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Friday, 22 November, 2024
होमदेशरफाल पर रिलायंस का साथ देने के आरोप पर मोदी सरकार बैकफुट पर, विपक्ष का हमला तेज़

रफाल पर रिलायंस का साथ देने के आरोप पर मोदी सरकार बैकफुट पर, विपक्ष का हमला तेज़

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रफाल डील पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के उस बयान पर राजनीति गरमा गई है रिलायंस को पार्टनर बनाने का निर्णय उन पर थोपा गया था. उसके बाद राहुल गांधी ने आरोप लगया कि मोदी ने बंद कमरे में रफाल की डील बदलवायी ताकि रिलायंस को फायदा हो

नई दिल्ली: रफाल मामले में भारत सरकार की मुसीबतें उस वक्त बढ़ गई जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ औलैंड ने एक समाचार साइट से कहां कि डसॉल्ट के ऑफसेट पार्टनर के रूप रिलायंस डिफेंस को उनपर थोपा गया.

औलैंड का दावा कि फ्रांस की सरकार और डसॉल्ट के पास अनिल अंबानी को ऑफसेट पार्टनर चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. सीधे तौर पर इस बयान ने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है क्योंकि अभी तक सरकार दावा करती रही थी कि रिलायंस के चुनाव में उसकी कोई भूमिका नहीं थी.

औलैंड के इस वक्तव्य के बाद राजनीति गर्मा गई है. कांग्रेस अध्यक्ष ने इस समाचार के आते ही मोदी सरकार पर ट्वीट वार शुरु कर दिया.

उन्होंने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री ने स्वयं रफाल डील को बंद कमरे में नेगोशियेट किया और बदला. हम फ्रांसुआ औलैंड के शुक्रगुज़ार है कि अब हमें पता चल गया है कि उन्होंने (मोदी) स्वयं करोड़ों डॉलर की डील दिवालिया अनिल अंबानी को सौंप दी. प्रधानमंत्री ने भारत को धोखा दिया है. उन्होंने हमारे सैनिकों की शहादत का अपमान किया है. ”

वहीं भारत सरकार के प्रतिरक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने औंलैंड के वक्तव्य को लगभग खारिज करते हुए कहा है कि ने कहा है कि “ पूर्व राष्ट्रपति श्री औलैंड के वक्तव्य कि भारत सरकार ने एक खास फर्म को डसॉल्ट एविएशन के ऑफसेट पार्टनर के रूप में चुना है, की जांच कर रही है. हम ज़ोर देकर कहना चाहते है कि न भारत और न ही फ्रांस की सरकार का इस वाणिज्यिक निर्णय से कुछ लेना देना था. ”

इस बीच फ्रांस की सरकार की तरफ से भी मामले पर स्पष्टीकरण दिया गया है. फ्रांस के यूरोप और विदेश मामलो के मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “ ..फ्रांस की सरकार किसी भी तरह से भारत के ओद्योगिक पार्टनर्स के चुनाव में शामिल थी जिन्हे फ्रांस की कंपनियों ने चुना या चुनेंगी. फ्रांस की कंपनियों को अपने भारतीय पार्टनर चुनने की पूरी स्वतंत्रता है और वे उन कंपनियों का चुनाव कर सकते हैं जो उनके अनुसार सबसे उपयुक्त है… ”

वही रफाल विमान बनाने वाली डसॉल्ट एविएशन ने भी अपना पक्ष रखते हुए एक बयान जारी किया है. 36 रफाल विमानों को भारत को बेचने के 2016 में हुए कांट्रेक्ट के अनुसार ये दो सरकारों के बीच समझौता है. इसके तहत डसॉल्ट को अपना ऑफसेट पार्टनर चुनना था. “मेक इन इंडिया नीति के अनुरूप डसॉल्ट एविएशन ने भारत के रिलायंस समूह के साथ पार्टनरशिप का फैसला किया. ये डसॉल्ट एविएशन की पसंद है.”

रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने भी बार-बार ये बात कहीं है कि रिलायंस का चुनाव डसॉल्ट का फैसला था और भारत सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं था.

पर औलैंड के हालिया बयान ने भारत सरकार की दिक्कतें बढ़ा दी है और विपक्ष को चुनावी माहौल में सरकार को घेरने का मौका दे दिया है. साथ ही प्रधान मंत्री मोदी जो कहते रहे है –न खाऊंगा न खाने दूंगा- के दावें को निरस्त करने का मौका भी दिया है. इस मामले में कांग्रेस सीधे प्रधानमंत्री को कटघरें में खड़ा कर दिया है.

Read in English : Dassault didn’t pick Anil Ambani’s Reliance as Rafale partner: French ex-president

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