scorecardresearch
Saturday, 2 November, 2024
होमदेशअपराधमुस्लिम रोगियों से जुड़े विवादित विज्ञापन पर मेरठ के अस्पताल ने मांगी माफी, संचालक के खिलाफ एफआईआर

मुस्लिम रोगियों से जुड़े विवादित विज्ञापन पर मेरठ के अस्पताल ने मांगी माफी, संचालक के खिलाफ एफआईआर

17 अप्रैल को यहां के स्थानीय अखबारों में आए विज्ञापन में लिखा था कि यहां भर्ती होने वाले मुस्लिम मरीजों और तीमारदारों को कोरोनावायरस की जांच रिपोर्ट निगेटिव होगी तभी अस्पताल में करेंगे भर्ती. विवाद होने पर छपवाया स्पष्टीकरण.

Text Size:

लखनऊ: यूपी के मेरठ जिले के एक निजी अस्पताल द्वारा अखबार में दिए गए विज्ञापन से विवाद खड़ा हो गया जिस कारण संचालक पर रविवार को एफआईआर दर्ज कर ली गई है. दरअसल, 17 अप्रैल को यहां के स्थानीय अखबारों में आए विज्ञापन में लिखा था कि यहां भर्ती होने वाले मुस्लिम मरीजों और तीमारदारों को कोरोनावायरस की जांच कराकर और उसकी निगेटिव रिपोर्ट ही लानी होगी तभी अस्पताल में भर्ती करेंगे. इस विज्ञापन को लेकर जब विवाद खड़ा हुआ तो अस्पताल ने रविवार को स्पष्टीकरण छपवाया.

अखबार की ओर से छपवाए गए स्पष्टीकरण में कहा गया है, ‘हमारी इस वैश्विक आपदा में सभी धर्मों (मुस्लिम, हिंदू, जैन, सिख, ईसाई) के लोगों के साथ मिल-जुलकर लड़ने का आग्रह करने की रही. किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की हमारी मंशा कभी नहीं रही है.’ हालांकि पूरे स्पष्टीकरण में कहीं भी मुस्लिमों को बिना टेस्ट रिपोर्ट की बात नहीं कही गई है.

अस्पतला का स्पष्टीकरण.

दर्ज हुई एफआईआर

मेरठ के एसपी ग्रामीण अविनाश पांडे ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि विवादित विज्ञापन के मामले में अस्पताल के संचालक अमित जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. उनके खिलाफ धारा 188, 295( ए) और 505(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है जिसमें प्रशासन के जरूरी आदेश का पालन न करना, किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने का आशय, विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करना शामिल है.

एसपी के मुताबिक ऐसे कठिन वक्त पर धर्म के नाम पर घृणा फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं अस्पताल की ओर से दिए स्पष्टीकरण में भी कुछ साफ नहीं हो रहा है. ऐसे में संचालक पर कार्रवाई की प्रकिया शुरू हो गई है.

मीडिया से बातचीत में अस्पताल के संचालक अमित जैन ने कहा कि विज्ञापन गलत तरह से छप गया जिसका उन्हें खेद है. किसी भी धर्म के खिलाफ उनके मन में कोई नफरत नहीं है. वे चाहते हैं कि सब एकजुट होकर कोरोनावायरस का मुकाबला करें.

स्थानीय अखबार में छपवाया गया विज्ञापन.

क्या छपा था विज्ञापन में

दरअसल, वैलेंटिस अस्पताल ने 17 अप्रैल को कोरोनावायरस संक्रमण पर स्थानीय अखबार में छपवाए विज्ञापन में भारत में वायरस फैलने के लिए तबलीगी जमात को जिम्मेदार ठहराया. इसके अतिरिक्त विज्ञापन में अस्पताल में मुसलमानों को भर्ती करने पर दिशा-निर्देश जारी किए. अस्पताल ने इन दिशानिर्देशों में से शिया मुसलमानों के अलावा उन मुसलमानों को भी छूट दे रखी थी जो डॉक्टर हों, पैरामेडिकल सेवाओं से जुड़े हों या फिर जज, पुलिस, या अफ़सर हों.

वहीं विज्ञापन में ये भी कहा गया कि उन मुसलमानों को भी नियम से छूट देने की घोषणा कर रखी थी जो घनी आबादी में न रहते हों. इसके स्पष्टीकरण में कहा कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना हमारा उद्देश्य नहीं था.

लखनऊ की रहने वाली सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने अस्पताल संचालक के खिलाफ मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने कहा है कि धार्मिक विद्वेष फैलाने वालों पर कार्रवाई जरूरी है.

share & View comments