नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों का मामला सोमवार को संसद में पूरे जोरशोर से उठा कर इस मामले में कथित तौर पर दिल्ली पुलिस की नाकामी को जिम्मेदार ठहराते हुए गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करेगी. संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरू हो रहा है. बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक चला था.
कांग्रेस के सूत्रों ने रविवार को बताया कि पार्टी, संसद के दोनों सदनों में सोमवार को कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर बहस कराने की मांग कर सकती है. इस बीच लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कहा कि पार्टी दिल्ली के दंगों का मुद्दा संसद में जोरशोर से उठाएगी.
चौधरी ने बताया, ‘सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति को बरकरार रखने में पूरी तरह से नाकाम रही है. मुझे लगता है कि दंगा फैलाने वालों और पुलिस अधिकारियों के एक वर्ग की मिलीभगत हो सकती है जिसकी वजह से हुई भीषण हिंसा ने पूरी दुनिया में हमारी (भारत की) छवि को दागदार बना दिया है. हम सभी के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है.’
उन्होंने कहा, ‘हम गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग सदन में उठाते रहेंगे.’ इस बीच राज्यसभा सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि कांग्रेस देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट करने का मुद्दा संसद में उठाने की पुरजोर कोशिश करेगी.
सिंघवी ने कहा, ‘संसद के भीतर और बाहर विरोध का तरीका, साझा रणनीति का हिस्सा होगा और यह ऐसा विषय नहीं है जिसे सार्वजनिक किया जाए. देश इस बात के लिए आश्वस्त है कि हम गैरकानूनी तरीके से किए जा रहे चरम शोषण के बावजूद पूरी ताकत से बिना किसी भय के अपनी जिम्मेदारी को निभायेंगे.’
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने दिल्ली में दंगों के दौरान पुलिस पर पूर्वाग्रह पूर्ण रवैया अपनाते हुए कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को केन्द्र सरकार को राजधर्म की याद दिलाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा लेने की मांग की थी. कांग्रेस का आरोप है कि शाह ने इस मामले में अपने दायित्व का उचित निर्वाह नहीं किया है.
दंगा प्रभावित इलाकों में स्थिति शांतिपूर्ण
सांप्रदायिक दंगों से प्रभावित हुई उत्तर पूर्वी दिल्ली में रविवार की सुबह स्थिति शांतिपूर्ण रही. उत्तरपूर्वी दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती की गई है. सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल नियमित रूप से स्थानीय लोगों से बातचीत कर रहे हैं.
दिल्ली: बीते दिनों हिंसा से प्रभावित रहे जाफ़राबाद में अब हालात सामान्य हैं। इलाके में सुरक्षा बल अभी भी तैनात हैं, लोग अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं। #NortheastDelhi pic.twitter.com/8e1kF0jE53
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 1, 2020
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘स्थिति अब नियंत्रण में है. उत्तरपूर्वी जिले के सभी इलाकों में पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात हैं. हम लोग स्थानीय लोगों से बातचीत कर रहे हैं और उनमें आत्मविश्वास पैदा का प्रयास कर रहे हैं.’ उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों में जिले में किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं आई है. पुलिस वहां निवासियों से सोशल मीडिया पर आने वाली अफवाहों पर ध्यान नहीं देने और इस बारे में अधिकारियों को सूचित करने का अनुरोध कर रही है.
शनिवार को कार्यभार संभालने के तुरंत बाद दिल्ली पुलिस के कार्यवाहक प्रमुख एस एन श्रीवास्तव ने कहा कि उनकी प्राथमिकता शांति बहाल करना और राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करना है, जहां इस सप्ताह की शुरुआत में तीन दशक में सबसे भीषण दंगे हुए. दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त अमूल्य पटनायक के सेवानिवृत्त होने के बाद श्रीवास्तव को दिल्ली पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
पुलिस ने व्यापक संपर्क कार्यक्रम शुरू किया है और लोगों में आत्मविश्वास भरने के लिए वरिष्ठ अधिकारी हर समुदाय के लोगों से मिलकर उनसे बातचीत कर रहे हैं. उत्तरपूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार में हिंसा में 42 लोगों की मौत हुई है और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
बड़ी संख्या में संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. उपद्रवियों की भीड़ ने घरों, दुकानों, वाहनों और एक पेट्रोल पंप को आग लगा दी और स्थानीय लोगों एवं पुलिसकर्मियों पर पथराव किया.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)