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Monday, 6 May, 2024
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अपना काम ईमानदारी से करना देशभक्ति है, ट्विटर पर किसी को गाली देना नहीं: इरफान पठान

क्रिकेट इरफान पठान सोशल मीडिया, भारतीय क्रिकेट टीम की संस्कृति और ज्वलंत मुद्दों पर खुल कर अपनी बात रखते हैं क्योंकि उनके पिता का कहना है डरने का नहीं.

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नई दिल्ली: ‘ट्विटर पर गाली देना देशभक्ति नहीं है. अगर आप इस देश की तरक्की के लिए छोटा सा भी सहयोग कर रहे हैं तो आप देशभक्त हैं. जो भी काम करें ईमानदारी से करें, वही देशभक्ति है.’ ये कहना है भारत के ऑलराउंडर क्रिकेटर इरफान पठान का.

हाल ही में देशभक्ति को लेकर उठाए जा रहे सवालों का जवाब देते हुए इरफान ने ये बातें कहीं. अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयज की हत्या के बाद दुनिया भर में चले ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ मुहिम के मद्देनज़र  ही जून की शुरुआत में उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, ‘नस्लवाद सिर्फ चमड़ी के रंग तक सीमित नहीं है. सिर्फ इसलिए कि आप किसी विशेषधर्म और जाति के हैं, तो आपको किसी सोसायटी में घर ना खरीदने दिया जाना भी नस्लवाद है.’

इरफान के इस ट्वीट के बाद कई लोग उनके समर्थन में आए तो कई लोगों ने उन्हें ट्रोल करते हुए कहा, ‘देश के लिए थोड़ा शुक्रगुज़ार हों. आपको प्रसिद्धि, प्यार और शोहरत देश ने ही दी है.’ इन्हीं ट्रोलर्स ने उनकी देशभक्ति को लेकर भी लोगों ने सवाल उठाए.

इरफान ने एक और ट्वीट किया, ‘वो अपनी बात एक भारतीय होने के नाते  और भारत के लिए ही रखते हैं और मैं रुकूंगां नहीं.’

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दिप्रिंट से हुए इंटरव्यू में इरफान ने सोशल मीडिया, देशभक्ति, राजनीति और क्रिकेट से जुड़े कई मसलों पर अपनी बात रखी.

वो देशभक्ति को लेकर विस्तार में बताते हैं, ‘क्रिकेटर्स एक मैच हार जाएं तो देशभक्ति पर सवाल खड़े हो जाते हैं और एक मैच जीत जाएं तो देशभक्त हो जाते हैं, एक मैच से देशभक्ति तय नहीं होती, देशभक्ति का असली मतलब अपना काम ईमानदारी से करना होता है.’

‘ट्विटर ट्रोलिंग से कुछ फर्क नहीं पड़ता’

अपनी बात मजबूती से रखने वाली 2007 की विश्वविजेती भारतीय टीम का हिस्सा रहे इरफान 35 साल के हो चुके हैं.उन्होंने अभी तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2003 से लेकर 2012 तक 29 टेस्ट, 120 वनडे और 21 टी-20 मैच खेल चुके हैं. वह अकसर देश के मौजूदा हालातों पर अपनी राय ट्विटर के माध्यम से रखते हैं जिसके लिए वह ट्रोल भी किए जाते हैं लेकिन किसी ट्रोलर के ‘दवाब’ में होने की बात सिरे से नकार देते हैं.

वो ट्रोलिंग पर बेबाकी से कहते हैं, ‘ क्रिकेट खेलते वक्त मैं अंडर प्रेशर रहा हूं. अंडर प्रेशर ही आउट भी हुआ, देश को जिताया भी और विकेट भी लिए. जब आप पर लाखों लोगों की नजरें टिकीं तो आप अंडर प्रेशर होते हैं देश को जिताना चाहते हैं. ट्विटर पर मिलने वाले प्रेशर से कुछ फर्क नहीं पड़ता.’

अपनी पोस्ट्स को लेकर बताते हैं कि उनकी कोई भी बात त्वरित प्रतिक्रिया नहीं है. वो जोड़ते हैं, ‘ऐसा नहीं है कि मैं सुबह उठता हूं और कोई हैशटैग चल रहा हो तो मैं उसे ट्वीट कर देता हूं.’

‘मैं मीडिया में चल रही खबरों के प्रभाव में तुरंत नहीं आता बल्कि अपने स्तर पर खबरों को पुख्ता करता हूं. अगर किसी शहर की घटना को लेकर मैं ट्वीट करता हूं तो उससे पहले मै वहां के तीन-चार लोगों के फोन करके सच्चाई जानता हूं.’

इरफान आगे कहते हैं, ‘लेकिन अगर कोई बात मेरे मन की है तो फिर मैं अपनी बात मजबूती के साथ रखता हूं क्योंकि सही तरीके से अपनी बात रखना है तो मजबूती और फर्म होकर ही रखना होगा. फिर चाहे आईटी सेल हो या नहीं. मैं ध्यान नहीं देता.’

