scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशबंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा, 'सीएम ममता बनर्जी से 'ममता' पाने के लिए काम कर रहे हैं

बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘सीएम ममता बनर्जी से ‘ममता’ पाने के लिए काम कर रहे हैं

कोलकाता में दिप्रिंट के 'ऑफ द कफ' कार्यक्रम में राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि कोई भी सरकार उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकती है, केवल संविधान और कानून ही कर सकता है.

Text Size:

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के जुलाई 2019 में पद संभालने के बाद से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके बीच शब्दों की लड़ाई जारी है लेकिन तीक्ष्णता के बावजूद धनखड़ ने जोर देकर कहा कि उन्होंने प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा में बनर्जी को शामिल करने के कई प्रयास किए हैं.

शनिवार को कोलकाता में दिप्रिंट के ‘ऑफ द कफ’ कार्यक्रम में एडिटर इन चीफ शेखर गुप्ता और राजनीतिक संपादक डीके सिंह के साथ एक बातचीत में धनखड़ ने कहा कि वह शब्दों की जंग शुरू करने वाले नहीं थे, लेकिन बनर्जी और उनके कैबिनेट सहयोगियों द्वारा उनसे बार-बार मिले ‘अपमान’ पर ‘प्रतिक्रिया व्यक्त’ की गई. उन्होंने कहा कि उन्हें ममता जी से ‘ममता (मातृ प्रेम)’ मिलने की उम्मीद है. ‘मैं अभी भी इस पर काम कर रहा हूं.’

धनखड़ ने कहा कि उन्हें लगता है कि प्रतिकूल रणनीति राजभवन और राज्य सरकार के बीच के मुद्दों को हल करने में काम नहीं करेगी, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है और किसी भी परिस्थिति में वह अपनी शपथ को धोखा नहीं देना चाहते हैं.


यह भी पढ़ेंः आलोचनाओं से बेफ़िक्री रखने वाले दिलीप घोष बंगाल की राजनीति में भाजपा के लिए कैसे साबित हुए टर्निंग प्वाइंट


‘अपमानित और प्रताड़ित किया’

राज्यपाल और सीएम के बीच के संघर्ष ने धनखड़ के कार्यालय की संवैधानिक शक्तियों के बारे में चर्चा की है. इस मुद्दे पर कई वरिष्ठ मंत्रियों ने भी जोर दिया है. बनर्जी ने कई मौकों पर दावा किया है कि ‘नामित व्यक्ति’, जिसका अर्थ राज्यपाल है, केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के ‘एजेंट’ हैं और उन्हें पश्चिम बंगाल की निर्वाचित तृणमूल कांग्रेस सरकार को ‘परेशान’ करने के लिए भेजा गया है.

हालांकि, धनखड़ ने इन आरोपों का खंडन किया. कहा कि मुद्दों का समाधान करने के लिए उन्हें लगभग हर पहल में नीचा दिखाया गया और अपमानित किया गया.

राज्यपाल की शक्तियों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों से हमारे पास राज्यपाल हैं, यह दर्शाता है कि राज्यपालों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं… मेरा कर्तव्य संविधान की रक्षा करना है. केवल भारतीय संविधान और कानून ही मुझे नियंत्रित कर सकता है और कोई नहीं. कोई भी मेरी स्क्रिप्ट नहीं लिखता है. उनकी स्क्रिप्ट दूसरों द्वारा लिखी जा सकती है.

धनखड़ ने यह भी दोहराया कि बनर्जी राज्यपाल से मिलने और उन्हें जानकारी देने के अपने संवैधानिक दायित्व का पालन नहीं कर रही थीं. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने मुझे कभी किसी चीज की जानकारी नहीं दी. इतनी सारी बातें हुईं. चक्रवात बुलबुल भी आया था, फिर यह विरोध प्रदर्शन चल रहा है. ट्रेनें और स्टेशन जलाए गए, पटरियों को उखाड़ा गया. लेकिन, मुझे इन सब के बारे में कभी जानकारी नहीं दी गई. मैंने उनसे अपनी सुविधानुसार चर्चा करने का अनुरोध किया, लेकिन वह भी अब तक नहीं हुआ.

