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Monday, 18 November, 2024
होमदेश‘कम टेस्टिंग और कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं’- अहमदाबाद के हॉटस्पॉट इलाकों में सरकारी मदद की गुहार

‘कम टेस्टिंग और कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं’- अहमदाबाद के हॉटस्पॉट इलाकों में सरकारी मदद की गुहार

कोविड-19 के 12,000 से अधिक मामलों के साथ अहमदाबाद भारत के सर्वाधिक प्रभावित शहरों में से एक है. शहर के गरीब इलाकों के लोगों का कहना है कि सरकार ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है.

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अहमदाबाद: अहमदाबाद की सबसे चौड़ी सड़कों पर, लॉकडाउन का कार्यान्वयन प्रभावी दिखता है: हर तरफ पुलिस नाके, और एक-दो कारों को छोड़कर, सड़कें बिलकुल खाली लेकिन परस्पर सटे घरों वाली अहमदाबाद की सघन बस्तियों में, बैरिकेड लगे रास्तों पर हमेशा लोगों की चहलकदमी देखी जा सकती है.

शहर के कंटेनमेंट क्षेत्रों के सर्वाधिक संवेदनशील केंद्रों में से एक बहरामपुरा के अरविंद मखवानी कहते हैं, ‘कोई 10-12 दिन हुए होंगे जब हमने मांग की थी कि पुलिस या नगरपालिका के लोग यहां सोशल डिस्टैंसिंग लागू कराएं, या हमारी अन्य परेशानियों का समाधान करें. पर कोई नहीं आया.’

उन्होंने कहा, ‘कोई सुध लेने नहीं आया कि हममें से कितनों के पास खाना है या नहीं है. यहां तक कि सबकी टेस्टिंग भी नहीं हुई है. टेस्टिंग प्रक्रिया में परिवारों के कई सदस्यों को छोड़ दिया गया है.’

मखवानी दूध वाली चाली कहे जाने वाले जिस स्थान पर खड़े हैं वहां कोविड-19 के कम-से-कम 60 पॉजिटिव मामले मिले हैं, जबकि पूरे बहरामपुरा में 20 अप्रैल तक संक्रमण के 173 मामले मिल चुके थे. साबरमती के पूर्वी किनारे पर स्थित बहरामपुरा उन कॉलोनियों में से है जहां अहमदाबाद में कोविड-19 के सर्वाधिक मामले केंद्रित हैं.


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एस्बेस्टस की मोटी चादरों वाले बैरिकेड से घिरी एक गली में मुकेश परमार अपने परिवार के साथ रहते हैं. उन्होंने कहा कि 10 दिन पहले संक्रमण के लिए उनके परिवार के सदस्यों की जांच की गई थी और निगेटिव पाए जाने के बाद उन्हें एक महीने के राशन के साथ घर वापस भेजा गया था.

परमार ने कहा, ‘उन्होंने एक महीना चलने लायक राशन दिया है लेकिन बच्चों के लिए दूध नहीं दिया गया, और इसके कारण परेशानी होती है. जब भी हम हेल्पलाइन पर कॉल करते हैं तो हमें दूसरे नंबरों पर संपर्क करने के लिए कह दिया जाता है.’

‘इससे भी बुरी बात ये है कि हमारे पीछे रहने वाले परिवार की टेस्टिंग अभी तक नहीं हुई है जबकि बिल्डिंग के बाकी सारे लोगों की जांच की जा चुकी है. उनकी जांच करने के लिए कोई आया ही नहीं.’

Mukesh Parmar, who lives in Ahmedabad's Behrampur locality. | Photo: Praveen Jain/ThePrint
अहमदाबाद के बहरामपुर में रहने वाले वाले मुकेश कुमार परमार | फोटो- प्रवीण जैन,दिप्रिंट

अहमदाबाद की गरीब आबादी वाली अनेक सघन बस्तियों का यही हाल है. उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद भारत के कोरोनावायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित शहरों में से है. गुजरात के कुल 2,624 कोविड-19 मामलों में से 1,298 अकेले अहमदाबाद में मिले हैं.

शहर के निगम आयुक्त विजय नेहरा ने दिप्रिंट को बताया कि कोविड-19 से निपटने के लिए अहमदाबाद ‘चेज़िंग द वायरस’ कही जाने वाली रणनीति पर चल रहा है. इसके तहत किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आए सभी लोगों को क्वारंटाइन रखा जाता है और जिनमें लक्षण दिख रहे हों उनकी टेस्टिंग की जाती है.

