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बुधवार, 14 मई, 2025
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर नहीं लगे हैं ‘हुसैन कौन हैं’ नाम के पोस्टर वाले वाटर कूलर, पुरानी है तस्वीर

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक तस्वीर को व्यापक रूप से इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हाल ही में 'हुसैन कौन है' वाक्यांश के साथ वाटर कूलर लगाये गए हैं.

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नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक तस्वीर को व्यापक रूप से इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हाल ही में ‘हुसैन कौन हैं’ वाक्यांश के साथ वाटर कूलर लगाये गए हैं. इस तस्वीर पर ‘पानी पीयो, हुसैन के बारे में सोचो’ भी लिखा नज़र आता है.

फेसबुक और ट्विटर पर इसे साझा करने वाले यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि इन शब्दों के साथ वाटर कूलर लगाना ‘भारत के इस्लामीकरण’ की दिशा में एक कदम है.

‘अगर श्रीराम लिखा जाता है, तो यह सांप्रदायिक हो जाता है,’ पोस्ट में ये भी लिखा गया है.

विराप्पन सिंह के फेसबुक की इस पोस्ट को 400 लोगों ने साझा किया गया है. ऐसी ही अन्य कई पोस्ट्स हैं जिन्हें ट्विटर और व्हाट्सएप के माध्यम से शेयर किया जा रहा है. हालांकि किसी भी सत्यापित हैंडल या प्रमुख व्यक्तित्व ने अभी तक इसे साझा नहीं किया है.

भारत के #इस्लामीकरण की तैयारी, #दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर पानी पीने से पहले #हुसैन को जानना बहुत जरूरी है, अगर इस पर "जय श्री राम" लिखा होता तो ये साम्प्रदायिक हो जाता, क्या कोई जानता है ये हुसैन कौन था..?

शिवाय हिन्दू यांनी वर पोस्ट केले सोमवार, ११ मे, २०२०

क्या है सच

ये तस्वीर 2018 की है और इसका नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि ये तस्वीर रायपुर की है जिसमें ये कूलर एक ‘हुसैन कौन हैं’ (हु इज हुसैन) नाम की एक सामाजिक संस्था ने स्थापित किया था.

‘हू इज हुसैन’ की स्थापना 2012 में हुई थी और यह ‘समुदायों को धर्मार्थ कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सशक्त बनाने‘ के लिए काम करती है. एनजीओ हुसैन की विरासत से प्रेरित है जो कि पैगंबर मोहम्मद के परिवार का एक सदस्य थे.

रायपुर में वाटर कूलरों पर ‘हुसैन कौन है’ वाक्यांश के बैनर लगे थे, हालांकि, विवाद के कारण इन्हें एक दिन बाद हटा दिया गया था.

Will @drm_raipur & @WesternRly also remove stickers from other kiosks in all railway stations in India? Will Hussaini…

The Milli Gazette यांनी वर पोस्ट केले गुरुवार, १० मे, २०१८

हाल ही में इसी तरह की एक घटना झारखंड में हुई जहां एक फल विक्रेता को पुलिस ने अपनी दुकान से ‘विश्व हिन्दू परिषद्’ द्वारा अनुमति दी हुई हिन्दू फलों की दूकान’ नाम के पोस्टर को हटाने के लिए कहा था. परन्तु रायपुर की इस दो साल पुरानी घटना को दिल्ली का नाम देकर दोबारा शेयर किया जा रहा है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(एसएम होक्सस्लेयर के सहयोग से)

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