‘मेरा कई बार अपमान किया गया है. जब मैं विधानसभा गया था तब गेट बंद थे और मैं बिना किसी सूचना के नहीं गया था. मैं एक विश्वविद्यालय में गया, लेकिन वीसी का कमरा बंद था. मैं दो जिलों में गया, जिलाधिकारी अनुपस्थित थे और उन्होंने मुझे पत्र लिखा कि उनको देखने के लिए अनुमोदन नहीं है.’

सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर धनखड़ ने कहा कि यह अब देश के कानून का एक हिस्सा है, जो संसद द्वारा विधिवत पारित किया गया है और इसके निवारण के लिए कोई भी मुद्दा न्यायपालिका के माध्यम से होना चाहिए न कि सड़क पर होने वाली बयानबाजी के माध्यम से.

उन्होंने कहा कि उनके लिए ‘सबसे दर्दनाक क्षण’ पीएम मोदी की पिछले सप्ताह राज्य की यात्रा के दौरान था. ‘एक समारोह में, सीएम उपस्थित थीं. उनके जाने के बाद उन्हें कुछ लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ा. वे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और पीएम से मिलने के उनके फैसले पर सवाल उठा रहे थे. उन्होंने कहा कि वह क्या कर सकती हैं और पीएम हवाई मार्ग से आए और एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने के लिए उन्होंने पानी के मार्ग का रास्ता अपनाया.’

उन्होंने कहा, ‘मैं राज्य का संवैधानिक प्रमुख हूं. एक सीएम एक पीएम के बारे में यह कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है- कि वह अगर सड़क के रास्ते जाते तो उन्हें अलग परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता था.’

धनखड़ ने बनर्जी के सरकारी फंड का इस्तेमाल करने और इस तरह के आंदोलन को प्रोत्साहित करने के फैसले पर भी सवाल उठाया. ‘सीएए के खिलाफ विज्ञापनों के लिए सरकारी धन का उपयोग किया जा रहा है. वे संसद द्वारा पारित कानून के विरुद्ध आंदोलन को प्रोत्साहित करने के लिए विज्ञापनों का उपयोग कर रही हैं. हालांकि, अदालत ने इसे रोक दिया. मैंने इस बारे में सीएम को लिखा, लेकिन कोई असर नहीं हुआ.’

महाभारत के समय के परमाणु हथियार

धनखड़ ने अपनी टिप्पणी महाभारत काल में अर्जुन के तीरों में परमाणु शक्ति होने के दावे पर विवाद के बारे में भी बताया.

उन्होंने कहा, ‘मैं आपको कुछ श्लोक भेजूंगा और ये हजारों साल पुराने हैं. यह मेरे द्वारा किया गया ऑफ-द-कफ़ अवलोकन नहीं था. यह एक सावधानीपूर्वक अध्ययन किया गया था.’


यह भी पढ़ेंः बंगाल पुलिस बोली- आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या के पीछे राजनीति नहीं, मामले ने लिया सांप्रदायिक रंग


‘धनखड़ ने कहा, एक बात आप मानेंगे, पौराणिक कथाओं में उड़नखटोला (हवाई वाहन) थे. इसे पौराणिक रूप से लें. मैं इस बात की आलोचना करता हूं . मैं फिर भी उन लोगों का सम्मान करता हूं. लेकिन फिर, मेरे लिए (उनके दृष्टिकोण के साथ) सहमत होना आवश्यक नहीं है. उन परमाणु हथियारों, जिनका उल्लेख पौराणिक कथाओं में है, हम हमारे पास मौजूद तकनीक में विश्वास करने से बहुत अलग हैं.’

उन्होंने कहा, ‘परमाणु’ इसका एक हिस्सा है ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, वास्तव में उस समय उपयोग की जाती थी. शेखर गुप्ता जी, संबंधित लोगों से इनपुट प्राप्त करने के बाद और खुले दिमाग के साथ हम निश्चित रूप से निष्कर्ष निकालेंगे कि मैंने जो संकेत दिया है वह ऐतिहासिक रूप से सही है … हम असहमत हो सकते हैं. केवल वे लोग नहीं हैं जो मेरे द्वारा बताए गए विचार प्रक्रिया में विश्वास करते हैं, ऐसे कई लोग हैं जो आपकी विचार प्रक्रिया में भी विश्वास करते हैं. इसलिए मैं कह रहा हूं कि पश्चिम बंगाल राज्य में, अनुग्रह से असहमत होना सीखें. यही स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments