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Monday, 29 April, 2024
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दिल्ली में बेची गई झारखंड की आदिवासी लड़की- होता रहा रेप, भागी-भटकी फिर 2 महीने पैदल चल कर घर पहुंची

एक रिपोर्ट के मुताबिक सेक्स ट्रैफिकिंग के मामले में भारत में लगभग दो लाख करोड़ रुपए का कारोबार सालाना होता है. जिसमें झारखंड अव्वल नंबर पर है.

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रांची: गांव के एक लड़के ने कहा वह नौकरी दिलाएगा. लड़की मान गई और उसके साथ चली गई. दिल्ली में बेच दिया जिसके यहां बेची गई, दो महीने तक झाड़ू-पोछा किया. उसका बलात्कार हुआ और होता रहा. एक दिन चार लड़के एक साथ रेप करने की कोशिश करने लगे. अपने जीवन को दांव पर लगाया और दूसरी मंजिल के नीचे कूद गई.

राजधानी रांची से लगभग 400 किलोमीटर दूर बरहेट थाना है. संथाली, पहाड़िया, पड़हिया आदिवासी बहुल. बरहेट थाना से 15 किलोमीटर दूर श्रीरामपुर गांव की इस लड़की से बीते 7 जनवरी की सुबह को जब मिला तो पास के चापाकल (हैंडपंप) से घड़े में पानी भरकर घर ला रही थी. उसकी मां खेत में काम करने गई थी.

लड़की के अनुसार उसने भागना शुरू किया और फिर लगातार लगभग दो महीने तक भागती रही. दिनभर सड़कों पर चलती रही. रात को अस्मत बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ जाती. अंधेरा खत्म होते ही फिर चलना शुरू करती. लगभग दो महीने पैदल चलती रही. रास्ता पता नहीं था. दिल्ली से चलती-चलती वह मध्य प्रदेश के सीधी जिला पहुंच गई.

वहां बेहोशी की हालत में लोगों को मिली. पुलिस आई थाने और फिर वन स्टॉप सेंटर ले गई. कमजोरी से उसकी आंखें बाहर निकली लग रही थीं. शरीर में केवल हड्डी नजर आ रही थी. चार दिन बाद वह बोलने के हालात में आई. केवल संथाली भाषा जानती थी. हिन्दी या दूसरी भाषा न तो कभी सुना था, न ही बोली थी. बात-बात में उसके मुंह से निकल गया झारखंड.

पुलिस ने तलाशना शुरू किया. संपर्क हुआ धनबाद के युवक अंकित राजगढ़िया से. उसने अपने एक दोस्त जो संथाली जानता था, उससे उसकी बात कराई. गांव और पिता के नाम का पता चला. अंकित ने घर जाकर तस्दीक की और तसल्ली होने के बाद उसने साहिबगंज पुलिस को मामले की जानकारी दी. अखबारों में खबर छपी. लड़की वापस गांव पहुंची. मामला बरहेट थाना आईपीसी की धारा 370 (मानव तस्करी, सात से 10 साल की कठोर कारावास, नाबालिग की तस्करी में एक से अधिक बार पकड़े जाने पर आजीवन कारावास) और 371 (दासियों की खरीद-बिक्री, 10 साल से लेकर आजीवन कारावास) कांड संख्या 152/19 के तहत दर्ज की गई है.

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बरहेट थाने का बोर्ड|आनंद दत्ता

अस्मत बचाने को रात को चढ़ जाती थी पेड़ पर

ये झारखंड की एक पहाड़िया आदिवासी लड़की है जिसके पिता मर चुके हैं. घर में मां के अलावा भाई और उसका परिवार है. मजदूरी से ही घर चलता है. गांव के एक लड़के सृजन मुर्मू ने कहा मिशनरी में नौकरी दिलवा देगा. पांच हजार रुपए महीना मिलेगा. तैयार हो गई. झारखंड से पुरानी दिल्ली ले जाकर सृजन ने उसे बेच दिया. इस लड़की के साथ उसी के गांव की एक और लड़की थी. पास के गांव की भी एक लड़की थी. सब बेच दी गई थीं.

लड़की बताती है- ‘उसे एक ऑफिस में रखा जाता था. वहीं झाडू-पोछा लगाने का काम करती थी. रात को खरीदार उसके साथ रेप करता था. विरोध करने पर चाकू दिखाता था. एक रात चार लड़के आ गए, वह बहुत बड़े और हट्टे-कट्ठे थे. हम तीन लड़कियां एक साथ खड़ी थीं. एक ने उसका हाथ पकड़ा ही था, हाथ छुड़ाकर घर की खिड़की से हम तीनों कूद गईं. रास्ते में किसी होटल के आगे फेका खाना खा लेती थीं. लोग पागल समझते थे, इसलिए कुछ कहते नहीं थे. नहाई नहीं, सो शरीर से बदबू आने लगी थी. डर से पेड़ पर सोती नहीं थी. दिन में कभी झपकी लेती थी. फिर चलना शुरू कर देती थी.’

