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Monday, 18 November, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू की, लाइव दिखाने का अनुरोध नकारा

निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानिक पीठ के समक्ष अपनी दलीलें पेश करनी शुरू कर दी है.

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नई दिल्ली : अयोध्या में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मध्यस्थता समिति द्वारा कोई समाधान नहीं निकलने पर दिन-प्रतिदिन के आधार पर होने वाली इसकी सुनवाई मंगलवार से शुरू हो गई. अयोध्या मामले के एक पक्ष निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के समक्ष अपनी दलीलें पेश करनी शुरू कर दी हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग और केस की लाइव स्ट्रीमिंग या प्रसारण के लिए केएन गोविंदाचार्य के अनुरोध को रद्द कर दिया है, क्योंकि वर्तमान में यह संभव नहीं है.

सर्वोच्च अदालत ने मध्यस्थता पैनल को बताया था फेल

इससे पहले शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या विवाद पर नियुक्त मध्यस्थता समिति को मंदिर-मस्जिद विवाद को हल कने में विफल कहा था. इस समिति में जाने-माने लोग शामिल हैं, जिन्हें सहमति बनाने के लिए जाना जाता है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 18 जुलाई को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति से इस मामले की मध्यस्थता प्रक्रिया के निष्कर्ष के बारे में 1 अगस्त को अदालत को सूचित करने को कहा था. इस तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की अगुवाई शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एफएम कलीफुल्ला कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मध्यस्थता पैनल कोई अंतिम समाधान तक नहीं पहुंच सका है. उन्होंने कहा कि 6 अगस्त से मामले की रोजाना सुनवाई की जाएगी.

एक जानकार सूत्र ने कहा, ‘इस मामले के विभिन्न पक्ष कभी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हुए. वास्तव में मध्यस्थता उन पर थोपी गई थी. कई प्रस्ताव रखे गए, लेकिन किसी भी एक प्रस्ताव को पक्षों ने स्वीकार नहीं किया, जिससे कि सर्वसम्मति बन पाती.’

मध्यस्थता के घटनाक्रम से परिचित एक सूत्र ने कहा, ‘मध्यस्थता को आगे बढ़ाने के प्रयास भी विफल रहे. वास्तव में हर तरह से प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली.’ समिति के दो अन्य सदस्यों में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर व वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं. ये विवादित मुद्दों पर सर्वसम्मति बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं.

मुसलमानों ने 1934 में बंद कर दी थी 5 वक्त की नमाज : निर्मोही अखाड़ा

अयोध्या में विवादित स्थल पर अपना दावा करते हुए निर्मोही अखाड़ा ने मगंलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि मुस्लिमों ने बाबरी मस्जिद में प्रतिदिन पांच बार नमाज पढ़ना 1934 में ही बंद कर दिया था और दिसंबर 1949 में जुमे की नमाज भी बंद कर दी थी. निर्मोही अखाड़ा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष कहा कि विवादित भूमि पर उसका दावा 1934 से है, जब कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित भूमि पर अपना दावा 1961 में किया था.

अखाड़ा के वकील ने यह भी दावा किया कि भगवान राम की मूर्ति मस्जिद में 1949 में 22-23 दिसंबर की रात में रखी गईं थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू पक्ष रोज पूजा करते हैं और उन्होंने मुस्लिम पक्षों के दावे को खारिज किया कि विवादित भूमि पर वे रोज नमाज पढ़ते हैं.

निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील जैन ने तर्क दिया कि अगर वहां नमाज नहीं होती है तो उस स्थान को मस्जिद नहीं बोला जा सकता. उन्होंने कहा, ‘हमारा दावा 1934 से है. यहां कोई नमाज नहीं पढ़ी गई है. वकील ने अपने दावे को पुख्ता करने के लिए अदालत के समक्ष एक और सबूत पेश किया. वकील ने कहा कि उस स्थान पर वजू के लिए कोई जगह नहीं है.वजू वह स्थान होता है, जहां मुस्लिम समुदाय नमाज से पहले अपने हाथ धोते हैं.

उन्होंने कहा, ‘वहां 1985 से कोई नमाज नहीं पढ़ी गई तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि एक मस्जिद के तौर पर इसका अस्तित्व कई साल पहले समाप्त हो चुका है.’

 

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