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Thursday, 25 April, 2024
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अर्बन वार्मिंग से लड़ने की तैयारी-तेलंगाना में कड़ी धूप को बेअसर कर इमारतों को ठंडा रखेंगी ‘कूल रूफ्स’

ये 'ठंडी छतें' कड़ी धूप का असर कम करके इमारतों को ठंडा बनाए रखती हैं, जिससे ऊर्जा की खपत भी कम होती हैं. योजना के पहले चरण में 300 वर्ग किमी क्षेत्र की सभी इमारतों की छतों को ‘कूल रुफ्स’ में बदला जाएगा.

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हैदराबाद: बड़े पैमाने पर शहरीकरण की वजह से बढ़ रहे तापमान से निपटने के लिए तेलंगाना सरकार किफायती और जलवायु-अनुकूल समाधान ‘कूल रूफ’ नीति लेकर आई है. सोमवार को लांच की गई इस योजना के बारे में कहा जा रहा है कि उच्च तापमान से निपटने के लिए देश में पहली बार ऐसा कदम उठाया गया है.

इस योजना के जरिए राज्य में सरकारी, कमर्शियल और आवासीय इमारतों को चरणबद्ध तरीके से ‘कूल रूफ’ में बदला जाएगा. इस प्रक्रिया में उन सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है जो धूप का असर कम कर देती है. इससे एक इमारत के तापमान को कम करने में मदद मिलती है. बिल्डिंग ठंडी रहेगी तो एयर कंडीशनर आदि के कारण होने वाली ऊर्जा की खपत भी अपने आप कम हो जाएगी.

तेलंगाना कूल रूफ्स पॉलिसी 2023-2028 को हैदराबाद में आईटी और नगरपालिका प्रशासन मंत्री केटी रामाराव (केटीआर) ने लॉन्च करते हुए कहा, ‘उन्हें उम्मीद है कि राज्य दूसरों के लिए एक ‘रोल मॉडल’ बन जाएगा.’

सोमवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए केटीआर ने कहा कि यह समाधान ‘बढ़ती गर्मी से लड़ने और थर्मल कंफर्ट में सुधार करने के लिए काम करेगा. और साथ ही राज्य को अपने शहरों में अर्बन हीट आइलैंड को कम करने की दिशा में ले जाएगा’.

अर्बन हीट आइलैंड का मतलब उस स्थिति से हैं जहां किसी शहर के भीतर कुछ इलाकों में उसके आसपास के क्षेत्र की तुलना में ज्यादा गर्मी या उच्च तापमान का अनुभव होता है.

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इस तरह के ‘आइलैंड’ शहरों में इसलिए बनते हैं क्योंकि कंक्रीट से बनी सड़कें और छतें प्राकृतिक सतहों की तुलना में अधिक गर्मी को अवशोषित करती है और उसे अपने बीच बनाए रखती हैं. हीट आइलैंड का संबंध हवा की खराब गुणवत्ता और उर्जा की ज्यादा खपत से भी है. दरअसल ज्यादा गर्मी की वजह से इन इलाकों में पंखे और एसी का इस्तेमाल बढ़ जाता है, , जो आगे चलकर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बढ़ाता है.

पॉलिसी में कहा गया है, ‘जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम की चरम घटनाएं मसलन हीट वेव अधिक गंभीर और लगातार बनी हुई हैं … तेलंगाना दक्कन के पठारों में बसा है. अपनी भौगोलिक और स्थलाकृतिक के कारण हीट वेव की चपेट में है. तेलंगाना तेजी से शहरीकरण की तरफ बढ़ रहा है, जिससे कूलिंग की मांग बढ़ रही है.’

चलिए जानते हैं कि ये ठंडी छतें यानी कूल रूफ्स कैसे काम करती हैं और तेलंगाना में इस नीति को किस तरह से लागू किए जाने की उम्मीद है.


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आखिर कूल रूफ्स हैं क्या ?

अध्ययनों से पता चलता है कि ‘ठंडी छतें’ अर्बन हीट आइलैंड के प्रभाव और ऊर्जा खपत को कम करने में मदद कर सकती हैं.

इन छतों को नियमित छतों की तुलना में कम धूप को अवशोषित करने यानी गर्मी के असर को कम करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है. इस तरह से बनी इमारतों का तापमान कम बना रहता है और कृत्रिम तरीके से इमारत को ठंडा रखने की जरूरत कम हो जाती है. दरअसल यह इमारत के तापमान को उसी तरह कम करता है जैसे हल्के रंग के कपड़े पहनने से आप धूप के दिनों में ठंडा महसूस करते हैं.

