नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस पर किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के लिए, दिल्ली पुलिस की ओर से घोषित रूट ने, प्रदर्शन कर रहे संगठनों को बांट दिया है.
तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे, संयुक्त किसान मोर्चे के बहुत से नेता रूट पर सहमत हो गए हैं, लेकिन अन्य कई नेताओं ने इस बात पर ऐतराज़ जताया है, कि दिल्ली पुलिस उन्हें बाहरी इलाक़ों तक सीमित रख रही है, और उन्हें आउटर रिंग रोड से होकर गुज़रने वाले, वांछित रूट पर आने की अनुमति नहीं दे रही है.
कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसान, दिल्ली की तीन सीमाओं पर जमे हुए हैं-टिकरी, सिंघु और ग़ाज़ीपुर- और तीनों नए क़ानूनों पर अपनी शिकायतों को लेकर, उनकी मोदी सरकार से बातचीत जारी है. अपने विरोध के एक और इज़हार के तौर पर, उन्होंने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में, एक ट्रैक्टर रैली आयोजित करने का फैसला किया है.
तीन बॉर्डर प्वाइंट्स से रैली निकालने के लिए, दिल्ली पुलिस ने तीन रास्तों का ऐलान किया है. एक प्रेस कॉनफ्रेंस में दिल्ली के स्पेशल पुलिस आयुक्त (सीपी) इंटैलिजेंस, देपेंद्र पाठक ने कहा, ‘ट्रैक्टर रैली दिल्ली में टिकरी, सिंघु, और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर्स से दाख़िल होंगी, और अपने शुरुआती बिंदुओं पर ही लौटकर आएंगी. ये रैली कंझावला, बवाना, औचंदी बॉर्डर, केएमपी एक्सप्रेसवे से गुज़रते हुए, सिंघु बॉर्डर से वापस सिंघु आ जाएगी’.
उन्होंने आगे कहा, ‘टिकरी बॉर्डर से ये नांगलोई जाएगी, और नजफगढ़ तथा वेस्टर्न पेरीफरल एक्सप्रेसवे से गुज़रेगी. ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से रैली 56-फुट रोड पर जाएगी, और कुंडली-ग़ाज़ियाबाद-पलवल एक्सप्रेसवे होते हुए, अपने शुरूआती बिंदू पर लौट आएगी’.
पुलिस ने कहा कि ये फैसला, किसानों के साथ कई दौर की बैठकों के बाद किया गया है. दिल्ली पुलिस ने आधिकारिक रूप से कोई समय नहीं बताया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि ट्रैक्टर मार्च, गणतंत्र दिवस परेड के ख़त्म होने के बाद ही शुरू होगी- लगभग 11.30 बजे सुबह.
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रूट को ख़ारिज किया
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे, संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य संगठन, किसान मज़दूर संघर्ष समिति के सचिव, स्वर्ण सिंह पंधेर ने सोमवार सुबह कहा, कि वो ‘उस रूट को स्वीकार नहीं करते, जिसे दिल्ली पुलिस ने प्रस्तावित किया, और संयुक्त किसान मोर्चा ने मान लिया है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी मांग 26 जनवरी की अपनी ट्रैक्टर रैली, दिल्ली में आउटर रिंग रोड पर निकालने की है, भले ही दूसरी किसान यूनियनें कुछ भी करना चाहें’.
सोमवार सुबह सवेरे उन्होंने कहा, ‘हमारी मांगें सुनने के लिए, पुलिस ने आज हमारे साथ एक बैठक करने का आश्वासन दिया है, और हम उनसे अनुरोध करेंगे, कि हमें आउटर रिंग रोड के लिए अनुमति दी जाए. अगर पुलिस को डर है कि आउटर रिंग रोड पर आने के बाद, हम दिल्ली में घुसकर बैठ जाएंगे, तो दूसरे रास्तों पर बैरिकेड्स लगाकर, वो धरने को रोक सकते हैं. लेकिन रैली निकालने की हमारी मांग वही रहेगी’.
हालांकि पंधेर ने कहा कि पुलिस के साथ उनकी मीटिंग, सोमवार सुबह 10 बजे के लिए थी, लेकिन दिल्ली पुलिस का दावा था कि ऐसी कोई मीटिंग नहीं हुई.
एक और किसान यूनियन नेता ने कहा, ‘आख़िरी दौर की बातचीत में, कृषि मंत्री के साथ चर्चा करने वाले, 40 में से 8 किसान नेताओं ने, उस रूट से असहमति जताई है, जो दिल्ली पुलिस की ओर से दिया गया, और जिसे संयुक्त किसान मोर्चे ने मंज़ूर कर लिया है’.
