नई दिल्ली: बिहार में एक्यूट एंसेफिलाइटिस सिंड्रोम (दिमागी बुखार) की चपेट में आने से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मरने वालों संख्या 69 से बढ़कर 73 हो गई है. बच्चों के लगातार बीमार पड़ने और मरने का आंकड़ा देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन रविवार को मुजफ्फरपुर जाएंगे. वह वहां हालात देखने और इतनी बड़ी संख्या में फैले एक्यूट इनसेफलाइटिस सिंड्रोम पर भी विचार करेंगे. बता दें कि बिहार के मुज्जफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली सहित आस पास के जिलों में बड़ी संख्या में बच्चों की मौत से प्रशासन पर सवाल उठ रहा है. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि मुज्जफ्फरपुर में बच्चों के इलाज के लिए पटना एम्स से डॉक्टर और नर्स भी बुलाईं गई हैं. मंगल पांडे ने कहा कि सरकार बच्चों की जिंदगी को बचाने के लिए हर भरसक कोशिश कर रही है.
मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉक्टर शैलेष प्रसाद सिंह ने कहा कि बुखार के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 73 हो गई है. श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में 58 और केजरीवाल अस्पताल में 11 लोगों को यह बुखार मौत की नींद सुला चुका है. बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी का प्रकोप उत्तरी बिहार के सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी और वैशाली में है. अस्पताल पहुंचने वाले पीड़ित बच्चे इन्हीं जिलों से हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बुखार से बच्चों की मौत का मामला गंभीर है. साथ ही स्वास्थ्य सचिव भी नजर रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टरों को अलर्ट कर दिया गया है.
बिहार के मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में बरूराज के पगठिया की रहने वाली आठ वर्षीय फरीदा की अम्मी शाहबानो के आंखों के आंसू रुक नहीं रहे हैं. उनकी फटी आंखें मानो गुजर चुकी फरीदा की पुरानी यादों को हर समय के लिए अपनी अंतरात्मा में बसा लेना चाहती हैं.
तीन दिन पहले ही शाहबानो ने अपनी फूल-सी प्यारी बच्ची को अधिक तबियत खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराई थी, परंतु चिकित्सक उसे नहीं बचा सके. अब तो शाहबानो की मानो दुनिया ही उजड़ गई है.
Dr. Shailesh Prasad Singh, Civil Surgeon, Muzaffarpur: Death toll rises to 69 due Acute Encephalitis Syndrome (AES). 58 died at Sri Krishna Medical College and Hospital and 11 at Kejriwal Hospital. #Bihar pic.twitter.com/TCHAavsRJI
— ANI (@ANI) June 15, 2019
इधर, पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल के पांच वर्षीय सोनू कुमार के पिता श्रीनिवास राय भी सोनू के लगातार चौंकने के कारण परेशान हैं. हालांकि आसपास के लोग उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं कि अभी स्थिति ठीक है. बच्चे के पेट और सीने को बार-बार ठंडे पानी में कपड़ा भिगोकर धोया जा रहा है. चिकित्सक ग्लूकोज चढ़ा रहे हैं, परंतु उनके बगल के बेड पर भर्ती बच्चे के गुजर जाने के बाद उन्हें भी अपने बच्चे के बिछड़ जाने का डर सता रहा है. उन्हें अब किसी ऐसे भगवान का इंतजार है, जो उनके बच्चे को पूरी तरह स्वस्थ्य कर दे.
यह हाल पूरे एसकेएमसीएच में देखने को मिल रहा है. हर कोई अपने कलेजे के टुकड़े को बचाने के लिए अस्पताल के ट्रालीमैन तक के पैर पकड़ कर बच्चे को ठीक करने की गुहार लगा रहा है. अचानक क्षेत्र में ‘चमकी बुखार’ के कारण मरीजों की संख्या यहां बढ़ गई है.
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में अपने बच्चों को खो चुकी मांओं की दहाड़ सुन किसी भी व्यक्ति का कलेजा फट जा रहा है. खो चुके बच्चों की मांएं दहाड़ मार कर रो रही हैं, तो उनके पिता और परिजन उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं.
बिहार में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी इस अज्ञात बीमारी से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
गौरतलब है कि 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इस कारण मरने वालों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है. इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं.
चिकित्सकों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है. उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष इस मौसम में मुजफ्फरपुर क्षेत्र में इस बीमारी का कहर देखने को मिलता है. पिछले वर्ष गर्मी कम रहने के कारण इस बीमारी का प्रभाव कम देखा गया था.
इस बीमारी की जांच के लिए दिल्ली से आई नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम तथा पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी मुजफ्फरपुर का दौरा कर चुकी है.