scorecardresearch
Tuesday, 7 May, 2024
होमदेश'मेरा बेटा मैतेई लोगों के लिए भीड़ में शामिल हुआ था': मणिपुर वीडियो को लेकर गिरफ्तार व्यक्ति की मां बोलीं

‘मेरा बेटा मैतेई लोगों के लिए भीड़ में शामिल हुआ था’: मणिपुर वीडियो को लेकर गिरफ्तार व्यक्ति की मां बोलीं

मणिपुर के थौबल के पेची गांव से गिरफ्तार किए गए 2 लोगों के परिजनों का दावा है कि वे मेइती लोगों की रक्षा के लिए भीड़ में शामिल हो गए. वहीं महिलाओं के संगठनों का कहना है कि 'यह किसी समुदाय के बारे में नहीं है’.

Text Size:

थौबल: थौबल जिले के पेची गांव में हुइरेम हेरोडास का बांस और मिट्टी का घर का अब सिर्फ अवशेष बच गया है. जली हुई लकड़ी और जंग लगा और पिघला हुआ टिन अब राख के साथ वहां पड़े हुआ है. 4 मई को मणिपुर के कांगपोकपी जिले में कुकी महिलाओं पर हमला करने वाली भीड़ के एक वीडियो के संबंध में पुलिस द्वारा गांव से पकड़े गए दो लोगों में से एक को गिरफ्तार करने के कुछ घंटों बाद पास के मैतेई गांवों की गुस्साई भीड़ ने उसके घर में आग लगा दी.

20 जुलाई को सुबह लगभग 7.30 बजे, एक बड़ा पुलिस काफिला येरिपोपोक बाजार में हेरोदास की पंचर मरम्मत करने की दुकान पर पहुंचा और उसे गिरफ्तार कर लिया. दोपहर 2 बजे तक, उनकी गिरफ्तारी की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और उनके माता-पिता, पत्नी और 11, सात और तीन साल के तीन बच्चों को अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण लेनी पड़ी क्योंकि भीड़ ने उनके घर को आग लगा दी.

The burnt down house of accused Huirem Herodas in Pechi village, Thoubal district of Manipur | Suraj Singh Bisht | ThePrint
हुइरेम हेरोडास का जला हुआ घर | फोटो: सूरज सिंह बिष्ठ | दिप्रिंट

जला हुआ घर इस बात का सबूत है कि मैतेई महिलाओं के अंदर इस घटना को लेकर काफी गुस्सा है. क्षेत्र में सक्रिय नागरिक समाज संगठन अपुनबा नुपी लूप (महिला संगठन) की सलाहकार माटोलेबी चानू कहती हैं कि महिलाओं के भीतर काफी आक्रोश है.

चानू कहती हैं, “वीडियो में महिलाओं के साथ जो हुआ उसकी हम कड़ी निंदा करते हैं. यह कुकी और मेइतेई लोगों के बारे में नहीं है. यह महिलाओं के बारे में है. ऐसा महसूस होता है जैसे यह हमारे साथ हुआ हो. हमने इसे निजी तौर पर लिया है. यह मणिपुर, भारत या दुनिया के किसी भी हिस्से में नहीं होना चाहिए था.” चानू प्रेस को गांव में आने की सूचना मिलकर वहां पहुंची थी. 

पिछले दिन, दो कुकी महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो वायरल होने के बाद, 32 वर्षीय हेरोडास का चेहरा ज़ूम किया गया, उसकी तस्वीर को क्रॉप किया गया और उसके तस्वीर को आरोपियों में से एक के रूप में सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर प्रसारित किया गया. 26 सेकंड के वीडियो में, हेरोडास को एक महिला की छाती पकड़कर पास के खेत में खींचते हुए देखा जा सकता है. उसके अलावा कई अन्य पुरुषों ने उस महिला को घेर रखा था और वो महिला को थप्पड़ मार रहे थे और उसके साथ छेड़छाड़ कर रहे थे.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

वीडियो को लेकर लोगों के बीच जबरदस्त आक्रोश था, जिसके बाद पुलिस को आरोपियों पर तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी.

