नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, प्रधानमंत्री , गृह मंत्री ने ‘पेगासस’ को भारत और उसके संस्थानों के खिलाफ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया, यह राजद्रोह है.
राहुल गांधी ने कहा , यह सिर्फ मेरी निजता का मामला नहीं है, जनता की आवाज पर आक्रमण है. सुप्रीम कोर्ट और राफेल की जांच को रोकने के लिए पेगासस का प्रयोग किया गया. गृहमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और नरेंद्र मोदी पर न्यायिक जांच होनी चाहिए क्योंकि इसका ऑथराइजेशन पीएम और गृहमंत्री ही कर सकते हैं.
Pegasus is classified by the Israeli state as a weapon and that weapon is supposed to be used against terrorists. The Prime Minister and Home Minister have used this against the Indian state and against our institutions: Congress leader Rahul Gandhi pic.twitter.com/lT9J470a82
— ANI (@ANI) July 23, 2021
कांग्रेस के सांसदों ने पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके राहुल गांधी समेत कई प्रमुख व्यक्तियों की कथित तौर पर जासूसी किए जाने के मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग करते हुए शुक्रवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया.
लोकसभा और राज्यसभा के कई कांग्रेस सदस्यों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया.
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और कांग्रेस के कई अन्य सांसद इस मौके पर मौजूद थे.
अपने आप जो चाहें बोलकर चले जाना। लोकतंत्र में चर्चा होती है फिर लोग बोलते हैं। सदस्यों का सुनकर उसके बाद अगर वे कोई स्टेटमेंट देते तो उसका कोई मूल्य है। वे सभी चीजों को दबाना चाहते हैं और अलोकतांत्रिक तरीके से चलाना चाहते हैं: कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे https://t.co/GaOpMhhsXb
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 23, 2021
उन्होंने अपने हाथ में एक बड़ा बैनर ले रखा था जिस पर ‘वी डिमांड सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड ज्यूडिसियल प्रोब’ (हम उच्चतम न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग करते हैं) लिखा हुआ था.
उन्होंने ‘जासूसी बंद करो’ और ‘प्रधानमंत्री सदन में आओ’ के नारे भी लगाए.
गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ ने दावा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के कुछ रसूखदार लोगों सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों.
(भाषा के इनपुट के साथ)