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शुक्रवार, 6 जून, 2025
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कोरोनावायरस से सबकी जान पर बन आई है ऐसे में बंगाल के इजारुल शेख की लॉटरी ने खोली किस्मत

इजारुल इन पैसों से अपने बच्चों की बेहतरीन पढ़ाई का इंतजाम करना चाहते हैं. वह कहते हैं कि यहीं आसपास कोई कारोबार करूंगा ताकि पूरा परिवार एक साथ रह सके.

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कोलकाता: कोरोनावायरस ने भारत समेत दुनिया भर के देशों में भले आतंक मचा रखा हो और हजारों जिंदगियां लील चुका हो लेकिन पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रहने वाले इजारुल शेख के लिए तो यह वरदान ही साबित हुआ है. इस वायरस के बढ़ते प्रकोप ने उसकी किस्मत के दरवाजे खोल दिए हैं.

इजारुल केरल में राजमिस्त्री का काम करता था. लेकिन वहां वायरस का आंतक बढ़ने के बाद वह किसी तरह एक ट्रेन के जनरल डिब्बे में लंबा सफर तय कर गांव लौटे थे. यहां जेब में बचे पैसों से उन्होंने लॉटरी खरीद ली. शनिवार को जब नतीजा आया तो उसके टिकट पर एक करोड़ का पहला इनाम निकला था. उनका कहना है कि यह बीमारी नहीं फैलती तो उसकी अभी घर आने की कोई योजना नहीं थी. न घर आता, न टिकट खरीदता और ना ही करोड़पति बनता.

केरल में कोरोना का प्रकोप बढ़ने के बाद अपने दूसरे सथियों के साथ इजारुल ने भी बंगाल का रुख किया था. ट्रेन में आरक्षण नहीं होने की वजह से वह जनरल कोच में लंबा सफर कर पहले हावड़ा पहुंचा और फिर यहां से लोकल ट्रेन से मुर्शिदाबाद जिले में अपने गांव. बेलडांगा के मिर्जापुर इलाके में दो कमरों के एक मकान में अपने माता-पिता, पत्नी और तीन बच्चों के परिवार के साथ रहने वाला इजारुल पहले इलाके में ही राजमिस्त्री का काम करते थे. यहां उनको रोजाना पांच से छह सौ रुपए मिलते थे. लेकिन गांव के रहने वाले कई लोग केरल में यही काम कर के दोगुना पैसा कमा रहे थे. आखिर में तीन साल पहले इजारुल भी केरल चले गए थे.


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इजारुल बताते हैं कि वे बीते सप्ताह कोरोना के आतंक की वजह से गांव के दूसरे लोगों के साथ केरल से यहां लौट आए थे. लेकिन उनको लगातार यही चिंता खाए जा रही थी कि जेब में जो पैसे हैं, उसके खर्च होने के बाद घर-परिवार कैसे चलेगा. बुधवार को उन्होंने बेलडांगा बाजार में लॉटरी का एक टिकट खरीदा था. उसका नतीजा सामने आया तो उनको पहले तो अपनी किस्मत पर भरोसा ही नहीं हुआ. उनकी जेब में रखे टिकट पर एक करोड़ रुपए का पहला इनाम निकला था. उसके बाद इजारुल मे बेलडांगा थाने के प्रभारी से मुलाकात की. पुलिस ने इजारुल को हरसंभव सहायता और सुरक्षा का भरोसा दिया. अब शनिवार से ही उनके घर पड़ोसियों और रिश्तेदारों के आने का सिलसिला लगा हुआ है. वह बताते हैं, ‘खाली बैठे-बैठे लॉटरी का टिकट खरीदने का ख्याल आया था. लेकिन मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि यह टिकट मुझे करोड़पति बना देगा.’

इजारुल शेख का परिवार | फोटो : प्रभाकर मणि तिवारी

इजारुल के पड़ोसी साबिर शेख कहते हैं, ‘इजारुल का परिवार गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा था. कोरोनावायरस की वजह से उसे मजबूरन केरल से लौटना पड़ा था. लेकिन लॉटरी ने उसका जीवन बदल दिया है.’

बेलडांगा पंचायत समिति के अध्यक्ष नजरुल इस्लाम बताते हैं, ‘इलाके के सैकड़ों युवक राजमिस्त्री का काम करने के लिए मुंबई, दिल्ली और केरल में रहते हैं. कोरोना के चलते इनमें से कई लोग घर लौट आए हैं. यह आतंक खत्म होते ही तमाम युवक फिर अपने काम पर चले जाएंगे.’ लेकिन इजारुल अब केरल नहीं जाएंगे. वे अब लाटरी के पैसों से पहले एक बढ़िया घर बनवाना चाहते हैं. उसके बाद अपने बच्चों की बेहतरीन पढ़ाई का इंतजाम करना चाहते हैं. वह कहते हैं कि यहीं आसपास कोई कारोबार करूंगा ताकि पूरा परिवार एक साथ रह सके.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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