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Friday, 29 March, 2024
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कठुआ में 8 साल की लड़की के बलात्कार-हत्या की जांच पर स्थानीय लोगों ने खड़े किये 5 सवाल

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अभियुक्तों के परिवारों सहित क्षेत्र के प्रदर्शनकारी सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं और जम्मू एवं कश्मीर पुलिस जांचकर्ताओं के आरोप पत्र को लेकर प्रतिवाद कर रहे हैं|

हीरानगर, कठुआ: जैसा कि कठुआ मामले में स्थानीय अदालत में सोमवार को सुनवाई शुरू हुई थी, आठ साल की बकरवाल लड़की के जघन्य सामूहिक बलात्कार और हत्या के बारे में जनता लोगों की राय स्पष्ट रूप से विभक्त थी|

एक तरफ पूरे देश में नाराज नागरिक हैं, जो इस नृशंस अपराध के खिलाफ निकल कर आये हैं, जबकि दूसरी तरफ, अभियुक्तों के परिवारों समेत दृढ प्रदर्शनकारी हैं, जो जम्मू एवं कश्मीर पुलिस अपराध शाखा के आरोप पत्र से प्रतिवाद करते हुए इस अपराध की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं|

दिप्रिंट आपको उस गाँव की वर्तमान स्थिति से अवगत कराता है जहाँ पर अपराध घटित हुआ और आरोप पत्र में लगाए गये आरोपों के साथ साथ अभियुक्त के समर्थकों द्वारा दिए गये तर्कों को भी प्रस्तुत करता है|

अपराध का दृश्य

10 जनवरी को लड़की की गुमशुदगी के एक दिन बाद अपराध की सूचना सबसे पहले हीरानगर पुलिस स्टेशन में दी गयी| हीरानगर, कठुआ और जम्मू के रास्ते में एक छोटा सा कस्बा है और ये पुलिस स्टेशन कम से कम तीन बार आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाया जा चुका है इसलिए ये कड़ी सुरक्षा के घेरे में रहता है|

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विशिष्ट पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया सहित जांच अधिकारी आनंद दत्ता (बाद में ये दोनों, अभियुक्तों की सूची में शामिल किये गये) के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस की टीम ने लड़की की तलाश शुरू की| लड़की का मृत शरीर मिलने के बाद उन्होंने एक 15 वर्षीय नाबालिग को एक मात्र अभियुक्त के रूप में पकड़ा|

कुछ दिन बाद जब लड़की के समुदाय यानि कि गुज्जर-बकरवाल ने कहा कि नाबालिग अकेले ही इस अपराध को अंजाम नहीं दे सकता था, तब पास के साम्बा के एक सहायक अधीक्षक के मातहत एक विशिष्ट जांच टीम गठित की गयी| जल्द ही, विधानसभा में विपक्ष के बड़े विरोध प्रदर्शनों के साथ ये मामला 23 जनवरी को अपराध शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया|

रासाना गाँव, जहाँ ये अपराध हुआ, ज्यादातर वन भूमि है, जो कि निजी रूप से स्थानीय लोगों के स्वामित्व में है|15 घरों में 50 से भी कम लोग रहते हैं| पीड़िता, जो अपने पिता के भाई द्वारा गोद ली गई थी, अपने माता-पिता और दो सहोदरों के साथ यहाँ रहती थी| अन्य खानाबदोश गुज्जर-बकरवालों के विपरीत यह परिवार रासाना में स्थायी रूप से, गाँव की निकटतम बस्ती से एक किलोमीटर दूर एक छोटे से प्रथक घर में रहता था| इसी गाँव के प्रमुख घरों में एक घर 60 वर्षीय सांझी राम का है, जिन पर इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है| वो सिंचाई विभाग से पटवारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और गाँव में कई एकड़ भूमि और एक बड़े से घर का स्वामित्व रखते हैं| उनका लड़का विशाल, जो मेरठ के एक महाविद्यालय में पढ़ता है, भी एक अभियुक्त है|

कथित तौर पर देवीस्थान(सचमुच, देवी की जगह), गाँव से जुड़ने वाली सड़क से नीचे एक तार्यपथ, में एक सप्ताह तक अपराध हुआ| जंगल के बीच में एक खुले स्थान पर बना देवीस्थान, तालों के साथ तीन तरफ तीन दरवाजों, के साथ एक बड़ा कमरा है|