श्रीरामपुर की दो लड़कियां अब भी गायब हैं. गायब हुई लड़की लुक्खी सोरेन के पिता हृदन सोरेन (60) बीमार हैं. छोटी बहन रो रही है. वह भी सृजन मुर्मू का नाम लेती है कि वही उसकी बहन को ले गया. जब उसे वापस लाने को कहा तो 2500 रुपया देने को कहा. वह पैसा लेकर गया, अभी तक वापस गांव नहीं आया है. पास के घर की एक और महिला बताती हैं कि उसकी भी बेटी ठकराइन सोरेन को छोटो मुर्मू तीन साल पहले ले गया. वह आज तक लौट के नहीं आई. उसकी छोटी बेटी (शादी हो गई है) ने एक बार कोलकाता में उसे कहीं देखा था लेकिन उसे याद नहीं कि कहां देखा था. मामला पुलिस में दर्ज नहीं है, पैसा और पति नहीं, ऐसे में बेटी को ढूंढे़ तो कैसे. पास के ही लेटरा बस्ती की भी एक लड़की गायब है.

लुक्खी सोरेन के मामले में साहेबगंज एसपी अमन कुमार ने बताया कि इस इलाके में यह अब आम बात हो चली है. अमन कुमार ने कहा कि लुक्खी सोरेन के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है. पता कराते हैं. वैसे उन इलाकों से लड़कियां काम करने के लिए भी जाती हैं.

स्थानीय पत्रकार अजीत झा कहते हैं. इस इलाके में पहाड़िया, संथाली आदिवासी लड़की का बाहर जाना और फिर वापस लौट कर नहीं आना, आम बात हो गई है. यह मामला चर्चा में आ गया तभी तो आप रांची से यहां पहुंच गए हैं. हम लोगों के लिए यह आम बात है. आए दिन खबर छापते हैं, लेकिन कुछ होता नहीं है.

व्यवसायी नारायण प्रसाद साह ने इस खबर को पूरा करने में द्विभाषिये का काम काम किया. बताते हैं- श्रीरामपुर ही नहीं, पहाड़ के किसी भी गांव में चले जाइए, हर गांव से दो-चार लड़की ऐसे ही गायब हैं.

नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ में सहायक प्रेफोसर रहे अफकार अहमद अपने एक रिसर्च में भी इस बात का जिक्र किया है कि झारखंड के उरांव, मुंडा, संथाल, पहाड़िया (आदिम जनजाति) गोंड, जनजाति की लड़कियां सबसे अधिक इसका शिकार हैं. खासकर उरांव और मुंडा जनजाति सबसे अधिक प्रभावित हैं.

वह कहते हैं, ‘रांची, खूंटी के इलाके में बड़ी संख्या में फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी खुली हैं. पहले तो ये ट्रेनों से मानव तस्करी करते थे, तो थोड़े-बहुत पकड़ में आ जाते थे. अब तो बसों और ट्रकों से ये धंधा हो रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि इम्मॉरल ट्रैफिकिंग प्रिवेंशन एक्ट की जानकारी पुलिस के अफसरों को ही नहीं है. निचले कर्मियों को कहां से पता होगा. उनके लिए वर्कशॉप नहीं कराए जाते हैं.’

इंडिया टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सेक्स ट्रैफिकिंग के मामले में भारत में लगभग दो लाख करोड़ रुपए का कारोबार सालाना होता है.

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बहरहेट बाजार में जहां खरीदारी करने पहुंचते हैं आदिवासी | आनंद दत्ता

मानव तस्करी में झारखंड देशभर में अव्वल

बरहेट में मंगलवार को हाट-बाजार लगता है. केबल ऑपरेटर राजकुमार बताते हैं कुछ डील तो यहीं होती है, कुछ पास के मंदिर शिवगादी धाम के पास. क्योंकि आदिवासी पहाड़ से हाट-बाजार के दिन ही उतरते हैं. सब्जी, जड़ी-बूटी, कबूतर, मुर्गा बेचते हैं और उसी पैसे से जरूरत का सामान खरीद कर वह पहाड़ चले जाते हैं. लौटने का रास्ता शिवगादी मंदिर होकर ही जाता है. यहां के एक वृद्ध आदिवासी पुरुष ने बताया कि उनके गांव बीचमाको की एक लड़की दो दिन पहले ही गई है. उसे पचकटिया के तीलू नाम का युवक ले गया है. पास खड़ी एक महिला ने बताया कि चेन्नई लेकर गया है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक 2018 में पूरे देशभर में मानव तस्करी के सबसे अधिक 373 मामले झारखंड में दर्ज किए गए हैं. इसमें 314 नाबालिग लड़कियों की तस्करी हुई है. दर्ज मामलों के आधार पर 158 लोगों को मुक्त कराया गया. आंकड़ों के मुताबिक 58 फोर्स लेबर, 18 देह व्यापार, 34 घरेलू कामकाज, 32 बलपूर्वक शादी, 7 मामले भीख मांगने के लिए तस्करी में कराए गए. वहीं दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र 311, तीसरे स्थान पर असम में 262 मामले दर्ज किए गए हैं और देशभर में कुल 2,367 मामले दर्ज किए गए हैं.

