नई दिल्ली: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के मुख्य खेल अधिकारी (सीएसओ) खजान सिंह को दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला कांस्टेबल द्वारा दायर एक कथित बलात्कार मामले में बरी कर दिया.
30 वर्षीय महिला कांस्टेबल ने आरोप लगाया था कि खजान सिंह और सीआरपीएफ के कुश्ती कोच, इंस्पेक्टर सरजीत सिंह ने उससे यौन संबंध बनाने के लिए कहा और कई मौकों पर उसके साथ बलात्कार किया.
हालांकि, उसने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराते हुए आरोपों को वापस ले लिया.
महिला ने खजान और सरजीत पर ‘सेक्स स्कैंडल’ चलाने का आरोप लगाया था. उसने दोनों पर बलात्कार, यौन उत्पीड़न और डराने-धमकाने का भी आरोप लगाया.
‘अभियोक्ता की गवाही से, यह स्पष्ट है कि अभियोक्ता के साथ किसी भी समय न तो बलात्कार किया गया था और न ही आरोपी व्यक्तियों द्वारा धमकी दी गई थी. शिकायतकर्ता ने अपने बयान में स्वीकार किया था कि उसने गुस्से में आकर आरोपी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की थी.
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अदालत ने यह भी कहा कि मामले में आरोपी के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया.
अदालत ने कहा, ‘उसने बयान दिया कि उसने गुस्से में वर्तमान शिकायत की थी क्योंकि उसे अनुशासनहीनता के आधार पर विभाग की कुश्ती टीम से बाहर कर दिया गया था क्योंकि टीम के साथी सदस्यों में से एक के साथ उसका तर्क था.’
महिला ने आगे कहा था कि शिकायत दर्ज करने के लिए उसे ‘उसके कुछ सहयोगियों ने उकसाया.’
क्या है मामला
महिला कांस्टेबल, जो 2010 में बल में शामिल हुई थी और सीआरपीएफ के कुश्ती दस्ते का हिस्सा रहते हुए कई पदक जीत चुकी है, ने खजान और सरजीत पर महिला कांस्टेबल का यौन उत्पीड़न करने और बाद में उन्हें सहयोगियों के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.
उसने पिछले साल नवंबर में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद दिसंबर में दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
उसने आगे उन पर गुपचुप तरीके से ‘नहाते समय नग्न तस्वीरें’ क्लिक करने का आरोप लगाया और कहा कि वे उसे अपनी नग्न तस्वीरें भी भेजेंगे. इन तस्वीरों के जरिए मुझे ब्लैकमेल किया गया और उन्होंने धमकी दी कि अगर मैंने उनसे बात नहीं की तो वे मेरी तस्वीरें प्रसारित कर इंटरनेट पर वायरल कर देंगे.’
राष्ट्रीय तैराकी चैंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता खजान सिंह ने 1986 में सियोल में एशियाई खेलों में रजत पदक जीता था. उन्होंने 1982 के राष्ट्रमंडल खेलों और 1988 के ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया.
इस साल अप्रैल में, आरोपों की जांच के लिए गठित एक समिति की सिफारिशों के आधार पर खजान और सरजीत को सीआरपीएफ ने निलंबित कर दिया था.
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