अन्दर कुल देवी की मूर्ति है, जो गाँव और नजदीकी क्षेत्रों में बसे हुए स्थानीय परिवारों की देवी हैं| वे एक ऊंचे स्थान पर स्थापित हैं| एक कोने में एक छोटी सी मेज रखी हुई है, जिसके नीचे कथित तौर पर अभियुक्तों ने पीडिता को चटाई में गोल लपेट कर रखा था|

वहीँ पर एक छप्पर (शेड) है जहाँ साप्ताहिक्त भंडारा (देवता को भोजन की धार्मिक भेंट, बाद में प्रसाद के रूप में जनता में वितरित होता है) होता है| भंडारे में प्रयुक्त होने वाले बर्तन पवित्रतम स्थल के इर्दगिर्द परिक्रमा मार्ग पर रखे रहते हैं, जबकि भंडारा सामग्री कमरे के अन्य कोने में रखी रहती है, जहाँ पीड़िता को छुपाया गया था|

गांव की लिंक रोड के अलावा, वहां डेढ़ किलोमीटर लम्बा एक कच्चा रास्ता है जो देवीस्थान को सांझी राम के घर के दरवाजे से जोड़ता है। 17 जनवरी को पीड़िता के विकृत शरीर को इसी कच्चे रास्ते पर देवस्थान और सांझी राम के घर के बीच लगभग आधे रास्ते में बरामद किया गया था, शव जंगल में कच्चे रास्ते से लगभग 10 फीट की दूरी पर पाया गया था।

मुख्य विवाद

देवीस्थान पर

आरोप पत्र: लड़की का अपहरण करके उसे बांधकर देवस्थान में कैद करके रखा गया। यहाँ, उसे मारे जाने से पहले सात दिनों तक नशीली दवाई देकर उसका गैंग रेप किया गया था।

विवादः स्थानीय लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि कैसे पीड़िता को देवस्थान के अंदर बंदी बना कर रखा जा सकता है। स्थानीय लोगों का दावा है कि देवस्थान के तीनों दरवाजों के तालों की चाबियां गांव के विभिन्न परिवारों के पास रहती हैं और गांव के लोग दिन में कम से कम दो बार पूजा करने के लिए देवस्थान को खोलते हैं। और सब लोग हर सप्ताह देवस्थान के साप्ताहिक भंडारे में भाग लेते हैं।

आरोपियों के परिवारों का कहना है कि जब आरोपी को यह पता था कि उसके सिवाय (सांझी राम को छोड़कर) कोई और भी व्यक्ति देवस्थान को खोल सकता है तो वह देवस्थान का उपयोग पीड़िता को छुपाने के लिए क्यों करता।

उस स्थान पर जहां शरीर बरामद किया गया था

आरोप पत्रः षडयंत्रकारी योजना के मुताबिक पीड़िता के मृत शरीर को किसी वाहन के माध्यम से हीरानगर की नहर में फेंकने वाले थे, हालाँकि जैसा कि वाहन की व्यवस्था समय पर ना हो पाने के कारण आरोपियों ने शव को जंगल में ही फेंकने का फैसला लिया।

विवादः सांझी राम के परिवार का कहना है कि लड़की का शरीर उस जगह पर पाया गया जहां सिर्फ वह और उसके बेटा ही हुए अपराध के लिए संदेह के घेरे में आ सकता था। पीड़िता के घर के पास का क्षेत्र जहां वह रहती थी वह लगभग 30 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और उस क्षेत्र में घना जंगल तथा बड़े गहरे खड्डों की भरमार है, वहां शरीर को कहीं भी फेंका जा सकता था और कोई भी शरीर को हफ्तों तक नहीं पाता।

सांझी राम की पत्नी दर्शना देवी ने कहा, “अगर हमारे परिवार के सदस्यों ने यह अपराध किया होता, तो वे पीड़िता के शरीर को एक गंदें रास्ते पर क्यों फेंक देते, जो रास्ता गांव में केवल हमारे घर को देवस्थान से जोड़ता है? “

