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Wednesday, 20 November, 2024
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गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला की बेल की सुनवाई 23 मई को

सीजेआई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला की जमानत रद्द करने की सुनवाई 23 मई को होगी. महिला पर धोखाधड़ी, धमकाने और आपराधिक साजिश का मामला है दर्ज.

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नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला की जमानत रद्द करने की सुनवाई अब 23 मई को होगी. मामला मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनीष खुराना की पटियाला हाउस अदालत के समक्ष आया था. पर मामला इसलिए स्थगित कर दिया गया क्योंकि आरोप लगाने वाली महिला अदालत ही नहीं पहुंची. अदालत को बताया गया कि जांच अधिकारी ने महिला को नोटिस दिया ही नहीं. बता दें कि महिला पहले सुप्रीम कोर्ट में ही काम करती थी. उसने आरोप लगाया था कि मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने पिछले साल अक्टूबर में उसका यौन उत्पीड़न किया था.

महिला पर धोखाधड़ी (धारा 420), 506 ( आपराधिक धमकाना), 120B (आपराधिक साजिश) का मामला, झज्जर के एक नवीन कुमार की 3 मार्च की शिकायत पर दर्ज किया गया है. इस बीच महिला के वकील वीके ओहरी और पवन मदान ने दो और याचिका दायर की हैं जिसमें मांग की गई है कि उनकी संपत्ति उन्हें वापिस की जाए. इनमें उनके दो मोबाइल फोन, डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर और कंप्यूटर हार्ड डिस्क शामिल है. महिला के वकीलों ने कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो वे उपयुक्त समय पर फिर अर्ज़ी डालेंगे. पुलिस का पक्ष इंस्पेक्टर मुकेश अंतिल ने रखा. उन्होंने इस बात का खंडन किया कि महिला के पति के मोबाइल की जब्ती का कोई मेमो नहीं दिया गया था.

क्या है पूरा मामला, तीन जजों की बेंच कर रही है सुनवाई

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति कर रही है. सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश गोगोई पर एक पूर्व महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. बोबडे शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीश के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं और पैनल का गठन मंगलवार को किया गया.

समिति के गठन से परिचित एक सूत्र ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि जस्टिस एन.वी. रमन (शीर्ष अदालत में नंबर तीन के जज) और न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी को आरोपों की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

सूत्र ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने न्यायाधीश बोबडे से इस मुद्दे की अगुवाई करने के लिए कहा. प्रधान न्यायाधीश द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्व कर्मचारी के कथित यौन उत्पीड़न के बारे में रिपोर्ट 20 अप्रैल को प्रकाशित की गई थी. सूत्रों ने कहा कि आरोपों के स्वरूपों के मद्देनजर सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश गोगोई के खिलाफ शिकायत के मामले में भविष्य में उठाए जाने वाले कदम को लेकर विस्तार से चर्चा की.

सर्वोच्च न्यायालय के वकील संघों ने सोमवार को मामले की निष्पक्ष जांच को लेकर आवश्यक कदम उठाने के लिए एक ‘फुल कोर्ट’ के गठन की मांग की थी. पिछले हफ्ते, सर्वोच्च न्यायालय क एक पूर्व जूनियर महिला कर्मचारी ने 22 न्यायाधीशों को लिखित शिकायत भेजकर आरोप लगाया था कि प्रधान न्यायाधीश ने अक्टूबर 2018 में उसका यौन उत्पीड़न किया था .

20 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय ने मामले पर तत्काल विशेष सुनवाई की और एक विशेष पीठ का गठन किया जिसमें प्रधान न्यायाधीश शामिल थे.

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