 12वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षाएं ली जाए या नहीं, इस पर फैसला बुधवार शाम तक ले लिया जाएगा.
सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह बात जस्टिस ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष कही, जिसके बाद मामले की सुनवाई गुरुवार दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई.
अदालत 12वीं कक्षा के कुछ छात्रों के अभिभावकों की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बाकी बची परीक्षाएं जुलाई में कराने संबंधी बोर्ड की अधिसूचना रद्द करने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में तर्क दिया है कि एम्स के मुताबिक भारत में उस समय तक कोविड-19 महामारी अपने चरम पर होगी.
पीठ ने इस दौरान आईसीएसई परीक्षा से जुड़ी एक याचिका पर भी संज्ञान लिया. गुरुग्राम निवासी कुछ अभिभावकों की तरफ से दायर यह याचिका भी सीबीएसई वाली याचिका जैसी ही है.
आईसीएसई की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता ने बताया कि निजी बोर्ड अपनी परीक्षाओं के बारे में कुछ तय करने से पहले सीबीएसई के फैसले का इंतजार करेगा.
यह सारी कवायद आखिरी चरण में होने की जानकारी देते हुए मेहता ने पीठ को बताया, ‘कल शाम तक औपचारिक फैसला ले लिया जाएगा. हम छात्रों की चिंताओं को समझ सकते हैं. हम इस बाबत कोर्ट को परसों पूरी जानकारी दे सकते हैं’.
‘आईसीएसई 12वीं बोर्ड पर सरकार के फैसले में कर सकता है बदलाव’
पीठ ने तुषार मेहता से आईसीएसई परीक्षा से जुड़ी याचिका में उठाए गए सवालों पर भी विचार करने को कहा.
गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रस्तावित आईसीएसई परीक्षाओं के खिलाफ बांबे हाई कोर्ट की बेंच में एक याचिका पर भी सुनवाई चल रही है, जिसके लिए सीबीएसई मामले में सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार किया जा रहा है.
वरिष्ठ अधिवक्ता के सुझाव पर कोर्ट ने आईसीएसई से जुड़ी याचिका को भी गुरुवार को सीबीएसई वाली याचिका के साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
लेकिन पीठ स्पष्ट किया कि एक बार फैसला हो जाने पर आईसीएसई को केंद्र या सीबीएसई के रुख का अनुपालन करना होगा.
पीठ ने कहा, ‘स्थिति बहुत ही असामान्य तरह की है. अगर सरकार अच्छी तरह सोच-समझकर कोई फैसला लेती है तो इसे गंभीरता से लें और इसे खारिज न कर दें क्योंकि आप स्वायत्त इकाई हैं’.
गुप्ता ने आश्वस्त किया कि आईसीएसई मुख्यत: सीबीएसई के ही फैसला का अनुपालन करेगा, इस पर कोर्ट ने कहा कि सभी पहलुओं पर अच्छी तरह विचार करने के बाद इसमें मामूली फेरबदल किया जा सकता है.
गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘आईसीएसई हालात के आकलन पर सरकार के फैसले का इंतजार कर रहा है. सभी छात्रों के लिए एक समान फैसला होना चाहिए, न कि इस आधार पर कि वह किस बोर्ड में हैं’.
उन्होंने इस ओर भी ध्यान आकृष्ट किया कि ऐसे ही एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक याचिका को केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्र सरकार के प्रतिनिधित्व के लिए भेज दी.
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