scorecardresearch
Saturday, 23 November, 2024
होमदेशअपराधउन्नाव रेप केस ही नहीं, सेंगर बंधुओं ने पुलिस अफसर के सीने में गोली दागने की भी जांच दबाई

उन्नाव रेप केस ही नहीं, सेंगर बंधुओं ने पुलिस अफसर के सीने में गोली दागने की भी जांच दबाई

उत्तर प्रदेश में खासा रसूख रखने वाले सेंगर बंधुओं ने आईपीएस अफसर वर्मा पर जानलेवा हमले के अहम दस्तावेज न सिर्फ गुम करबा दिए, बल्कि मामले की सुनवाई वर्षो तक टलवा दी.

Text Size:

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के ‘सेंगर बंधुओं’ के हाथों हुए जघन्य अपराधों की फेहरिश्त उन्नाव दुष्कर्म मामले पर आकर नहीं रुकती. अपने लिए न्याय की गुहार लगा रहे डीआईजी रैंक के उत्तर प्रदेश कैडर के एक आईपीएस अधिकारी राम लाल वर्मा पर ‘सेंगर बंधुओं’ ने कभी चार गोलियां दाग दी थीं, जो उनके सीने और पेट में लगी थीं. उत्तर प्रदेश में खासा रसूख रखने वाले सेंगर बंधुओं ने आईपीएस अफसर वर्मा पर जानलेवा हमले के अहम दस्तावेज न सिर्फ गुम करबा दिए, बल्कि मामले की सुनवाई वर्षो तक टलवा दी.

साल 2004 में बतौर पुलिस अधीक्षक वर्मा ने जब उन्नाव के एक अवैध खनन स्थल पर दबिश दी थी, उस दौरान कुलदीप सेंगर के छोटे भाई अतुल सेंगर और उसके गुर्गे ने उन्हें गोली मार दी थी. भाजपा से निष्कासित विधायक और उन्नाव दुष्कर्म मामले के मुख्य आरोपी कुलदीप सेंगर ने उन दिनों ऐसा राजनीतिक दबाव बनाया था कि थाने से महत्वपूर्ण केस डायरियां चोरी हो गईं. यही वजह है कि वर्मा की हत्या के प्रयास जैसे सनसनीखेज मामले की सुनवाई 15 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाई है.

कई तरह की सर्जरी और महीनों अस्पताल में भर्ती रहे आईपीएस अधिकारी राम लाल वर्मा की जान संयोगवश बच गई. आखिरकार कई गोलियों से उन्हें मिले जख्म भर गए. उस नृशंस हमले को याद करते हुए वर्मा ने आईएएनएस से कहा कि उन्हें उन्नाव में गंगा किनारे माफिया गिरोह द्वारा करवाए जा रहे अवैध रेत खनन के बारे में गुप्त सूचना मिली थी. जब वह खनन स्थल पर पहुंचे तो अतुल सेंगर और उसके गर्गे ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी.

वर्मा ने कहा, ‘मुझे चार गोलियां मारी गईं (छाती के पास और पेट में). मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे समय पर एक अस्पताल ले जाया गया. उस गोलीबारी में कुलदीप सेंगर, भाई अतुल और उनके कई गुर्गे शामिल थे.’ उनके मुताबिक, चार बार के विधायक कुलदीप सेंगर अपने रसूख की बदौलत मामले की जांच और मुकदमे की सुनवाई को प्रभावित किया करते थे. उन्होंने जोर देकर कहा, ‘मुकदमे की स्थिति का पता लगाने के लिए मुझे आरटीआई फाइल करनी पड़ी थी. एक आईपीएस अधिकारी होने के बावजूद मेरे साथ जो हुआ, वह बेहद निराश करनेवाला है…मुझे ड्यूटी निभाते समय लगभग मार ही दिया गया था. मगर उस मामले की सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं एक प्रशिक्षण के सिलसिले में अभी चेन्नई में हूं. मैं जब कानपुर पहुंचूंगा, तब आपको इस मामले की जांच की प्रगति से जुड़े सभी ब्योरे उपलब्ध कराऊंगा.’

संयोगवश, वर्मा के बेटे अभिषेक वर्मा भी उत्तर प्रदेश कैडर के 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी के रूप में चयनित हो गए. शीर्ष पुलिस परिवार से होने के बावजूद वर्मा न्याय पाने और अपने मुकदमे की सुनवाई के लिए अपने बेटे के साथ मिलकर संघर्ष कर रहे हैं. राम लाल वर्मा के एक बैच मित्र व यूपी में पदस्थ एक डीआईजी ने कहा, ‘सच तो यह है कि सेंगर उत्तर प्रदेश में शक्तिशाली राजनेता होने के नाते इस मामले की जांच रुकवाने में कामयाब रहे हैं. महत्वपूर्ण केस डायरियां चोरी हो चुकी हैं. गवाहों को धमका दिया गया है. दुख की बात यह है कि ये सब उस मुकदमे में हो रहा है, जिसमें एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पीड़ित है. भारत के प्रधान न्यायाधीश को भी वर्मा के मामले पर संज्ञान लेना चाहिए.” वर्मा के बैच मित्र ने आगे खुलासा किया कि राज्य में रेत खनन का धंधा चलानेवालों पर प्रभुत्व रखनेवाले सेंगर के खिलाफ कार्रवाई करने से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तक डरते हैं.

पुलिस रिकार्ड से पता चलता है कि अतुल सेंगर के खिलाफ उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की बेरहमी से हत्या सहित कई भयानक आपराधिक मामले दर्ज हैं. हाल यह है कि लोकायुक्त ने सेंगर के खिलाफ 125 करोड़ के खनन घोटाले की जांच के जो आदेश दिए हैं, उसे भी अधिकारियों द्वारा दबाया जा रहा है. आईजी रैंक के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने का आग्रह करते हुए बताया, ‘कुलदीप सेंगर जातीय राजनीति करनेवाले नेताओं के अत्यंत प्रभावशाली गुट के हिस्सा हैं. इसी नाते वह हर शासनकाल में शक्तिमान रहे हैं, राजनीतिक विचारधारा उनके लिए कोई मायने नहीं रखता.’

share & View comments