नेता ने आगे कहा, ‘ये मतविरोधी मज़दूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष, सतनाम सिंह पन्नू के नेतृत्व में लामबंद हो रहे हैं, और आउटर रिंग रोड पर पहुंचकर रैली निकालने के लिए, टिकरी और कुंडली बॉर्डर पर बैठी किसान यूनियनों की सहायता से, भीड़ जुटाने की कोशिश कर रहे हैं’.
नाम छिपाने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए, दो अन्य किसान संगठनों- डॉ दर्शन पाल की अगुवाई में क्रांतिकारी किसान यूनियन, और बलबीर सिंह राजेवाल की अगुवाई वाली भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू)- के सदस्यों ने भी रूट पर ऐतराज़ जताया. दोनों संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य हैं.
लेकिन, संयुक्त किसान मोर्चा के ही एक और घटक, भारतीय किसान यूनियन (दाकौण्डा) के एक किसान नेता ने कहा, कि विरोध रैली को उसी रूट पर चलना चाहिए, जिस पर दिल्ली पुलिस के साथ सहमति हुई है.
लीडर ने कहा, ‘चड़ूनी (हरियाणा के एक किसान नेता गुरनाम सिंह चड़ूनी) आठ लोगों की उस कमेटी में सबसे बुज़ुर्ग थे, जो रूट के बारे में दिल्ली पुलिस से बात करने गए थे, और जिन्होंने दिल्ली के बाहरी हिस्सों में, रैली के रूट को अंतिम रूप दिया’. उन्होंने आगे कहा कि बीती रात तक, रूट को मोटे तौर पर स्वीकार कर लिया गया था.
उन्होंने कहा, ‘टिकैत (किसान नेता राकेश टिकैत) ने भी अपनी ओर से, युद्धवीर (टिकैत की बीकेयू के प्रवक्ता युद्धवीर सिंह) को भेजा था, बाक़ी सभी सदस्य किसान यूनियनों के युवा लोग थे’.
नेता ने आगे कहा: ‘अब, उन्हें ग़द्दार बताने और अपना मन बदलने की बजाय, वरिष्ठ नेतृत्व को ख़ामोश रहना चाहिए, और रैली को उसी रूट पर निकालना चाहिए, जिसपर दिल्ली पुलिस के साथ सहमति हुई है. आख़िरी मिनट पर लक्ष्य में बदलाव से और हंगामा होगा, और विरोध को मुश्किल से हासिल हुए सम्मान, और अनुशासन पर असर पड़ेगा’.
दिप्रिंट ने टेक्स्ट और कॉल्स के ज़रिए बीकेयू (दाकौण्डा) महासचिव जगमोहन सिंह, क्रांतिकारी किसान यूनियन के पाल, और बीकेयू (राजेवाल) के राजेवाल से एक अधिकारिक टिप्पणी लेने की कोशिश की, लेकिन इस ख़बर के छपने तक उनका कोई जवाब नहीं मिला.
‘सबसे अच्छी डील’
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि सभी रूट्स ‘आमराय’ से तय किए गए हैं, और वो इससे अच्छी डील पेश नहीं कर सकते.
नाम छिपाने का अनुरोध करते हुए, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमारे पास किसान यूनियनों के वरिष्ठ नेताओं की आमराय है. ट्रैक्टर सिर्फ उन्हीं रूट पर चलेंगे जो तय किए गए हैं. बहुत सारी दख़लअंदाज़ी बाहरी है, और हमें नहीं लगता कि प्रमुख किसान यूनियन नेताओं को, जो इसमें आगे रहे हैं, इससे कोई समस्या है’.
अधिकारी ने कहा, ‘वो चीज़ों को देख रहे हैं. हमने उनके साथ आज (सोमवार) कोई बैठक नहीं की है’.
अधिकारी ने आगे कहा कि रूट पर आपत्ति उठा रहे किसानों को, ‘समझना चाहिए कि हमने उन्हें सबसे अच्छा संभव विकल्प दिया है’.
अधिकारी ने कहा, ‘किसानों को समझना होगा कि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में, पूरी क़ानून व्यवस्था की स्थिति को बाधित नहीं किया जा सकता.
जारी गतिरोध को दूर करने के लिए, सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच, अभी तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई आम सहमति नहीं बन पाई है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अगुवाई में, सरकार ने क़ानूनों को 12-18 महीने के लिए स्थगित करने की पेशकश की है, लेकिन किसान चाहते हैं कि ये क़ानून पूरी तरह वापस ले लिए जाएं.
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