लेकिन इस बीच, हेरोदास का परिवार तबाह हो गया है. जैसे ही दिप्रिंट की टीम गांव पहुंचती है, उनकी मां के. लता देवी अपने घर के जले हुए अवशेषों को दिखाते हुए चिल्ला-चिल्लाकर रोने लगती है. 

देवी रोते हुए कहती हैं, “एक सप्ताह पहले जब मैंने पहली बार अपने बेटे के अपराध में शामिल होने की अफवाह सुनी तो मैंने उससे इसके बारे में पूछा. उसने मेरे सामने कबूल किया कि उसने ऐसा किया है. लेकिन उसने कहा कि उन्होंने ऐसा किसी निजी मकसद से नहीं किया. उसने भीड़ का हिस्सा बनकर और हमारे (मैतेई) समुदाय के हित में ऐसा किया.”

उन्होंने अपने बेटे की गिरफ्तारी के बाद टीवी पर वायरल वीडियो को देखा था.

हेरोदास के घर के पास इकट्ठा हुए आसपास के गांवों के लोग उसके द्वारा किए गए कामों को लेकर उसका बचाव करते हैं.

पड़ोसी यारीपोक गांव के निवासी नीलकमल कहते हैं, “वह महिला को भीड़ से बचाने की कोशिश कर रहा था. महिला ने उससे यह कहा था कि भाई, मुझे बचा लो, इसलिए वह उसके पास गया था.”

घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य हेरोडास ने 10वीं कक्षा के बाद स्कूल जाना छोड़ दिया था.

देवी के मुताबिक, सोशल मीडिया पर वीडियो आने के बाद भी वह कहीं भागा नहीं या फिर अंडरग्राउंड नहीं हुआ. उनके लिए यह एक सामान्य बात थी क्योंकि उसका मानना ​​था कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है. हालांकि, जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो उसका परिवार सदमे में था.

पेची गांव के सचिव ओइनम नाबा सिंह ने कहा, “उसे मुख्य अपराधी बना दिया गया है. हमें सच्चाई तक पहुंचने की जरूरत है और हम न्यायिक जांच की मांग करते हैं.”

ग्रामीणों को संदेह है कि पुलिस के सामने हेरोदास के कबूलनामे ने शायद उन्हें पेची के अन्य कथित आरोपी 21 वर्षीय निंगोंगबाम टोम्बा सिंह तक पहुंचा दिया. सिंह, जिन्होंने केवल 9वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और आजीविका के लिए राजमिस्त्री के रूप में काम करते हैं, वायरल हुई 26 सेकंड की क्लिप में नजर भी नहीं आ रहे हैं.

मामले में शनिवार सुबह तक गिरफ्तार किए गए हेरोदास, सिंह और दो अन्य लोगों को शुक्रवार को 11 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.

‘मेरे पति इस गंदगी का हिस्सा नहीं’

हेरोदास के घर से कुछ मीटर की दूरी पर सिंह का घर है जहां उनकी पत्नी गमगीन बैठी है. अपने एक साल के बेटे को गोद में लिए हुए बीबी निंगोंगबाम ने कहा, “मेरे पति 4 मई को बाहर गए थे. लेकिन वह अकेले नहीं हैं जो हमारे लोगों (मैतेई) को बचाने के लिए चले गए. वो गांव के कई अन्य समुदाय के लोगों की सुरक्षा के लिए भी गए थे.”

Bibi Ningongbam, wife of Ningombam Tomba Singh who has been arrested by police from Pechi village | Suraj Singh Bisht | ThePrint
बीबी निंगोंगबाम, निंगोंगबाम टोम्बा सिंह | फोटो: सूरज सिंह बिष्ठ | दिप्रिंट

वह आगे कहती हैं कि अगर वह दोषी पाया जाते हैं तो पुलिस को उनके खिलाफ कानून के मुताबिक मुकदमा चलाना चाहिए. जिस स्थान पर वीडियो शूट किया गया वह पेची गांव से तीन किलोमीटर से अधिक दूर है.

पुलिस सिंह को गिरफ्तार करने के लिए गुरुवार शाम उनके घर पहुंची थी.

