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Sunday, 3 November, 2024
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दिल्ली दंगे से जुड़े 5 मामलों में कोर्ट ने AAP के पूर्व पार्षद को दी ज़मानत, लेकिन रहेंगे हिरासत में

सीएए-एनआरसी के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को सांप्रदायिक झड़पें हुई थी. इस दौरान कम से कम 53 लोग मारे गए थे और करीब 700 लोग घायल हुए थे.

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों से जुड़े पांच मामलों में हाईकोर्ट ने बुधवार को ज़मानत दे दी.

हुसैन को दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश और आईबी के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या सहित अन्य दंगों से संबंधित मामलों में आरोपी बनाया गया है. हालांकि, अपने खिलाफ अन्य मामलों के कारण वे हिरासत में रहेंगे.

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए-एनआरसी) के समर्थकों तथा इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को सांप्रदायिक झड़पें हुई थी. इस दौरान कम से कम 53 लोग मारे गए थे और करीब 700 लोग घायल हुए थे.

पूर्व पार्षद के खिलाफ ये मामले उनके घर की छत से दंगाईयों द्वारा पथराव करने, पेट्रोल बम फेंकने और गोलियां चलाने से दो लोगों के घायल होने और हत्या के प्रयास तथा शस्त्र अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित हैं. हुसैन के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने का भी मामला चल रहा है. ताहिर पर कार्यकर्ता शरजील इमाम और उमर खालिद के साथ दंगों की बड़ी साजिश रचने का भी आरोप है.

उक्त मामले उत्तर पूर्वी दिल्ली के थाना दयालपुर इलाके में दर्ज हैं.

दंगे से जुड़े मामलों में हुसैन की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस अनीश दयाल ने बुधवार को कहा, ‘‘सभी पांचों प्राथमिकियों में सशर्त ज़मानत दी जाती है.’’

अदालत ने 20 अप्रैल 2023 को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. हालांकि, विस्तृत आदेश अभी आना बाकी है.


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दिल्ली पुलिस ने किया विरोध

ताहिर हुसैन ने वकील रिजवान के जरिए ज़मानत याचिका दायर की थी. वकील ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस के अनुसार, याचिकाकर्ता दंगों के मुख्य साजिशकर्ता हैं. उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत बड़ी साजिश सहित कई एफआईआर दर्ज की गई हैं.

उन्होंने तर्क दिया कि एक अपराध के लिए केवल एक ही एफआईआर दर्ज की जा सकती है और दावा किया कि याचिकाकर्ता के कारण एक भी घटना नहीं हुई है.

वकील की ओर से यह भी दलील दी गई कि याचिकाकर्ता साजिशकर्ता नहीं बल्कि पीड़ित है. पुलिस ने उन्हें उनके घर से छुड़ाया था. उनके घर पर दंगाइयों ने कब्ज़ा कर लिया था.

लेकिन आरोप लगाया गया था कि दंगाईयों के हाथ में पेट्रोल बम थे और उन्होंने उन्हें दूसरे धर्म के लोगों के घरों पर फेंक दिया.

गौरतलब है कि कुछ अन्य आरोपियों को पहले ही ज़मानत मिल चुकी है. ये मामले दंगा, दुकानों में लूटपाट, आगज़नी, प्रिंस बंसल और अजय कुमार झा को गोली लगने से घायल होने से जुड़े हैं.

इस बीच, दिल्ली पुलिस ने ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उसे सौंपी गई भूमिका अन्य सह-आरोपियों से बिल्कुल अलग है, क्योंकि वे मुख्य सरगना/साजिशकर्ता है.

यह भी कहा गया कि बाकी सभी आरोपी ताहिर हुसैन के इशारे पर काम कर रहे थे.

पुलिस ने आरोप लगाया था कि आपराधिक साजिश को बढ़ावा देते हुए उन्होंने एक विशेष समुदाय के दंगाइयों को उकसाया था और अपने घर की छत पर ही दंगाइयों को पत्थर, एसिड की बोतलें, पेट्रोल बम आदि जैसी रसद सहायता प्रदान की थी.

दिल्ली पुलिस ने कहा, उन्होंने अपने घर का इस्तेमाल उपद्रवियों, दंगाइयों को दूसरे समुदाय के लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के लिए करने की अनुमति दी.

पुलिस ने तर्क दिया कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के क्षेत्रों में सांप्रदायिक दंगों के समय, वे एक शक्तिशाली स्थिति में थे (आम आदमी पार्टी से क्षेत्र के मौजूदा पार्षद थे) और उन्होंने अपनी बाहुबल और राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल किया.

उनकी भूमिका पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक और वित्तीय रसूख के कारण सांप्रदायिक दंगों को भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि वह आतंकी फंडिंग और दंगों के साधन जुटाने में शामिल था और उसके बाद स्थानीय स्तर पर रची गई साजिश के तहत दंगों में शामिल होने के लिए स्थानीय लोगों का इस्तेमाल किया गया.

इसमें कहा गया है कि उनका घर/इमारत दंगाइयों और उपद्रवियों के लिए दंगे भड़काने का केंद्र बिंदु बन गया था.

दिल्ली पुलिस ने 25 फरवरी 2020 के वीडियो फुटेज का भी हवाला दिया जिसमें कई लोग उनके घर से पथराव और पेट्रोल बम फेंक रहे हैं.

दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि अगर उन्हें ज़मानत पर रिहा किया गया तो मामले के सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना है.


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