गुजरात में जहां प्रित मिलियन आबादी पर टेस्टिंग का आंकड़ा 568 का है, वहीं नेहरा का दावा है कि अहमदाबाद शहर में प्रति मिलियन सर्वाधिक 2,600 टेस्टिंग की जा रही है. दिल्ली और महाराष्ट्र में प्रति मिलियन क्रमश: 1,318 और 679 टेस्टिंग हो रही है.

लेकिन इन सघन बस्तियों के निवासियों का आरोप है कि सरकार ने उन्हें भुला दिया है.

‘स्क्रीनिंग या टेस्टिंग नहीं हुई है’

18 वर्षीया रेखा माहेश्वीर परमार और उनकी आठ वर्षीया बहन प्रियंका ने दिप्रिंट को बताया कि उनके परिवार के 10 सदस्यों– माता-पिता समेत– 19 अप्रैल को संक्रमित पाए जाने के बाद भी ना तो उनकी स्क्रीनिंग की गई है और ना ही टेस्टिंग. दोनों बहरामपुरा में मुकेश परमार के घर के पीछे के घर में रहती हैं.

रेखा ने कहा, ‘हमारे तापमान तक नहीं लिए गए. जब हमारे परिजनों को पॉजिटिव बताकर ले जाने के लिए डॉक्टर आए तो उन्होंने हमारी जांच नहीं की. उन्होंने हमें भोजन के पैकेट भी नहीं दिए.’ उन्होंने मुकेश परमार की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘हमारे पड़ोसी हमें खाना दे रहे हैं.’

Rekha Maheshwari Parmar (right) and her sister Priyanka in Ahmedabad's Behrampur locality. | Photo: Praveen Jain/ThePrint
दाहिने से रेखा माहेश्वर परमार और बहन प्रियंका अहमदाबाद के बहरामपुरा में | फोटो- प्रवीण जैन, दिप्रिंट

उसी गली में मिले दो लड़कों की भी यही कहानी थी: मिहिर परमार (16) और उनके भाई उमेश (12) ने बताया कि उनके परिवार के चार सदस्यों को पॉजिटिव पाए जाने के बाद इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया है, लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया.

मिहिर ने कहा, ‘हमारा नंबर आने पर डॉक्टरों ने कहा कि उनके पास टेस्टिंग किट नहीं बचे हैं, और उन्होंने अगले दिन वापस आने की बात कही लेकिन आज तक कोई नहीं आया है. हमें नहीं पता कि किससे बात करूं.’ हालांकि इन लड़कों को भोजन सामग्री के पैकेट दिए गए हैं.

मुकेश परमार को चिंता है कि यदि ये बच्चे (ऊपर वर्णित दो बहनें और दो भाई) पॉजिटिव हैं तो संभव है पूरी गली में संक्रमण फैल गया हो और किसी को पता भी नहीं चलेगा, खासकर इसलिए भी कि यहां रह गए सभी लोगों की – इन चारों के अलावा– पहले ही जांच हो चुकी है और उन्हें निगेटिव घोषित किया चुका है.

गली की दूसरी ओर रहने वाले 23 वर्षीय मुकेश अर्जनभाई की मां को खांसी की शिकायत हुई और उन्होंने अपनी जांच कराने का फैसला किया लेकिन उनके मामले की पुष्टि हुए बिना डॉक्टरों ने उन्हें सिविल अस्पताल में क्वारंटाइन में भेज दिया. मुकेश की जांच नहीं की गई. उन्होंने भी यही कहा कि उनका खाना-पीना पड़ोसियों की मदद से और स्थानीय लोगों द्वारा ज़रूरतमंदों के लिए संचालित भंडारे के सहारे चल रहा है.

मुकेश कॉलोनी में ही रह रहे हैं और बैरिकेड से घिरी अपनी गली में लोगों से बिना रोकटोक मिलजुल कर रहे हैं.

मोहल्ले में लोगों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए तैनात अहमदाबाद नगर निगम के एक कर्मचारी ने अपना नाम नहीं दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘यहां क्या चल रहा है उसे देखने या लोगों की मदद करने के लिए कोई नहीं आ रहा है. हमें ना सिर्फ सोशल डिस्टैंसिंग लागू करने बल्कि लोगों की रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए भी मदद की ज़रूरत है.’

