नई दिल्ली: अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री होंगे और सचिन पायलट पार्टी के उपमुख्यमंत्री होंगे.
उसकी घोषणा शुक्रवार को कांग्रेस के राज्य में निरीक्षक केसी वेणुगोपाल ने किया. पार्टी के चुनाव जीतने के बाद पिछले तीन दिनों से इस पद पर खींचतान और विचार विमर्श चल रहा था.
सचिन पायलट के खेमें को और राज्य में पार्टी की जीत में उनकी भूमिका को देखते हुए ये निर्णय पार्टी के लिए मुश्किल बना हुआ था.
एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने युवा शक्ति को नकार अनुभव को चुना है. मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में भी अनुभवी घोड़े पर कांग्रेस अपना दांव लगा रही है.
15 साल बाद इन राज्यों में कांग्रेस की वापसी हुई है. इसलिए पार्टी फूंक-फूंक के कदम उठा रही थी. उसकी तलाश एक ऐसे नेता की थी जो पार्टी को 2019 में भी विजय रथ पर बिठाए.
अशोक गहलोत ने कहा, ‘ मैं विधायकों का आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने ये फैसला लिया. जिन मुद्दों को लेकर हम चुनाव लड़े थे- किसान, युवाओ के लिए रोज़गार, सुशासन जैसे वादों को हम पूरा करेंगे. मेरे सहयोगी सचिन पायलट जी और सभी विधायको के सथ मिलकर हम सुशासन लाएंगे.’
इससे पहले कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा था कि ‘महत्वपूर्ण फैसलों में हमेशा समय लगता है. राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी भी बैठक में मौजूद थीं.
गहलोत ने कहा कि भाजपा को इस मुद्दे पर टिप्पणी करने को कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री चुनने में सात दिनों का समय लिया था. इसी तरह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री चुनने में उसने नौ दिनों का समय लिया था.
उन्होंने कहा कि राजस्थान में भाजपा 70 दिनों से ज्यादा समय तक पार्टी अध्यक्ष नहीं नियुक्त कर सकी थी. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा जो नाम सुझाया गया, उसे तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खारिज कर दिया था.
उन्होंने कहा, ‘इस तरह के मुद्दे पर समय लगना सामान्य है. हम यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारी पार्टी में महत्वपूर्ण फैसलों पर संयुक्त रूप से चर्चा होती है.’
कांग्रेस ने भाजपा को हाल में हुए विधानसभा चुनावों में सत्ता से बेदखल कर दिया है. 99 सीटे जीत कर वह बसपा व निर्दलीयों के समर्थन से राजस्थान में सरकार बनाने जा रही है.