झारखंड पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 2013 से 2019 तक कुल 608 मामले दर्ज कराए गए. इसमें 736 महिलाएं और 182 पुरुषों को मुक्त कराया गया. वहीं इस दौरान कुल 555 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया. जिसमें 355 पुरुष और 200 महिलाएं शामिल हैं.

वहीं झारखंड पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक राज्य के आठ जिलों रांची, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, गुमला, चाईबासा, दुमका और पलामू में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाया गया है. इसमें साहिबगंज सहित अन्य जिला शामिल नहीं हैं. 2016 में झारखंड सरकार ने प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसीज एंड डोमेस्टिक वर्कर्स रेगुलेशन एक्ट पास किया.

इसके मुताबिक कोई भी व्यक्ति या एजेंसी यह काम (लोगों को बाहर ले जाकर रोजगार देना) तभी कर सकता है जब वह रजिस्ट्रेशन करा चुका है. इसके बाद जिसे (लड़का या लड़की) वह बाहर ले जाता है उसका पूरा स्थानीय पता, जिस जगह नौकरी देता है उसका पता, बैंक खाता, प्रत्येक माह सैलरी आदि की सूचना देना होता है. इसकी जानकारी उसे जिलाधिकारी के कार्यालय में भी जमा कराना होता है. अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो उसे दो साल की जेल और दो लाख रुपए जुर्माना भरना होगा. साथ ही संस्थान या व्यक्ति के रजिस्ट्रेशन में किसी तरह की गलती होने पर एक साल की जेल और 20 हजार रुपए जुर्माना देना होगा.

मानव तस्करी के आरोपी ने कहा फरवरी में वह लड़की को भेज देगा 

साहिबगंज जिले के पंचायत के एक जनप्रतिनिधि ने नाम न छापने की शर्त पर आरोप लगाते हुए कहा कि चार लोग इस काम में पिछले 10 साल से लगे हुए हैं. उनके मुताबिक ये लड़की को 30 हजार में बेचते हैं. फिर जो खरीदता है, वह इनके अकाउंट में हर महीने अलग से एक हजार रुपए भेजता है. ये कहना मुश्किल है कि अब तक कितने लड़कियों को बेचा है.

इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली में छपी एक सर्वे में इसका मुख्य कारण गरीबी बताया गया है. साथ ही अधिकतर मामलों में पड़ोसी या कोई जानने वाला ही ऐसा (तस्करी) कर रहा होता है.

कभी तस्करी के शिकार हुए और अब पिछले 10 सालों से एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के क्षेत्र में काम कर रहे बैद्यनाथ कुमार बताते हैं झारखंड में बकरे की कीमत 80 हजार है तो लड़कियों की कीमत 30 हजार रुपए.

सूत्र के जरिए मानव तस्कर के आरोपी दुर्योधन पंडित से बात हुई तो उसने साफ कहा कि वह जनवरी के बाद चार लड़की भेज देगा. 30 हजार के बदले 50 हजार और प्रतिमाह एक हजार के बदले तीन हजार के ऑफर को भी वह मान लिया. साफ शब्दों में कहा कि इन लड़कियों से चाहे जो काम कराइए, उसे मतलब नहीं. यौन शोषण के बार में पूछने पर कहा कि कीजिए, कोई दिक्कत नहीं है. तस्करी के आरोपी राजू ठाकुर ने बताया कि अब वह इस काम को छोड़ चुका है. पहले उसे एक लड़की के 25-30 हजार रुपए मिलते थे.

गिरफ्तार मानव तस्कर पन्ना लाल के पास 80 करोड़ की संपत्ति

बीते साल झारखंड के एक बड़े मानव तस्कर पन्ना लाल को गिरफ्तार किया गया. उसकी पत्नी सुनीता देवी भी इस काम में शामिल रही है. दोनों की संपत्ति ईडी के मुताबिक लगभग 80 करोड़ रुपए बताई गई है. बैद्यनाथ कुमार यह भी बताते हैं कि इस वक्त 250 से अधिक मानव तस्करों के नाम पुलिस के पास हैं. पता नहीं उन पर कब कार्रवाई होगी.

इन मामलों को लेकर कानून, सरकार, पुलिस, एनजीओ…सब काम कर रही हैं. बस रुक नहीं रहा है तो इन आदिवासी लड़कियों की तस्करी. उनका शारीरिक और यौन शोषण.

अंत में, बरहेट सीएम हेमंत सोरेन का विधानसभा क्षेत्र है. वह दो जगहों से चुनाव जीते थे जिसमें दुमका सीट उन्होंने छोड़ दी है.

(लेखक झारखंड से स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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