विशाल की भूमिका

आरोप पत्र: मेरठ के एक छात्र सांझी राम के पुत्र विशाल को 11 जनवरी को पीडि़ता के साथ बलात्कार करने और “अपनी वासना को संतुष्ट करने” के लिए एक किशोर अभियुक्त द्वारा बुलाया गया था। वह अगले दिन सुबह 6 बजे रसना पहुंचा। इसके बाद वह रसना में रुका, जहाँ उसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर लड़की से बलात्कार किया और बाद में पीड़िता के शरीर ठिकाने लगाने में मदद भी की। इसके बाद वह 15 या 16 जनवरी को मेरठ के लिए निकल गया।

विवाद:विशाल के परिवार वालों का दावा है कि आरोप पत्र में जिन दिनों का उल्लेख किया गया है, विशाल उन दिनों अपनी परीक्षाओं में उपस्थित था। उनका कहना है कि “क्या उसके पास कोई हेलिकॉप्टर है, जो उनके कॉल के कुछ घंटों के भीतर ही विशाल मेरठ से रसना पहुंच गया? जबकि उसकी परीक्षा उपस्थिति और उत्तर पुस्तिका उपलब्ध हैं। वहां उसने एक एटीएम से पैसे निकाले। दर्शना देवी ने कहा, उसकी सीसीटीवी फुटेज को पुनः प्राप्त किया जा सकता है “।

द हिंदू में एक रिपोर्ट ने यह व्यक्त किया कि वह अपने तीन दोस्तों के साथ, परीक्षा में नहीं दिखाई दिया अपितु उनके प्रतिनिधि उम्मीदवारों ने उनके लिए  लिखा था।

दूसरे पक्ष द्वारा कोई सवाल नहीं

पीड़ित परिवार के किसी भी पड़ोसी की पूछताछ को लेकर आरोप पत्र निरुत्तर है।

विवाद:आरोपियों के परिवार ने आरोप लगाया कि एक गुज्जर और गद्दी परिवार, जो पीड़िता के परिवार के करीब रहते थे, उनसे क्राइम ब्रॉच द्वारा पूछताछ नहीं की गई।

“पीड़िता के लापता होने के कुछ दिनों पहले एक आदमी की पीड़िता के पिता के साथ लड़ाई हुई थी। स्थानीय पुलिस द्वारा उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया और उसी दिन छोड़ दिया गया। इसके अलावा, शव बरामद होने से एक रात पहले ही मुख्य सड़क पर बिजली का ट्रांसफार्म जला दिया गया और गांव में अंधेरा हो गया। आधी रात के आसपास, एक मोटरसाइकिल पर दो लोग गांव में आए, जिन्होंने अपने चारों ओर कंबल लपेटे थे और कुछ घण्टों बाद चले गए। ये लोग कौन थे? दर्शना देवी ने पूछा।

एसआईटी का गठन

तथ्य:एसआईटी की अपराध शाखा का नेतृत्व अतिरिक्त एसपी (अपराध शाखा कश्मीर) पीरजादा नवीद ने किया था और उनके साथ डिप्टी एसपी (अपराध शाखा जम्मू) निसार हुसैन, डिप्टी एसपी (अपराध शाखा जम्मू) श्वेतांबरी शर्मा, एसआई (अपराध शाखा जम्मू) उरफान वानी और एएसआई तारिक अहमद भी शामिल थे। एसआईटी की निगरानी, जम्मू प्रभाग के जम्मू एवं कश्मीर अपराध शाखा एसएसपी रमेश कुमार जल्ला ने की थी।

विवाद: स्थानीय लोगों का आरोप है कि एसआईटी में एक ऐसा अधिकारी भी था जो खुद बलात्कार और हत्या (बाद में निर्दोष करार दिया गया) का आरोपी था। इस प्रकार वह “भृष्ट” था और उसे बलात्कार से संबंधित एसआईटी का हिस्सा नहीं होना चाहिए था। उन्होंने आगे बताया कि एसआईटी टीम “कश्मीर केंद्रित” थी और उसमें जम्मू के कोई अधिकारी नहीं शामिल थे। उनका आरोप है कि एसआईटी द्वारा अभियुक्त और उनके दोस्तों को “धमकाया” गया और उन पर अत्याचार किया गया,उन से सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाए गये और झूठे बयान दर्ज किए गये।

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