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Saturday, 2 November, 2024
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कोरोना के कारण पिछले 100 दिनों में रिटेल व्यापार को 15.5 लाख करोड़ का नुकसान: कैट

कैट ने कहा कि अगर तुरंत इस स्थिति को ठीक करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाये गए तो देश भर में लगभग 20% दुकानों को बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा.

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नई दिल्ली: कोरोना महामारी की वजह से पिछले 100 दिनों में भारतीय खुदरा व्यापार को लगभग 15.5 लाख करोड़ रुपये के घाटे का सामना करना पड़ा है. इसकी वजह से घरेलू व्यापार में इस हद तक उथल-पुथल हुई है कि लॉकडाउन खुलने के 45 दिनों के बाद भी व्यापारी उच्चतम वित्तीय संकट, कर्मचारियों और दुकानों पर ग्राहकों की भारी कमी से बेहद परेशान हैं.

कॉन्फेड्रेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ये जानकारी मीडिया के साथ साझा की है. कैट के मुताबिक केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा व्यापारियों को कोई आर्थिक पैकेज नहीं दिए जाने से भी व्यापारी बेहद संकट की स्तिथि में हैं और इस सदी के सबसे बुरे समय से गुजर रहे हैं.

देश के घरेलू व्यापार की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने कहा, ‘देश में घरेलू व्यापार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. रिटेल व्यापार पर चारों तरफ से बुरी मार पड़ रही है. अगर तुरंत इस स्थिति को ठीक करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाये गए तो देश भर में लगभग 20% दुकानों को बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा.’

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, ‘अगर 20% दुकानें बंद होती हैं तो बेरोज़गारी बहुत ज़्यादा बढ़ सकती है.’

कैट ने कहा कि उनके अनुमान के मुताबिक देश के घरेलू व्यापार को अप्रैल में लगभग 5 लाख करोड़, मई में लगभग 4.5 लाख करोड़, जून महीने में लॉकडाउन हटने के बाद लगभग 4 लाख करोड़ था और जुलाई के 15 दिनों में लगभग 2.5 लाख करोड़ के व्यापार का घाटा हुआ है.

कैट ने कहा कि कोरोना को लेकर लोगों के दिलों में बड़ा डर बैठा हुआ है जिसके कारण स्थानीय खरीददार बाज़ारों में नहीं आ रहे हैं. अंतर-राज्यीय परिवहन की उपलब्धता में अनेक परेशानियों के कारण खरीददारी बिल्कुल ठप है जिससे देश के रिटेल व्यापार को काफी नुकसान हो रहा है.


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खंडेलवाल ने कहा कि इन सभी कारणों के चलते देशभर के व्यापारिक बाज़ारों में बेहद सन्नाटा है और आमतौर पर व्यापारी प्रतिदिन शाम 5 बजे के आसपास अपना कारोबार बंद कर अपने घरों को चले जाते हैं.

कैट के पास देश भर के व्यापारियों से उपलब्ध जानकारी के अनुसार कोरोना अनलॉक अवधि के बाद अब तक केवल 10% उपभोक्ता ही बाज़ारों में आ रहे हैं जिसके कारण व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

भरतिया ने कहा कि अभी तक व्यापारियों को केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा कोई आर्थिक पैकेज पैकेज नहीं दिया गया जिसके कारण व्यापार को पुन: जीवंत करना बेहद मुश्किल काम साबित हो रहा है.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे समय में जबकि देश भर के व्यापारियों की देख-रेख बेहद जरूरी थी, तो उन्हें अकेला छोड़ दिया गया है. इस समय व्यापारियों को ऋण आसानी से मिले इसके लिए एक मजबूत वित्तीय तंत्र को तैयार करना बेहद जरूरी है.’

उनका कहना है कि व्यापारियों को करों के भुगतान में छूट और बैंक ऋण, ईएमआई आदि के भुगतान के लिए एक विशेष अवधि दिया जाना और उस अवधि पर बिना कोई ब्याज अथवा पेनल्टी लगाए जाने की जरूरत है ताकि बाजार में आर्थिक तरलता आ सके.

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1 टिप्पणी

  1. सभी लोग परेशान है क्योंकि शेती करने वालों का नुकसान व्यापारियों का नुकसान जो कर्मचारी है उसको पगार नहीं जो मजदूर है उसको काम नहीं इसमें से सब मिलकर ही एक रास्ता निकालना जरूरी है आप अपने सब खर्चे 30 परसेंट से 50 परसेंट तक कम करने पड़ेंगे वही तो कोई बचा नहीं सकता

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