वह रोते हुए कहती हैं, “अगर वह वीडियो में दिखाई गई गंदगी का हिस्सा है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. लेकिन अगर वह निर्दोष है, तो पुलिस को उसे तुरंत रिहा कर देना चाहिए. मेरा बेटा अभी एक साल का है. अपने पति के बिना, मैं कुछ नहीं कर सकती.” 

उन्हें सांत्वना देते हुए, चानू और अपुनबा नुपी लूप की अन्य महिलाएं कहती हैं कि जातीय दरार के समय में भी, वे कानून से बंधी हुई हैं. चानू ने कहा, “हमें कानून जो कहता है हमें उसका पालन करना होगा.”

दिप्रिंट ने कॉल और संदेशों के माध्यम से पुलिस अधीक्षक सचिदानंद सोइबम से संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


यह भी पढ़ें: ‘हुक्का पानी बंद’- हरियाणा में खाप की बात न मानने पर 9 परिवारों को सामाजिक बहिष्कार क्यों झेलना पड़ा


अपराध दरारें पैदा करता है

पेची और उसके आसपास के गांवों में लोगों के अंदर काफी गुस्सा है. कुकी महिलाओं या समुदाय का पक्ष लेने की दुविधा मैतेई समुदाय के ग्रामीणों और मीरा पैबिस (महिला संगठन, जैसे अपुनबा नुपी लूप) से जुड़ी महिलाओं को विभाजित कर रख दिया है. 

हेरोदास के घर के बाहर इसी को लेकर तेज बहस शुरू हो गई क्योंकि वहां गिरफ्तार किए गए दो लोगों के परिवार नम आंखों के साथ वहां खड़े थे.

नीलकमल का कहना है कि हालांकि, वीडियो में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार अमानवीय है, लेकिन इसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए प्रेरित किया.

उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री ने 70 दिनों से अधिक समय के बाद मणिपुर में हिंसा के बारे में बात की. हम लड़के (हेरोडास) की सराहना करते हैं. हमारी भूमि की रक्षा करना मैतेई लोगों का कर्तव्य है. कुकी आते हैं और हमारी ज़मीन को अपने हिसाब से इस्तेमाल करने लगते.” 

20 जुलाई को पीएम मोदी ने संसद के मानसून सत्र से पहले कहा कि लीक हुए वीडियो ने “140 करोड़ भारतीयों को शर्मसार किया” और उन्हें काफी “दुख” पहुंचा. हालांकि, उन्होंने उस बड़ी जातीय हिंसा के बारे में कुछ नहीं कहा जो पिछले दो महीने से अधिक समय से राज्य में फैली हुई है.

पेची गांव के लोगों ने दावा किया कि 4 मई को जो कुछ हुआ वह चुराचांदपुर में कुकियों द्वारा शुरू की गई कार्रवाई की प्रतिक्रिया थी. एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, “चुराचंदपुर में मैतेई महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया. हमने चुराचांदपुर के बारे में वह खबर सुनी. हमारे समुदाय को बचाने के लिए, उसने (हेरोडास) जो किया वह ठीक है.” 

इस महीने की शुरुआत में, दिप्रिंट ने बताया कि कैसे हिंसा के पहले कुछ दिनों में फर्जी खबरों के कारण मैतेई पुरुषों द्वारा कुकी महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की बाढ़ आ गई.

दूसरी ओर, मीरा पैबिस वीडियो में दिखाई देने वाली दो कुकी महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार के बारे में दृढ़ता से मुखर हैं.

चानू का कहना है कि यद्यपि वह हेरोडास को महिला को ले जाते हुए देख सकती है, लेकिन यह जांच का विषय है कि क्या उसने उसकी रक्षा की या उसके साथ छेड़छाड़ की.

उन्होंने कहा, “पीड़ितों के आस-पास के लोगों की कुछ गलती होगी (यदि उन्हें वीडियो में देखा जा सकता है तो उन्होंने कुछ किया होगा). लेकिन हम यह निर्णय नहीं कर सकते कि उस आदमी ने क्या किया. इस मामले की कानूनी जांच ही यह बता पाएगी.”

