नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दक्षिण भारतीय होटल चेन सर्वना भवन के मालिक पी राजगोपाल की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. अदालत ने राजगोपाल को एक कर्मचारी की पत्नी से विवाह के लिए उसकी हत्या अक्टूबर 2001 में करने को लेकर यह सजा सुनाई है.
न्यायमूर्ति एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजगोपाल को समर्पण करने के लिए 7 जुलाई तक का समय दिया है. शीर्ष अदालत का फैसला मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उसकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखने के फैसले पर आया है. उच्च न्यायालय ने एक निचली अदालत द्वारा दी गई 10 वर्ष की सजा को बढ़ाकर उम्र कैद में बदल दिया था.
राजगोपाल के बेटे पीआर शिवकुमार से आईएएनएस द्वारा संपर्क करने पर उन्होंने कहा, ‘मुझे अभी फैसले के बारे में एक एसएमएस मिला है. मुझे और विवरण मिलने दें.’ सर्वना भवन होटल चेन भारत व विदेश में काफी लोकप्रिय है. इसका प्रबंधन अब शिवकुमार देखते हैं. राजगोपाल को अपने कर्मचारी प्रिंस शांताकुमार की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वह उसकी पत्नी से शादी करना चाहता था.
यह मामला देश के बड़े हाई प्रोफाइल केस में से एक है. उन पर कर्मचारी प्रिंस शांताकुमार के अपहरण और उसकी हत्या का केस चल रहा है. शांताकुमार, जीवाज्योति का पति था, जिससे राजगोपाल शादी करना चाहते था. अक्टूबर 2001 में सर्वना भवन के मालिक राजगोपाल के गुर्गों ने शांताकुमार का चेन्नई के घर से अपहरण कर हत्या कर दी थी. लाश कोडाई पहाड़ियों के जंगल से उसी 13 अक्टूबर 2001 को मिली थी.
गौरतलब है कि सेशन कोर्ट ने राजगोपाल को 10 साल की सजा सुनाई है. मद्रास हाईकोर्ट ने इसे बढ़ाकर 10 साल कर दी थी, जिसके खिलाफ राजगोपाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. यह मामला 1990 के शुरू हुआ जब राजगोपाल की नजर शांताकुमार की पत्नी पर पड़ी थी. वह राजगोपाल के रेस्त्रां चेन में काम करने वाले पूर्व असिस्टेंट मैनेजर की बेटी थी. जब वह उसकी पत्नी से शादी करना चाहता था तो उस समय राजगोपाल की दो पत्नियां थी, लेकिन जीवाज्योति ने शादी करने से मना कर दिया था.