लखनऊ : यूपी के कासगंज में बीते मंगलवार को बदमाशों ने दो पुलिसकर्मियों को बेरहमी से पीटा जिसमें एक सिपाही की मौत भी हुई और एक सब-इंस्पेक्टर बुरी तरह घायल हो गया. इस घटना ने न केवल कानपुर के बिकरू कांड की याद दिला दी बल्कि यूपी पुलिस की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ये कोई पहला मौका नहीं जब इस तरह की घटना यूपी मे हुई है पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं लेकिन फिर भी यूपी पुलिस की आंखें नहीं खुलीं.
तैयारियों पर खड़े हुए सवाल
पूर्व डीजीपी आनंद लाल बनर्जी का कहना है कि इस तरह की घटनाओं में ट्रेनिंग की कमी साफ दिखती है. अगर कासगंज की घटना की बात करें तो इसमें भी ये कमी दिखी. अगर आप किसी शराब माफिया के घर नोटिस चस्पा करने जा रहे हैं तो आपको फोर्स के साथ जाना चाहिए. बिकरू कांड, बुलंदशहर घटना की अलग-अलग वजहें थीं लेकिन इन तमाम घटनाओं में बेसिक ट्रेनिंग स्किल्स को ध्यान में नहीं रखा गया. वहीं इनपुट्स का भी सही इस्तेमाल नहीं दिखा की ग्राउंड जीरो पर क्या हालात हैं.
यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह के मुताबिक, यूपी पुलिस नेताओं पर तो पूरी तैयारी से कार्रवाई करने आती है लेकिन अपराधियों पर कार्रवाई करने से पहले पूरी तैयारियों से क्यों नहीं जाती. अपराधियों के मकान गिरा देना काफी नहीं है. हमारा जवान इसमें शहीद हुआ है. ये सरकार सिर्फ मुआवजा देकर मामल निपटा देगी लेकिन ये चिंता का विषय है. इससे अपराधियों के हौंसले बुलंद होते हैं.
कई बार पुलिस बनी शिकार
सोशल मीडिया पर इस घटना को कानपुर में हुए विकास दुबे कांड से मिलता-जुलता बताया जा रहा है. दरअसल 2 जुलाई 2020 को कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई तो विकस व उसके साथियों ने 8 पुलिस वालों की हत्या कर दी थी. विकास को पुलिस के आने की सूचना पहले से ही हो गई थी जिस कारण उसने अपने साथियों को मकान के आस-पास तैनात कर दिया था और घर के बाहर जेसीबी खड़ी कर दी थी जिसके बाद पुलिस के गली में घुसते ही हमला हो गया इसके बाद 9 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर से नाटकीय अंदाज में विकास की गिरफ्तारी हुई थी. वहीं 10 जुलाई की सुबह कानपुर जिले के बाॅर्डर के पास उसका एनकाउंटर कर दिया गया. जिस नाटकीय ढंग से ये एनकाउंटर हुआ उस पर भी काफी सवाल उठे थे.
– 3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के स्याना के चिंगरावठी में गौकशी की अफ़वाह के कारण हिंसा हुई थी. इस हिंसा में यूपी पुलिस के इंस्परेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या तब हुई जब वे बवाल शांत कराने गांव में घुसे थे. उनके साथ उनकी टीम भी थी लेकिन वह भी इंस्पेक्टर को नहीं बचा सकी. गौकशी के बाद भड़की इस हिंसा में 22 नामजद और 50-60 अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
– 2 जुलाई 2019 को मुज़फ़्फरनगर में बदमाशों की गोली से सब-इंस्पेक्टर दुर्ग विजय सिंह की मौत हो गई. दरअसल विजय सिंह मिर्जापुर में बंद अपराधी रोहित उर्फ सांडू को एक जुलाई को कांस्टेबल सुनील उपाध्याय, सुनील प्रजापति, अखिलेश राय के साथ पेशी के लिए मुजफ्फरनगर लेकर गए थे. 2 जुलाई को लौटते समय रास्ते में ढाबे पर भोजन करते समय बदमाशों ने पुलिस टीम पर हमला कर रोहित को छुड़ा लिया. इस दौरान सब-इंस्पेक्टर दुर्ग विजय सिंह की मौत हो गई.
जब पुलिस का एनकाउंटर बना मजाक
बता दें कि यूपी पुलिस के एनकाउंटर करने के तरीकों पर भी सवाल कई बार उठे हैं. अक्टूबर 2018 में संभल जिले का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पुलिस की पिस्तौल खराब होने पर एसआई ने मुंह से ‘ठांय ठांय’ बोलकर एनकाउंटर किया था. इस वीडियो पर यूपी पुलिस की खूब चुटकियां ली गई थीं.
यूपी पुलिस की ओर से फिलहाल तैयारियों की कमी को लेकर कोई भी बयान नहीं दे रहा है. डीजीपी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन नहीं हो पाया. डीजीपी के पीआरओ की तरफ से बताया गया कि डीजीपी ने एक न्यूज एजेंसी को इस घटना को लेकर बयान जारी किया है. बस वही ऑफिशियल बयान है.
We were running an operation against the illicit liquor mafia & our team went to the village in this regard. Our Sub Inspector & Constable had gone to arrested the accused and execute a legal process. This attack is a matter of concern & we are taking it seriously: DGP HC Awasthi pic.twitter.com/W1zczKsTN3
— ANI UP (@ANINewsUP) February 10, 2021
डीजीपी एचसी अवस्थी के मुताबिक, मंगलवार सुबह आरोपियों की सूचना मिलने पर सीनियर अधिकारी स्पॉट पर पहुंच गए थे. हमने टीमें भी बना ली थी. इसके बाद एक आरोपी ने पुलिस की टीम पर हमला किया जिसमें जवाबी कार्रवाई में उसकी जान चली गई. वहीं अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द होगी. वहीं एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने मीडिया को बताया, ‘आरोपी का भाई मारा गया है, जबकि अन्य अभियुक्तों की तलाश चल रही है. मुख्यालय पर दो सूचना प्राप्त हुई हैं, इस आधार पर अन्य साथी जल्द गिरफ्तार किए जाएंगे. मुख्य अभियुक्त मोती जिसकी तलाश में पुलिस गई थी उसको हम गिरफ्तार करेंगे. अलीगढ़ क्षेत्र के आईजी और आगरा जोन के एडीजी ने स्थानीय घटना का निरीक्षण किया.’
क्या हुआ कासगंज में
दरअसल बीते मंगलवार शाम जिले के सिढ़पुरा थाना इलाके के गांव नगला धीमर में अवैध शराब के मामले मेंं दरोगा अशोक कुमार व सिपाही देवेंद्र नोटिस तामील करने पहुंचे जहां उन पर हमला हो गया. बदमाशों ने सिपाही को पीट-पीटकर मार डाला तो वहीं दारोगा की वर्दी उतरवाकर बुरी तरह पीटा. दरोगा और सिपाही को अलीगढ़ मेडिकल कालेज रेफर किया गया है लेकिन सिपाही की मौत हो गई और दारोगा की हालत गंभीर बनी हुई है.