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शुक्रवार, 6 जून, 2025
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रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत करने पर कांग्रेस का तंज, ओवैसी ने उठाए सवाल

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर दो खबरें शेयर करते हुए यह टिप्पणी की और ओवैसी ने गोगोई को लेकर जजों की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा किया है.

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकर सोमवार कटाक्ष किया और कहा कि तस्वीरें सब कुछ बयां करती हैं. कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि रंजन गोगोई न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौते के लिए याद किए जाएंगे. वहीं एआईएमआईएम चीफ अससुद्दीन ओवैसी ने जजों की स्वतंत्रता को लेकर सवाल खड़ा किया है. सि

सिब्बल बोले- न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौते के लिए याद किए जांएगे गोगोई

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकर मंगलवार को दावा किया कि गोगोई न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे.

सिब्बल ने ट्वीट किया, ‘न्यायमूर्ति एच आर खन्ना अपनी ईमानदारी, सरकार के सामने खड़े होने और कानून का शासन बरकरार रखने के लिए याद किए जाते हैं.’

उन्होंने दावा किया कि न्यायमूर्ति गोगोई राज्यसभा जाने की खातिर सरकार के साथ खड़े होने और सरकार एवं खुद की ईमानदारी के साथ समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे.

दरअसल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को गोगोई का नाम राज्यसभा के लिए मनोनीत किया. गोगोई 17 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके सेवानिवृत्त होने से पहले उन्हीं की अध्यक्षता में बनी पीठ ने अयोध्या मामले तथा कुछ अन्य महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाया था.

सुरजेवाला ने कहा- तस्वीरे तस्वीरें सब कुछ बयां करती हैं

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर दो खबरें शेयर करते हुए यह टिप्पणी की.

उन्होंने जो खबरें शेयर की हैं उनमें से एक में गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किये जाने की है और दूसरी में कहा गया है कि न्यायपालिका पर जनता का विश्वास कम होता जा रहा है.

सुरजेवाला ने ये खबरें शेयर करते हुए कहा, ‘तस्वीरें सबकुछ बयां करती हैं.’ दरअसल, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सोमवार को गोगोई का नाम राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. गोगोई 17 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. उनके सेवानिवृत्त होने से कुछ दिनों पहले इन्हीं की अध्यक्षता में बनी पीठ ने अयोध्या मामले में फैसला सुनाया था.

संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत, राष्ट्रपति 12 सांसदों को ‘साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले’ राज्यसभा में नियुक्त कर सकते हैं.

एआईएमआईएम चीफ अससुद्दीन ओवैसी ने गोगोई को राज्यसभा भेजे जाने पर सवाल उठाया है कि क्या है इनाम है. जजों की स्वतंत्रता में कैसे यकीन रहेगा. कई सवाल हैं.

राज्यसभा में पहले सीजेआई नहीं

जस्टिस गोगोई राज्यसभा में पहुंचने वाले पहले सीजेआई नहीं होंगे. 21वें सीजेआई रंगनाथ मिश्रा ने 1998 से 2004 तक उच्च सदन में एक सांसद के रूप में कार्य किया है. हालांकि, न्यायमूर्ति मिश्रा कांग्रेस के सांसद थे, न कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए प्रतिष्ठित सदस्य.

इस्लाम 1980 में सेवानिवृत्त हुए, लेकिन एक बार जब इंदिरा गांधी वापस लौट आईं, तो उन्हें एक न्यायाधीश के रूप में सुप्रीम कोर्ट भेजा गया.

सरकार ने पूर्व सीजेआई गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया

सरकार ने सोमवार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया.

इस संबंध में एक अधिसूचना गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई.

अधिसूचना में कहा गया, ‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (ए), जिसे उस अनुच्छेद के खंड (3) के साथ पढ़ा जाए, के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति को श्री रंजन गोगोई को राज्यसभा में एक सदस्य का कार्यकाल समाप्त होने से खाली हुई सीट पर मनोनीत करते हुए प्रसन्नता हो रही है.’

यह सीट केटीएस तुलसी का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने से खाली हुई थी.

गोगोई ने उस पांच न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व किया जिसने गत वर्ष नौ नवम्बर को संवेदनशील अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था. वह उसी महीने बाद में सेवानिवृत्त हो गए थे. गोगोई ने साथ ही सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे संबंधी मामलों पर फैसला देने वाली पीठों का भी नेतृत्व किया.

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