नई दिल्ली: बढ़ती महंगाई को लेकर मोदी सरकार निशाने पर है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने खुदरा मुद्रास्फीति की दर के 7.35 प्रतिशत तक पहुंच जाने को लेकर मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि गिरती अर्थव्यवस्था देश के लिए बड़ा खतरा है.
पूर्व वित्त मंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘देश सीएए, एनपीआर विरोधी प्रदर्शनों से प्रभावित है. दोनों एक स्पष्ट और वर्तमान खतरे को प्रस्तुत करते हैं. गिर रही अर्थव्यवस्था देश के लिए एक बड़ा खतरा है. यदि बेरोजगारी बढ़ती है और आय में गिरावट आती है, तो युवाओं और छात्रों में गुस्से के विस्फोट का खतरा है.’ उन्होंने तंज करते हुए कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति 14.12 प्रतिशत है. सब्जियों की कीमतें 60 प्रतिशत तक बढ़ी हैं. प्याज की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हैं. यही भाजपा द्वारा वादा किया गया अच्छे दिन है.’
चिदंबरम ने आरोप लगाया, ‘अक्षम प्रबंधन का चक्र पूरा हो गया है. जुलाई 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने मुद्रास्फीति 7.39 प्रतिशत पर होने के साथ शुरुआत की थी, जो दिसंबर 2019 में 7.35 प्रतिशत रही.’ गौरतलब है कि खुदरा मुद्रास्फीति की दर दिसंबर, 2019 में जोरदार तेजी के साथ 7.35 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है. यह भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है. खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति में उछाल आया है.
थोक मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 2.59 प्रतिशत पर
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर, 2019 में बढ़कर 2.59 प्रतिशत पर पहुंच गई. मुख्य रूप से प्याज और आलू के दाम बढ़ने से थोक मुद्रास्फीति बढ़ी है.
Government of India: The annual rate of inflation, based on monthly WPI, stood at 2.59% (provisional) for the month of December, 2019 (over December,2018) as compared to 0.58% (provisional) for the previous month. pic.twitter.com/Dx5xQB3WtB
— ANI (@ANI) January 14, 2020
नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 0.58 प्रतिशत पर थी. दिसंबर, 2018 में यह 3.46 प्रतिशत के स्तर पर थी.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में खाद्य वस्तुओं के दाम 13.12 प्रतिशत बढ़े. एक महीने पहले यानी नवंबर में इनमें 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी.
इसी तरह गैर खाद्य उत्पादों के दाम चार गुना होकर 7.72 प्रतिशत पर पहुंच गए. नवंबर में गैर खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 1.93 प्रतिशत थी.
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं में माह के दौरान सब्जियां सबसे अधिक 69.69 प्रतिशत महंगी हुईं. इसकी मुख्य वजह प्याज है जिसकी मुद्रास्फीति माह के दौरान 455.83 प्रतिशत बढ़ी. इस दौरान आलू के दाम 44.97 प्रतिशत चढ़ गए.
इससे पहले सोमवार को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 7.35 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो इसका पांच साल का उच्चस्तर है.
पियंका गांधी ने भी सरकार को निशाने पर लिया
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर सब्जियों और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए निशाना बनाया.
कांग्रेस नेता ने उन्होंने ट्वीट किया,’ केंद्र सरकार पर न केवल नागरिकों की जेब काटने का आरोप लगाया, बल्कि कहा वह उनकी आजीविका भी छीन ली. ‘सब्जियों और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतें आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं. सब्जियां, तेल, दाल और आटा महंगा होने पर गरीब क्या खाएगा. आर्थिक मंदी के कारण गरीबों को रोजगार भी नहीं मिल रहा है. भाजपा सरकार ने सिर्फ गरीबों की जेब काट रही है बल्कि उनके पेट पर लात भी मारी है.’
अर्थशास्त्री बोले-
डॉ. सुनील सिन्हा, प्रमुख अर्थशास्त्री, इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च (फिच ग्रुप) ने दिसंबर 2019 के जारी आंकड़ों पर कहा
दिसंबर 2019 में थोक मुद्रास्फीति 2.59% तक बढ़ी. हालांकि, थोक मुद्रास्फीति का स्तर अभी भी मॉडरेट है, यह सात महीने के उच्च स्तर पर है. खुदरा मुद्रास्फीति की तरह थोक मुद्रास्फीति का प्रमुख चालक भी खाद्य मुद्रास्फीति है जो दिसंबर 2019 में 13.2% पर था.
2019 की शुरुआत से खाद्य मुद्रास्फीति का प्रमुख चालक मोटे अनाज और दाल हैं. मार्च में सब्जियां इसमें शामिल हो गईं और तब से सब्जियों की मुद्रास्फीति दो अंकों में है. प्याज और टमाटर की कीमतों में हाल ही में अचानक वृद्धि के कारण सब्जियों की मुद्रास्फीति अधिक तीव्र हो गई. हालाँकि दिसंबर 2019 में सब्जियों के महंगाई को 69.7 प्रतिशत तक पहुंचाने में कम आधार ने भी अपनी भूमिका निभाई है, लेकिन पिछले सर्दियों की तुलना में इस साल सब्जियों की कीमतें अधिक बनी हुई हैं.
खुदरा मुद्रास्फीति 7.35% और थोक मुद्रास्फीति 2.59% है, हालांकि यह एक विपरीत तस्वीर प्रस्तुत करता है. खुदरा मुद्रास्फीति अब लक्षित स्तर से अधिक है.
(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)