निगम के कर्मचारी ने कहा, ‘हमने पुलिस और प्रशासन को सूचित किया, पर यहां कोई नहीं आता.’


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‘डॉक्टर के पास नहीं जा सकते’

दिप्रिंट ने जिन हॉटस्पॉट क्षेत्रों का दौरा किया उनमें से सर्वाधिक गरीब मोहल्ले जमालपुर में लोग अपने घरों के बाहर चिंतित मिले. इस इलाके में कोविड-19 के कम-से-कम 200 मामले मिले हैं – इस इलाके से रोज़ नए मामले सामने आ रहे हैं.

इस इलाके की सख्त घेराबंदी की गई है, और स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाएं – खासकर कोविड-19 से असंक्रमित लोगों के लिए – हासिल करने में कठिनाई आ रही है.

ज़रीना बानू नामक एक महिला ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे 10 दिनों से उल्टी की शिकायत है और मैं कुछ भी नहीं खा पा रही हूं. अस्पताल में ना तो मुझे आईवी ड्रिप चढ़ाई गई और ना ही ये देखने के लिए कोई जांच की गई कि मुझे हुआ क्या है. प्राइवेट क्लीनिक बंद हैं और हमारे लिए यहां से बाहर निकलना भी आसान नहीं है.’

उनके पति सरवर ख़ान ने अपनी बात जोड़ते हुए कहा, ‘उनका कहना है कि कोविड के अलावा किसी और रोग के मरीजों को भर्ती नहीं किया जाएगा और कोरोनावायरस के रोगियों की संख्या में भारी उछाल के कारण डॉक्टरों के पास बाकी बीमारियों के लिए समय नहीं है. क्या अन्य रोगियों के लिए अस्पताल खुले नहीं होने चाहिए? यदि इसे टाइफाइड हो गया हो तो? हम कभी नहीं जान सकेंगे.’

यह मोहल्ला शहर के चहारदिवारी वाले इलाके में ऐतिहासिक जमालपुर गेट के पास स्थित है जो कि कभी अहमदाबाद की सुरक्षा का प्रतीक माना जाता था. स्थानीय निवासियों के अनुसार ये अब एक त्रासद स्थल बन चुका है.

इलाके के एक बुज़ुर्ग अकबर हाजी मोहम्मद खोलियावाला ने कहा, ‘उन कॉलोनियों की घेराबंदी हुई है जहां गरीब मुसलमान रहते हैं. हमारे बीच आई इस बीमारी की असल मार गरीबों को झेलनी पड़ रही है. कोई हमारी सुध लेने नहीं आया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यहां बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं. चार से पांच लोग. हर कोई चिंतित और डरा हुआ है.’

गुजरात देश के उन राज्यों में से है जहां कोविड-19 से होने वाली मौत की दर बहुत अधिक है.

खोलियावाला के एक रिश्तेदार शाहिद छिप्पा ने आरोप लगाया कि उनके मोहल्ले में मरने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है – और सारी मौतें कोरोनावायरस से संबंधित भी नहीं हैं.

Akbar Haji Mohammed Kholiyawala in Ahmedabad's Jamalpur locality. | Photo: Praveen Jain/ThePrint
अहमदाबाद के जमालपुर में अकबर हाजी मोहम्मद खोलियावाला | फोटो- प्रवीण जैन, दिप्रिंट

उन्होंने कहा, ‘तमाम क्लीनिक बंद हैं. जो लोग बीमार हैं, वे डरे हुए हैं, भले ही उनकी अस्वस्थता कोरोनावायरस से संबंधित नहीं हो. उनके लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं. बड़ी संख्या में मौतें सिर्फ इस वजह से हो रही हैं.’

यहां से तीन किलोमीटर दूर एक अन्य मुस्लिम बहुल हॉटस्पॉट दानीमिल्डा में संक्रमण के 73 मामले मिले हैं. यहां गलियों में गश्त लगाती पुलिस दिख जाती है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि लोग घरों के भीतर ही रहें.

बड़े घरों और बालकनियों के कारण अधिक मध्यवर्गीय दिखते इस मोहल्ले के निवासियों का कहना है कि सिर्फ क्वारंटाइन में रखे गए लोगों को ही खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति की जा रही है, और प्रशासन के लोग यहां नियमित रूप से आते हैं.

मोहम्मद हसन, जिनके परिवार में चार लोग हैं, ने कहा, ‘बैरिकेड के उस तरफ क्वारंटाइन किए गए लोगों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जा रही है. यहां सब्ज़ी विक्रेताओं को अंदर आने नहीं दिया जा रहा क्योंकि उन्हें सुपर स्प्रेडर करार दिया गया है. हम अपने पास बचे चावल और दाल से किसी तरह काम चला रहे हैं.’

‘रिवर्स रणनीति का पालन’

इन आलोचनाओं के बीच दिप्रिंट ने अहमदाबाद के स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. भावीन सोलंकी से बात की, जिनके अनुसार प्रशासन सारे ‘सुपर स्प्रेडर’ को कवर करने की कोशिश कर रहा है.

सोलंकी ने कहा, ‘यदि किसी में संक्रमण के लक्षण नहीं दिख रहे हों तो टेस्टिंग की ज़रूरत नहीं है – ऐसे लोगों को सिर्फ घरों में क्वारंटाइन रहने की ज़रूरत है. यदि उनमें लक्षण दिखने लगे, तब उन्हें हेल्पलाइन नंबर 104 पर कॉल करना चाहिए या हमारे स्वास्थ्य केंद्रों में आना चाहिए.’

‘हम रोज़ाना घर-घर जाकर 700 से 1,000 लोगों की जांच कर रहे हैं. हम हर वॉर्ड से 15 नमूने एकत्रित कर रहे हैं, और हम सारे सुपर स्प्रेडर – दूध, अख़बार आदि वितरित करने वाले – की जांच करने का प्रयास कर रहे हैं. हम उन लोगों पर और पॉजिटिव रोगियों के संपर्क में आए लोगों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.’

इसी विषय पर निगम आयुक्त नेहरा ने कहा कि हॉटस्पॉट बने क्षेत्रों में प्रतिदिन 700 चिकित्सा दल स्क्रीनिंग का काम कर रहे हैं, और इसी तरीके से बहरामपुरा जैसी तंग बस्तियों में मामलों का प्रबंधन किया जा रहा है.

नेहरा ने कहा, ‘झुग्गी बस्तियों जैसे तंग इलाकों में हम रिवर्स रणनीति पर काम कर रहे हैं. इसके तहत पॉजिटिव पाए गए किसी व्यक्ति के संपर्क में आए सभी लोगों को हम अपने क्वारंटाइन केंद्रों में ले जाते हैं और वहां उनकी रोज़ जांच की जाती है.’

उन्होंने कहा, ‘सक्रिय निगरानी व्यवस्था के सहारे हमने 1,064 संक्रमित रोगियों की पहचान की है, और 6,330 लोगों को क्वारंटाइन किया है.’

लेकिन, जमालपुर में एक निजी अस्पताल के निदेशक ने अपना नाम नहीं दिए जाने की शर्त पर बताया कि स्वास्थ्यकर्मी हॉटस्पॉट क्षेत्रों का नियमित दौरा नहीं कर रहे हैं.

उन्होंने दावा किया, ‘एक बार आने के बाद वे दोबारा नहीं आते हैं. न ही पर्याप्त संख्या में टेस्ट किए जा रहे हैं. यदि सारे संक्रमितों का पता लगाना है तो इसके लिए पहले ही पॉजिटिव पाए जा चुके रोगियों के तमाम संपर्कों की जांच करने की ज़रूरत है. ऐसा लगता है कि लोगों के बीच जाकर टेस्टिंग करने वाले लोग पर्याप्त संख्या में नहीं हैं.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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2 टिप्पणी

  1. तो भाई के इतने केस बिना टेस्टिंग के ही पता चल गए ? ऐसे ही पता चल गया कि ये 6 जोन रेड हैं । ये जो नंबर है ये अपने आप लोगो ने रिपोर्ट नही किये है। टेस्टिंग हुई है इसीलिए पता चले हैं ।
    ऐसे समय मे अच्छी बात नही कर सकते तो लोगो को डराओ मत फालतू बात करके

  2. Improper & Half fake news, You have not Complete Information about ahmedabad, If You Want to know about ahmedabad city’s real situation, You need to study this cities leading local newspaper’s articles like Divya bhaskar, with one-two reporter & asking to random people, You can’t give Proper Opinion about situation of Corona Virus’ case, Recovery & Hospital treatment, Testing, effort of Amc Chief & their dedications, Most of city’s People are Proud of Amc Chief Vijay Nehra Sir & like to his Working style.

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