इस बीच, वीडियो में दर्शाए गए अपराध के खिलाफ विरोध करते हुए, मैतेई महिलाओं ने शुक्रवार सुबह लुवांगसांगबाम में एक मानव श्रृंखला बनाई, जो इंफाल पूर्व में सीएम एन. बीरेन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र, हिंगांग के अंतर्गत आता है. बाद में, सिंह ने महिलाओं को संबोधित किया और उन्हें आश्वासन दिया कि वायरल वीडियो में देखे गए सभी अपराधी जल्द ही पकड़े जाएंगे.

Meitei women after CM N. Biren Singh's public meeting at Luwangsangbam, Imphal East. Suraj Singh Bisht | ThePrint
सीएम एन. बीरेन सिंह को सुनने के लिए आई महिलाएं | फोटो: सूरज सिंह बिष्ठ | दिप्रिंट

मीडिया रिपोर्ट्स में सिंह के हवाले से कहा गया है कि राज्य के लोग “महिलाओं को अपनी मां मानते हैं” लेकिन जिस घटना की देश भर में निंदा हुई, उसने “राज्य की प्रतिष्ठा को धूमिल किया”.

मई में जातीय दंगे शुरू होने के बाद से यह पहली बार है कि मैतेई महिलाएं कुकी पीड़ित महिलाओं के समर्थन में और अपने ही समुदाय के पुरुषों के खिलाफ मजबूती से सामने आई हैं.

विरोध में भाग लेने वाली बीना रानी ने कहा, “यह समुदाय के बारे में नहीं है. यह महिलाओं के बारे में है. अपराध और युद्ध अलग-अलग हैं. इस समय महिलाएं और बच्चे सुरक्षित रहें. अगर दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो हम फिर से विरोध प्रदर्शन करेंगे.”

हत्याओं के वीडियो पुरुषों को उकसा रहे हैं

मणिपुर में इंटरनेट प्रतिबंध के बावजूद गोलीबारी और लिंचिंग के वीडियो और तस्वीरें प्रसारित होने से नहीं रुकी हैं. गांव का एक लड़का अपना फोन निकालते हुए दिखाता है कि एक आदमी को नजदीक से गोली मारी जा रही है. फिर शूटर उसके लंगड़े शरीर को एक उथली खाई में फेंक देता है. वीडियो में पीड़ित या गोली चलाने वाले की पहचान स्पष्ट नहीं है, लेकिन गांव के लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वीडियो में कुकी आदमी को मैतेई को गोली मारते हुए दिखाया गया है.

एक अन्य वीडियो में काले कपड़े पहने एक व्यक्ति को खून से सना हुआ चेहरा लेकर फर्श पर बैठे देखा जा सकता है. अज्ञात लोग उसे घेर लेते हैं, बीच-बीच में लात और थप्पड़ मारते रहते हैं.

ऊपर उद्धृत पेची गांव के व्यक्ति ने कहा, “सैकड़ों मेइती अभी भी लापता हैं. चुराचांदपुर में कई लोग मारे गए, और जब लाशों से बदबू आने लगी, तो उन्हें जेसीबी मशीनों से खोदी गई एक बड़ी खाई में दफना दिया गया.”

दिप्रिंट इनमें से किसी भी दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सकता है.

इंटरनेट के बिना, ShareMe जैसे ऐप्स के माध्यम से साझा किए गए ऐसे वीडियो युवाओं को लगातार गुस्से की खुराक दे रहे हैं, जो, उनका कहना है, फिर उन्हें कार्य करने के लिए उकसाता है.

नीलकमल ने कहा, “4 मई को भी यही हुआ था. हम पर इस बात की बमबारी की गई कि कुकियों ने मेइतेई संपत्तियों को जला दिया, लूट लिया और तोड़फोड़ की. और उन्होंने चुराचांदपुर में मैतेई लोगों के खिलाफ भयानक अपराध किए थे.” 

उन्होंने आगे कहा, इसीलिए, जब थौबुल में कुकियों को देखे जाने की खबर उन तक पहुंची, तो इस गांव के लोग भीड़ को ताकत देने के लिए गए.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: सरकार नई, पर बांटने की वही पुरानी राजनीति; मणिपुर में BJP सरकार ने बदलाव की कभी कोशिश नहीं की


 

share & View comments