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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशआरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में पकड़े गए 200 रुपए के नकली नोटों में 151% की वृद्धि

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में पकड़े गए 200 रुपए के नकली नोटों में 151% की वृद्धि

आरबीआई की सालाना रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 2019-20 में 500 रुपए के नए सीरीज़ के नक़ली नोटों में 37 प्रतिशत का इज़ाफा देखा गया और 2000 रुपए के नोटों के चलन में कमी आई.

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नई दिल्ली: नोटों के अंदर सिक्योरिटी फीचर्स होने के बावजूद 2019-20 में पकड़े गए 200 और 500 रुपए के नक़ली नोटों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा देखा गया.

मंगलवार को जारी रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की सालाना रिपोर्ट के आंकड़ों से ये भी पता चलता है कि सबसे अधिक मूल्य के 2000 रुपए के नोटों के चलन में पिछले दो सालों में तेज़ी से कमी आई है और 2019-20 में केंद्रीय बैंक ने दो हज़ार के नए नोट बिल्कुल प्रिंट नहीं किए हैं.

नवम्बर 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार ने 500 और 1,000 रुपए के नोटों को वैध करेंसी के तौर पर रद्द कर दिया था. नोटबंदी के फैसले के बाद, सरकार ने 2000 रुपए के नए नोट, 500 रुपए के नए सीरीज़ के नोट और 200 रुपए के नए नोट शुरू किए थे. सरकार के इस बड़े फैसले के पीछे ज़ाहिरी तौर पर एक कारण नक़ली नोटों को रोकना बताया गया.

लेकिन, नई रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चला कि करेंसी नोटों की जालसाज़ी भारत में अभी भी एक समस्या बनी हुई है.


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2019-20 में, बैंकिंग प्रणाली के अंदर नए सीरीज़ के 500 रुपए के 30,054 नक़ली नोट्स पकड़े गए जो कि 2018-19 में 21,865 थे- ये इज़ाफा 37 प्रतिशत था.

इसी तरह, पकड़े गए 200 रुपए के नक़ली नोटों में भी 151 प्रतिशत का इज़ाफा देखा गया. डेटा से पता चलता है कि 2019-20 में, बैंकों और आरबीआई ने मिलकर 200 रुपए के 31,969 नक़ली नोट पकड़े, जबकि 2018-19 में ऐसे 12,728 नोट पकड़े गए थे.

पकड़े गए 2000 के नक़ली नोटों की संख्या, 2019-20 में 22 प्रतिशत गिरकर 17,020 नोट्स पर आ गई, जो एक साल पहले 21,847 थी.

इस डेटा में केवल वही नक़ली नोट शामिल हैं, जो बैंकों और आरबीआई द्वारा पकड़े जाते हैं. इसमें वो नोट शामिल नहीं हैं, जो पुलिस और दूसरी प्रवर्तन एजेंसियां पकड़ती हैं.

2000 रुपए के नोटों के चलन में तेज़ी से गिरावट

आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है, कि कुल चालू करेंसी में 2000 रुपए मूल्य के नोटों के हिस्से में, पिछले दो साल में मूल्य के हिसाब से, 15 प्रतिशत बिंदु की कमी आई है. ये एक संकेत है कि नीति निर्माता, अब 500 रुपए, 200 रुपए, और 100 रुपए के, कम मूल्य के नोटों का इस्तेमाल बढ़ाना चाह रहे हैं.

2019-20 में, मूल्य के हिसाब से 2,000 रुपए के नोटों का, कुल प्रचलित मुद्रा में 23 प्रतिशत हिस्सा था, जो 2018-19 में 31 प्रतिशत, और 2017-18 में 37 प्रतिशत था.

पिछले साल, भारत ने 2,000 रुपए के नोटों की छपाई बंद करने, और धीरे धीरे इसके चलन को कम करने का फैसला किया. आम तौर पर, ऊंचे मूल्य के नोटों का इस्तेमाल, जमाख़ोरी, काले धन को वैध बनाने और कर से बचने के लिए किया जाता है, जिसकी वजह से कम मूल्य के नोटों के इस्तेमाल को, बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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