रायपुर: कोरोना रिकवरी रेट में छत्तीसगढ़ की स्थिति जहां देश में सबसे पीछे है वहीं एक्टिव मरीजों की संख्या में भी राज्य की हालत नौंवे स्थान से सातवें पर आ जाने से और खराब हो गई है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य में कोविड पॉजिटव मरीजों की ज्यादातर मौत और रिकवरी में देरी का कारण कोमोर्बिडिटी है.
केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में कोविड-19 मरीजों की रिकवरी रेट मेघालय के साथ देश में सबसे निचले स्तर पर है. हालांकि दोनों राज्यों के आंकड़ों का तुलनात्मक अध्यन उचित नहीं है क्योंकि छत्तीसगढ़ में जहां कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 84,000 पार कर चुकी है वहीं मेघालय में अब तक सिर्फ 5,500 के करीब संक्रमित मामले मिले हैं.
छत्तीसगढ़ से ज्यादा एक्टिव मरीजों वाले छह राज्यों में ठीक होने वालों की तुलनात्मक संख्या देखें तो महाराष्ट्र में कुल 11.88 लाख पॉजिटिव मामलों में 72 प्रतिशत रिकवरी दर के साथ करीब 8.6 लाख लोग ठीक हो चुके हैं.
आंध्र प्रदेश में करीब 6.18 लाख पॉजिटिव मरीजों में रिकवरी दर 86 प्रतिशत के साथ करीब 5.31 लाख लोग ठीक हो चुके हैं.
वहीं तमिलनाडु में 90 प्रतिशत रिकवरी दर के साथ करीब 5.37 लाख पॉजिटिव मरीज़ों में से 4.81 लाख ठीक हो चुके हैं. कर्नाटक में 79 प्रतिशत रिकवरी दर के साथ 5.11 लाख संक्रमितों में से 4.05 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं.
उत्तर प्रदेश में अब तक करीब 3.45 लाख पॉजिटिव केस पाए गए हैं जिनमें 2.77 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं यानि की वहां रिकवरी रेट 79 प्रतिशत है.
केरल छठा राज्य हैं जहां एक्टिव मरीजों की संख्या छत्तीसगढ़ से ज्यादा है लेकिन यहां भी रिकवरी दर करीब 71 प्रतिशत है.
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ का आंकड़ा देखें तो राज्य में अब तक करीब 84,000 पॉजिटव मरीज सामने आए हैं. राज्य में रिकवरी दर 54 प्रतिशत है और अब तक 46,000 मरीज ठीक हुए हैं.
दिप्रिंट द्वारा जब अधिकारियों से रिकवरी दर में भारी कमी का कारण पूछा गया तो राज्य कंट्रोल एंड कमांड सेंटर कोविड-19 के डाटा प्रभारी और प्रवक्ता डॉक्टर सुभाष पांडेय ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ में कोविड-19 मरीजों के रिकवरी दर में 3-4 प्रतिशत का सुधार आया है लेकिन अभी भी कई राज्यों की तुलना में ये कम हैं.’
उन्होंने बताया, ‘इसका प्रमुख कारण मरीजों में कोमोर्बिडिटी है.’
डॉक्टर पांडेय ने कहा, ‘एसोसिएटेड कोमोर्बिडिटी के चलते मरीजों के ठीक होने की स्पीड में कमी आई है. प्रदेश में कुल पॉजिटिव मरीजों की मौतों का आंकड़ा अन्य राज्यों की तुलना में काफी काम है जिससे यह साफ होता है कि यहां रिकवरी देरी से हो रही है.’
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ऑक्सीजन बेड की कमी भी एक समस्या
कोविड-19 मरीजों के इलाज में लगे कुछ वरिष्ठ डॉक्टरों ने दिप्रिंट को नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि ऑक्सीजन बेड्स की कमी से भी कोविड संक्रमण के प्रबंधन में दिक्कत आ रही है.
एक वरिष्ट डॉक्टर ने बताया, ‘कोमोर्बिडिटी तो अहम कारण है लेकिन प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड्स की कमी से भी इलाज में देरी हो रही है. कोमोर्बिडिटी के चलते कुछ मरीजों की हालात अचानक ही ज्यादा खराब हो जाती है. ऐसे में उनके लिए ऑक्सीजन बेड की आवश्यकता काफी बढ़ जाती है. लेकिन इसकी सप्लाई मांग के अनुरूप नहीं होने के कारण मरीज की हालत और बिगड़ जाती है.’
उनके मुताबिक, ‘राज्य में करीब 30 प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव मरीजों को कोविड अस्पताल में इलाज की आवश्यकता पड़ रही है. इसी कारण ऑक्सीजन बेड की आवश्यकता भी बढ़ रही है.’
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प्रदेश फिर लॉकडाउन की ओर
छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों के कारण भूपेश बघेल सरकार ने एक बार फिर लॉकडाउन की ओर रुख किया है. राजधानी रायपुर सहित प्रदेश सरकार ने सभी बड़े जिलों में एक सप्ताह के लिए पूर्ण लॉकडाउन करने का निर्णय लिया है.
शानिवर को जारी एक आदेश में रायपुर के कलेक्टर भारती दासन ने कहा, ‘अब तक किए गए सभी उपाय नाकाफी साबित हुए हैं जिसके कारण संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए 21 सितंबर की रात से लॉकडाउन किया जा रहा है.’
लॉकडाउन एक सप्ताह का नहीं बल्कि 15 दिनों का हो: विपक्ष
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार से मांग की है कि लॉकडाउन का समय एक सप्ताह की बजाए 15 दिनों का होना चाहिए.
दिप्रिंट से बात करते हुए कौशिक ने कहा, ‘प्रदेश में कोरोना के भयावह स्वरूप को लेकर प्रदेश सरकार को लगातार आगाह कर रहे हैं लेकिन प्रदेश सरकार कोरोना को लेकर गंभीर ना ही पहले थी न वर्तमान में है.’
उन्होंने कहा, ‘पूरे प्रदेश में एक साथ 15 दिनों का लॉकडाउन लगाना चाहिए.’
कौशिक ने कहा, ‘एक सप्ताह का लॉकडाउन पर्याप्त समय नहीं है. जिलावार लॉकडाउन लगाए जाने के बजाए पूरे प्रदेश में इसे एक साथ लागू किया जाना चाहिए.’
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ कोरोना के मामले में पूरे देश में प्रथम पंक्ति मे अपनी पहचान बना रहा है. कोरोना के सक्रिय मामलों के साथ अस्पतालों में बिस्तरों की कमी को लेकर प्रदेश सरकार ने कोई उचित कदम नहीं उठाये हैं.
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