भुवनेश्वर: ओडिशा के संबलपुर में यातायात नियमों का सात बार उल्लंघन करने पर नागालैंड में पंजीकृत एक ट्रक पर 6.53 लाख का भारी जुर्माना लगाया गया. सूत्रों ने कहा कि संशोधित मोटर वाहन अधिनियम के लागू होने से पहले 10 अगस्त को यह जुर्माना लगाया गया. जबकि संशोधित अधिनियम 1 सितंबर से लागू हुआ. यह मामला शनिवार को ही सामने आया.
संबलपुर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) ने चालक दिलीप कर्ता और ट्रक मालिक शैलेश शंकर लाल गुप्ता के ट्रक पंजीकरण संख्या- एनएल 08 डी 7079 के लिए चालान काटा. ओडिशा परिवहन विभाग ने कुछ सात ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर पुराने मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ये चालान काटा है. बताया जा रहा है कि
6.53 लाख रुपये में से ट्रक मालिक पर ओडिशा मोटर वाहन कराधान (ओएमवीटी) अधिनियम के तहत 21 जुलाई 2014 से 30 सितंबर, 2019 तक (पांच साल तक) सड़क कर का भुगतान नहीं किया है जिसका 6,40,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया.
सूत्रों ने कहा कि आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) ने भी वाहन बीमा सहित दस्तावेजों को पास में नहीं रखने, वायु और ध्वनि प्रदूषण का उल्लंघन करने, माल वाहन पर यात्रियों को ले जाना और परमिट की शर्तों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया.
चालान की प्रति के अनुसार, रोड टैक्स जुर्माना के अलावा, आरटीओ ने ट्रक मालिक को सामान्य अपराध के लिए 100 रुपये, आदेशों/अवरोधों की अवज्ञा के लिए 500 रुपये, वायु और ध्वनि प्रदूषण के उल्लंघन के लिए 1,000 रुपये और माल वाहन पर यात्रियों को ले जाने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया है.
इसके अलावा, परमिट के बिना वाहन का उपयोग करने या परमिट की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए 5,000 रुपये और बीमा के बिना वाहन का इस्तेमाल करने पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था.
सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मंत्रालय ने जेश में जब से नया ट्रैफिक नियम लागू किया है तभी से हर दिन चालान की खबरें सुर्खियों में बनी हुई हैं. ट्रैफिक नियम बदलते ही सबसे पहले खबर गुरुग्राम से आई थी जिसमें एक स्कूटी चालक का 23 हजार का चलान कटा था लेकिन उसके बाद ऐसा खबरें आना आम बात हो गई है. पिछले दिनों दिल्ली में परिवहन विभाग की एनफोर्समेंट टीम ने भी 2 लाख 500 रुपये का चालान काटा था, जिसे देश का अब तक का सबसे बड़ा चालान कहा जा रहा था.
वैसे बदले नियम के बाद से भाजपा शासित कई राज्यों ने इस नियम में ढील दी है. नियमों में सबसे पहले ढील दी गुजरात सरकार ने उसके बाद उत्तराखंड और महाराष्ट्र सरकार ने भी ढील दी. जबकि मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकार ने इस नियम को अपने राज्य में लागू ही नहीं किया है.
(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)