नई दिल्ली: कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद सोमवार को राज्य में अपनी सभी जिला समितियों को भंग कर दिया. आईएएनएस ने 20 जून को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी जिला समितियों को भंग करने पर विचार कर रही है. लोकसभा चुनावों में पार्टी सिर्फ रायबरेली की सीट पर जीत हासिल कर सकी. इसका प्रतिनिधित्व संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी करती हैं. राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी की सीट पर केंद्रीय मंत्री व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता स्मृति ईरानी से 55,000 वोटों से हार गए थे. कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने कहा कि यह कार्रवाई महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा दिए गए प्रस्तावों के आधार पर की गई, जो क्रमश: पार्टी के पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी हैं.
वेणुगोपाल द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया कि कांग्रेस पार्टी ने राज्य में होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर चुनाव वाली हर विधानसभा सीट के लिए दो सदस्यीय समिति की नियुक्ति की है. कांग्रेस के विधानसभा में नेता अजय कुमार लल्लू को संगठन में बदलाव का प्रभारी नियुक्त किया गया है.
इस आदेश में यह भी कहा गया है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी में अनुशासनहीनता की शिकायत की जांच के लिए तीन सदस्यीय अनुशासन समिति बनाई जाएगी. पार्टी ने 19 जून को कर्नाटक कांग्रेस समिति को भंग कर दिया था.
लोकसभा चुनाव में हार पर राज्य प्रभारियों संग बैठकें कर रहे राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन की समीक्षा के लिए पार्टी के राज्य प्रभारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं. कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी.एल.पुनिया से चर्चा करने के कुछ दिनों बाद शुक्रवार को राज्य के वरिष्ठ नेता टी.एस. सिंह देव से चर्चा की. वह आज शाम को पुनिया से फिर मुलाकात करेंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष महाराष्ट्र के प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे से बुधवार को और दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको से शुक्रवार को मिलेंगे. कांग्रेस छत्तीसगढ़ की 11 संसदीय सीटों में से सिर्फ दो पर जीत हासिल कर सकी है. महाराष्ट्र में कांग्रेस 48 लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब रही है. पार्टी राष्ट्रीय राजधानी की सात संसदीय सीटों में सभी हार गई.
कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन इस प्रस्ताव को कांग्रेस कार्यकारिणी ने अस्वीकार कर दिया. इससे पार्टी अब नेतृत्व के संकट से जूझ रही है.