भोपाल: 2021 में पीटे गए, धमकी दी गई, गाली-गलौज की गई और फिर लगभग चार महीने तक जेल में रहे चूड़ी बेचने वाले तस्लीम अली आज राहत महसूस कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश से आने वाले इस व्यक्ति को मध्य प्रदेश के एक अदालत ने इंदौर में एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप समेत सभी आरोपों से बरी कर दिया.
विभिन्न आरोपों में, 25 वर्षीय तस्लीम अली पर इंदौर के बंगनागा की संकरी गली में चूड़ियां बेचते समय अपनी पहचान छिपाने का आरोप था. 22 अगस्त 2021 को हुई इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें हारदोई निवासी तस्लीम अली को गुस्साई भीड़ द्वारा पीटे जाते हुए देखा गया था.
इसके बाद आरोप लगा कि तस्लीम ने चूड़ियां बेचने के दौरान एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ की कोशिश की. एफआईआर में उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) के साथ-साथ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम सहित सात धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
नाबालिग ने आरोप लगाया था कि तस्लीम ने छेड़छाड़ के इरादे से उसका हाथ पकड़ा और उसके गालों को छुआ और उससे कहा, ‘तुम कितनी सुंदर दिखती हो.’ लड़की के बयान पर आधारित एफआईआर के मुताबिक, अली ने उसे जान से मारने की धमकी दी थी.
हालांकि, तीन साल बाद, जैसे ही मामला अतिरिक्त सत्र अदालत में पहुंचा, नाबालिग ने अपने बयान से यू-टर्न ले लिया.
तस्लीम के वकील असलिम अली ने दिप्रिंट को बताया, “वह तस्लीम को नहीं पहचानती और उसने उसे कभी नहीं देखा है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें 22 अगस्त को हुई घटना के बारे में नहीं पता था. उसने कहा कि वह अपने घर के अंदर थी जब उसके इलाके में उसके घर के बाहर बहस हो रही थी, लेकिन उसे घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और न ही यह क्यों हुआ था. नाबालिग के साथ-साथ उसके माता-पिता दोनों ने भी तस्लीम को जानने से इनकार किया.”
जबकि उन पर अलग-अलग नामों से वोटर कार्ड और आधार कार्ड रखने का आरोप लगाया गया था, जांच से पता चला कि तसलीम और उनके पिता दोनों के आधिकारिक दस्तावेजों में अलग-अलग नाम थे. जब एक जांच टीम उसके गांव हरदोई पहुंची तो पता चला कि पिता की पहचान मोहर सिंह और मोहर अली के रूप में हुई, जबकि तसलीम को गोलू, भूरा और असलीम के नाम से जाना जाता था.
न्यायाधीश रश्मी वाल्टर ने सोमवार को अपने आदेश में लिखा, “जांच करने और गवाहों से जिरह करने के बाद, यह स्थापित नहीं हुआ है कि आरोपी ने नाबालिग का हाथ पकड़ा था या उसके साथ छेड़छाड़ करने के इरादे से बल का इस्तेमाल किया था. न ही इस बात का कोई सबूत है कि उसने नाबालिग को धमकी दी थी. इसके अलावा यह स्थापित नहीं किया जा सका कि तस्लीम ने जानबूझकर कोई फर्जी पहचान पत्र दिखाकर नाबालिग के माता-पिता को गुमराह करने की कोशिश की और इस तरह उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया गया.”
वकील असलीम अली ने दिप्रिंट को बताया कि तसलीम बस चूड़ियां बेच रहा था, तभी कुछ लोग उसके पास आए, उसकी पहचान पूछी और उसे पीटना शुरू कर दिया.
उन्होंने घटना का वीडियो भी बनाया लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद हंगामा मच गया. तस्लीम ने थाने पहुंचकर पिटाई करने वाले लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. वे दो दिन बाद पुलिस स्टेशन पहुंचे और तसलीम के खिलाफ छेड़छाड़ का फर्जी मामला दर्ज कराया. वकील ने कहा, हमने अदालत के सामने साबित कर दिया कि उसके दस्तावेजों में एक त्रुटि के कारण कई नाम थे और नाबालिग ने अपना बयान बदल दिया था.
जेल से बाहर आने के बाद, बंजारा समुदाय के चूड़ी बेचने वाले तस्लीम अली और उनके भाईयों ने उस खराब अनुभव के कारण इंदौर आना बंद कर दिया.
तस्लीम के छोटे भाई इरफ़ान ने कहा अली ने दिप्रिंट को बताया, “हमने अब महाराष्ट्र के अकोला में एक छोटी सी दुकान किराए पर ले ली है और घर-घर जाकर चूड़ियां बेचना बंद कर दिया है. हम उतने पैसे नहीं कमा सकते, और दुकान का किराया भी देना होगा, लेकिन मेरे भाई के साथ जो हुआ उसने हमें सिखाया कि बिना किसी गलती के दुर्व्यवहार का सामना करने से बेहतर है कि सम्मान के साथ कम कमाया जाए.”
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