नीति के मुताबिक, ठंडी छतें 80 प्रतिशत तक सूरज की रोशनी को परावर्तित कर देती हैं, जबकि नियमित छतों से ऐसा सिर्फ 20 तक ही हो पाता है. ये इनडोर तापमान को 2.1 से 4.3 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकती है.

एक ठंडी छत स्थापित करना काफी सरल और लागत प्रभावी प्रक्रिया है. इसमें एक इमारत की मौजूदा छत को सौलर-रिफ्लेक्टिव पेंट के साथ कोटिंग करना या विशेष टाइलों और शीट मेंबरेन या सूरज की किरणों को प्रभावी ढंग से प्रतिबिंबित करने वाली अन्य सामग्रियों का इस्तेमाल करना शामिल है.

सोमवार को मीडिया से बात करते हुए केटीआर ने कहा कि कूल रूफ लगाना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है. ‘पहले कदम के रूप में, मैंने अपने घर की छत को सफेद रंग में रंगवाया है.’

कूल रूफ पॉलिसी कैसे क्रियान्वित होगी?

तेलंगाना कूल रूफ पॉलिसी को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 2028-29 तक राज्य के 300 वर्ग किलोमीटर (जिसमें से 200 वर्ग किमी हैदराबाद में होगा) में छतों को बदलने के साथ शुरू होगी.

इस चरण में पहला लक्ष्य 2023-24 में हैदराबाद के 5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ठंडी छतों को स्थापित करना है.

नीति दस्तावेज़ का अनुमान है कि पहले चरण को लागू करने से सालाना 600 मिलियन यूनिट (GwH) ऊर्जा की बचत हो सकती है और 30 मिलियन मीट्रिक टन Co2 उत्सर्जन में कमी आएगी.

केटीआर ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘2028-29 तक हमारा लक्ष्य हैदराबाद के 200 वर्ग किलोमीटर की छतों को कूल रुफ्स में बदलना है, जो कि बाहरी रिंग रोड सीमा के भीतर का 20 प्रतिशत इलाका है.’

मौजूदा समय में सिर्फ पहले चरण को रेखांकित करने वाली तेलंगाना नीति कहती है कि सभी सरकारी भवन, गैर-आवासीय परिसर – जैसे होटल, दुकानें, थिएटर, खुदरा परिसर, अस्पताल और शैक्षणिक संस्थान – और 600 वर्ग गज से अधिक की आवासीय संपत्तियों को अनिवार्य रूप से 2028-29 तक कूल रूफिंग को अपनाना हैं.

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए बने सरकारी आवासों की छतों को भी कूल रुफ्स में बदला जाएगा. अगले तीन सालों में सभी गैर-आवासीय भवनों की रेट्रोफिटिंग किए जाने की उम्मीद है.

नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संबंधित विभाग लोगों को इस बारे में जानकारी देने के लिए एक ढांचा तैयार करेंगे और ठंडी छतों को स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे.

तेलंगाना स्टेट बिल्डिंग परमिशन अप्रूवल सिस्टम में अनिवार्य कूल रूफिंग के लिए एक क्लॉज भी शामिल किया जाएगा.

केटीआर ने कहा, ‘यह नीति एक अल्पकालिक लक्ष्य नहीं है और न ही इसे किसी मतदाता को रिझाने के मकसद से लॉन्च किया गया है. यह एक दीर्घकालिक लक्ष्य है और हमारी आने वाली पीढ़ियों को बेहतर जीवन देने का प्रयास है. हैदराबाद में 2022 में देश में सबसे अधिक ऑफिस स्पेस हैं, पुणे और बेंगलुरु से भी ज्यादा. नीति के सफल कार्यान्वयन के साथ हम तेलंगाना को देश के लिए एक रोल मॉडल बनाएंगे.’

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हैदराबाद ने न्यूयॉर्क और लॉस एंजिल्स जैसे अमेरिकी शहरों के नक्शेकदम पर चलते हुए कूल रूफ सॉल्यूशंस को अपनाया है. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम ने 2017 में एक पायलट कूल रूफ प्रोग्राम शुरू किया था.

केंद्र सरकार ने इसी तरह के उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2019 में ‘इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान’ जारी किया था.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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