scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेश'राखी के लिए घर आ जाओ'- आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली ने अपने भाई-बहनों से माओवाद छोड़ने की अपील की

‘राखी के लिए घर आ जाओ’- आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली ने अपने भाई-बहनों से माओवाद छोड़ने की अपील की

शनिवार को आठ लाख रुपए का 22 वर्षीय ईनामी नक्सली मल्ला ने आत्मसमर्पण किया. मल्ला ने इसके बाद अपनी बहन  से थाने में राखी बंधवाई और अपने माओवादी भाई और बहनों से घर वापसी की अपील भी की.

Text Size:

रायपुर: छत्तीसगढ़ बस्तर के कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है और अब वे अपने भाई-बहनों से जो अभी भी सीपीआई (माओवाद) का हिस्सा हैं उनसे रक्षा-बंधन के अवसर पर घर वापसी की अपील की है. उन्होंने उन भाई बहनों से नक्सल का रास्ता छोड़ने की बात भी कही है.

शनिवार को आठ लाख रुपए का 22 वर्षीय ईनामी नक्सली मल्ला ने आत्मसमर्पण किया. मल्ला ने इसके बाद अपनी बहन  से थाने में राखी बंधवाई और इस मौके पर अपने माओवादी भाई और बहनों से घर वापस आने की अपील भी की. इस दौरान पहले आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों ने भी यही गुहार लगाई.

बस्तर पुलिस के मुताबिक दुर्दांत नक्सली मल्ला 31 जुलाई को 12 साल बाद अपने गांव पालनार लौटा. इस दौरान वह अपने माता पिता और छोटी बहन लिंगे और अन्य दो छोटे भाई बहन से भी मिला.

पुलिस ने यह भी बताया कि जब लिंगे के सामने मल्ला आया तो वह उसे पहचान भी नहीं पाई क्योंकि जब मल्ला घर छोड़ कर गया था तब वह 10 साल का था और बहन की उम्र उस समय महज छह साल थी. लेकिन जब बहन ने भाई को पहचाना तो उसपर जंगल वापस न जाने के लिए दबाव बनाने लगी. लिंगे उसे सरेंडर करने के लिए मनाने लगी.

लिंगे और परिवार के अन्य सदस्यों के द्वारा समझाने के बाद मल्ला उनकी बात मान गया और फिर 1 अगस्त को पुलिस थाने जाकर आत्मसमर्पण कर दिया.

लिंगे की शर्त के अनुसार मल्ला के सरेंडर के बाद बहन ने भाई की कलाई पर राखी बांधी और दोनों ने एक दूसरे को दंतेवारा के पालनार थाने में मिठाई खिलाई.

दंतेवाड़ा के जिला पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने दिप्रिंट को बताया,’ मल्ला को उसका चाचा जो खुद एक नक्सली मिलिशिया कमांडर था 2008 में अपने साथ ले गया था.’

वह आगे बताते हैं, ‘ मल्ला एक तेज दिमाग वाला नक्सली था जो पहले बाल संगम का सदस्य बना और 2015 में 17 साल की उम्र आते तक माओवादियों की प्लाटून नंबर 13 का डिप्टी कमांडर बन गया.’

मल्ला के आत्मसमर्पण में उसकी बहन का बहुत बड़ा सहयोग है. इसका एक कारण सुरक्षाबलों द्वारा नक्सलियों के सरेंडर के लिए चलाये जा रहे विशेष कार्यक्रम लोन वर्राटू भी है. पल्लव ने आगे बताया, ‘मल्ला जो पालनार से एक मात्र ईनामी नक्सली था उसका फोटो और फ्लैक्स पहले ही उस क्षेत्र में पुलिस द्वारा सार्वजनिक कर दिया गया था. नक्सलियों द्वारा अपने भाई बहनों से ऐसी अपील का नक्सलियों पर सकारात्मक असर पड़ना चाहिए.’

रक्षा बंधन पर गुहार

शानिवर को मल्ला और लिंगे द्वारा रक्षाबंधन मनाए जाने के बाद दूसरे पूर्व नक्सली भी थाने पहुंचकर अपने भाई और बहनों को घर लौटने के लिए सार्वजनिक अपील करने लगे.

सुकमा निवासी 28 वर्षीय 8 लाख रुपए का पूर्व ईनामी नक्सली बादल ने अपनी बहन से पुलिस के रिकार्डेड वीडियो में कहा है,’ रक्षाबंधन के समय में अपनी बहन जोगी कर्दम से आह्वान कर रहा हूं की वह प्रशासन के सामने सरेंडर करे और  वापस आकर घर परिवार के साथ काम करें.’

बादल ने कहा’ मैंने भी नक्सली संगठन से 2010 में जुड़कर 9 साल तक काम किया हैं. लेकिन अब आत्मसमर्पण करके  प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा हूं.’

बादल ने आगे कहा, ‘सरकार ने अच्छा मकान दिया है, अच्छी नौकरी दी है. अभी अच्छी जिंदगी जी रहा हूं. पहले गलत रास्ते में जाकर भटक गया था और सिर्फ घूम रहा था. अब अच्छी जिंदगी जी रहा हूं.’

बादल के अनुसार उसकी बहन ने नक्सलवाद का दामन 2014 में थामा था. आज वह 2013 में कांग्रेस नेताओं की हत्या के लिए जिम्मेदार झीरम घाटी हत्याकांड और 2019 में भाजपा के पूर्व विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड का मास्टरमाइंड देवा की सुरक्षा में तैनात है. बादल 2011 में नक्सली बना था. इसी वर्ष मार्च में उसने अपनी पत्नी कोसी, पांच लाख की ईनामी नक्सली, के साथ सुकमा जिले के कुकनार थाने में सरेंडर कर दिया था.

ऐसी ही अपील 5 लाख रुपए की पूर्व ईनामी माओवादी दशमी ने भी अपने भाई से की है.

दशमी ने कहा,’मैं पिछले वर्ष पुलिस मुठभेड़ में अपने पति वर्गीस को खो चुकी हूं, लेकिन भाई लक्ष्मण को नहीं खोना चाहती.’

दशमी ने अपने भाई लक्ष्मण से गुहार लगाई, ‘रक्षाबंधन के अवसर पर मैं अपने भाई से अपील करती हूं कि वह सरेंडर कर नई जिंदगी की शुरुआत करे. मैंने भी जुलाई में सरेंडर किया था और अब काम मिल रहा है. मुझे घर भी मिलेगा. सरेंडर करने से हम नए जीवन की शुरुआत कर सकते हैं.’

पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि लक्ष्मण एक मिलिशिया कमांडर है और उसपर 5 लाख का इनाम है.

बस्तर क्षेत्र में माओवाद ऑपरेशंस के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी कहते हैं,’पूर्व नक्सलियों द्वारा ऐसी अपील करना उनके तरफ से एक सकारात्मक पहल है जिसका भविष्य में और अच्छा रिज़ल्ट मिलेगा. इससे माओवाद से जुड़े लोगों की सोच में भी एक अच्छा बदलाव आया है.

share & View comments