एक सेलीब्रिटी का अपनी बात रखना

पिछले साल राजधानी दिल्ली में हुए जामिया हिंसा को लेकर भी इरफान ने अपनी बात मुखरता से रखी थी. जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर बॉलीवुड ऐक्टर दीपिका पादुकोण द्वारा की गई एक विजिट के बाद कौशल विकास मंत्रालय ने उनका एक वीडियो ड्रॉप कर दिया था और सोशल मीडिया पर उनकी फिल्म छपाक के बायकॉट को लेकर हंगामा मचा था.

ज्वलंत मुद्दों पर बोलने से सेलिब्रिटिज को होने वाले आर्थिक नुकसान की बात पर इरफान कहते हैं, ‘मुझसे कई लोग ये सवाल पूछ चुके हैं लेकिन एक बात है कि गलत काम का समर्थन करके भी रोजी रोटी कमाने से क्या फायदा? मैं वड़ोदा के लिए खेलता था लेकिन फिर जम्मू कश्मीर में जाकर एक साल डोमेस्टिक क्रिकेट खेला और दो साल मेंटरशिप की. कइयों ने कहा था कि करियर बर्बाद हो जाएगा लेकिन जम्मू में गया तो कई दूसरे रास्ते खुलने लगे.’

साथ ही अपने पिता से मिलने वाले मार्गदर्शन को लेकर वो कहते हैं, ‘वालिद तो एक ही बात कहते हैं कि डरने का नहीं.’

गौरतलब है कि इरफान ने साल की शुरूआत में ही 35 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की थी. भारत की ओर से इरफान अब तक 29 टेस्ट, 120 वनडे इंटरनैशनल और 24 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं.

जामिया वायलेंस के बाद सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के दौरान दिल्ली में हुई दंगों की चार्जशीट को लेकर दिल्ली पुलिस पर बायस्ड होने के आरोप लगे हैं. इसको लेकर सवाल पूछने पर इरफान कहते हैं, ‘ये लड़ाई- ‘झगड़ा देश के लिए सही नहीं है. किसी भी एक धर्म को आगे नहीं रख सकते. हमें मानवता की बात करनी होगी.’

‘टीम में जाति-धर्म नहीं एक भारतीय होकर सोचते हैं’

पिछले दिनों क्रिकेटर रविंद्र जड़ेजा द्वारा लिखा गया हैशटैग ‘राजपूत ब्वॉय’ #RajputBoy. काफी चर्चित रहा. इसको लेकर जब बाएं हाथ के तेज गेंदबाज से यह पूछा गया तो वो कहते हैं कि टीम कभी जाति और धर्म के साथ मैदान में नहीं उतरती है.

वह कहते हैं ‘आप जिस पर विश्वास करते हैं उसपर करिए. क्रिकेट टीम में पूरे देश के अलग-अलग बैकग्राउंड से लोग आते हैं. लेकिन जब आप टीम की तरह पिच पर उतरते हैं तो आप अपने धर्म, जाति और विश्वास को आगे नहीं रखते. आप एक भारतीय के तौर पर मैदान में होते हैं.’

अपने क्रिकेट के दिनों को याद करते हुए वो बताते हैं कि जब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ  2006 में कराची में लगातार तीन विकेट लेकर हैट्रिक बनाई थी, वह कहते हैं उस वक्त मैं, ‘टॉप ऑफ द वर्ल्ड महसूस कर रहा था.’

इरफान कहते हैं, ‘उससे बेहतर अनुभव क्या होगा कि मुल्क ऐसी बात को सालों साल याद रखे. मुझे लगता है कि मैं उस दिन काफी तैयारी की थी और जो तीन बैट्स मैन आउट हुए थे वो तीनों ही टॉप बैट्स मैन थे.’

वह आगे कहते हैं ‘खेलना मिस करता हूं. हैट्रिक वाली बात ट्विटर पर तो नहीं आ सकती लेकिन सोशल मीडिया पर बात करनी बहुत जरूरी है. इसलिए जो लोग मेरी यूनिटी वाली बात का समर्थन करते हैं और कहते हैं कि आपकी बात अच्छी लगी तो बढ़िया लगता है.’

‘मुझे दो पार्टियों से टिकट ऑफर हुआ था’

राजनीति में आने को लेकर इरफान का कहना है,’लोग अक्सर कहते हैं कि इसको टिकट मिलने वाली है या पार्टी ज्वॉइन करने वाला है इसलिए ऐसा बोल रहा है. मैं बता दूं कि 2014 लोकसभा चुनाव में भी मुझे दो पार्टियों ने टिकट ऑफर किया था. लेकिन उस वक्त मुझे सिर्फ क्रिकेट खेलना था.

वह आगे कहते हैं, ‘ 2019 में भी कहा गया लेकिन मैं स्योर नहीं था. लेकिन अगर मैं आगे चलकर राजनीति में आया भी तो मैं अपने नाम के लिए नहीं बल्कि काम को लेकर लिए  ही आउंगा. हमने हर काम अब तक ईमानदारी से किया है और राजनीति में आया तो उसे भी ईमानदारी से करूंगा.’

आखिर में वो मीडिया की भूमिका को लेकर भी कहते हैं कि मीडिया बांट रहा है और मैं जोड़ने की बात कर रहा हूं.

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