नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा को आश्वासन दिया कि वह कैश-फॉर-क्वेरी मामले में लोकसभा से उनके निष्कासन के खिलाफ उनकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर गौर करेंगे.
मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मोइत्रा की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की.
सीजेआई ने वरिष्ठ वकील को आश्वासन दिया कि वह दिन में दोपहर के भोजन के समय इसके लिस्ट किए जाने के पहलू पर गौर करेंगे. सीजेआई ने कहा, “हो सकता है कि मामला दर्ज नहीं किया गया हो…अगर कोई ई-मेल भेजा गया हो तो मैं इसे तुरंत देखूंगा. कृपया इसे भेजें.”
इससे पहले दिन में, सिंघवी ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया, जिन्होंने उन्हें सीजेआई के समक्ष इसका जिक्र करने को कहा.
जस्टिस कौल ने कहा, “सीजेआई को फैसला करने दीजिए.. मैं इस स्तर पर इस पर फैसला नहीं कर सकता.” जस्टिस कौल 25 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं.
मोइत्रा ने लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. मोइत्रा को शुक्रवार को निचले सदन में पेश की गई ‘कैश फॉर क्वेरी’ में आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था.
सदन के अंदर चर्चा के दौरान बोलने की इजाजत नहीं मिलने पर मोइत्रा ने कहा कि एथिक्स कमेटी ने हर नियम तोड़ा है.
निष्कासित लोकसभा सांसद ने आरोप लगाया कि उन्हें आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है, जिसका ‘वजूद ही नहीं है.’
मोइत्रा ने आरोप लगाया कि निष्कर्ष पूरी तरह से दो प्राइवेट नागरिकों की लिखित गवाही पर आधारित हैं, जिनके वर्जन्स मैटेरियल की दृष्टि से एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं और उनसे जिरह करने का उनका अधिकार छीन लिया गया है.
उन्होंने कहा, “जिनमें से किसी से भी मुझे जिरह करने की अनुमति नहीं दी गई. दो प्राइवेट नागरिकों में से एक मेरा रंजिशजदा साथी है, जो गलत इरादे से समिति के सामने एक आम नागरिक के तौर पर पेश हुआ. एक दूसरे की विरोधाभासी दोनों गवाहियों का इस्तेमाल मुझे वहां फंसाने के लिए किया गया है.”
टीएमसी सांसद के ‘अनैतिक आचरण’ की जांच करने वाली आचार समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि मोइत्रा को लोकसभा से “निष्कासित किया जा सकता है” और केंद्र सरकार द्वारा “समयबद्ध” “गहन, कानूनी, संस्थागत जांच” की मांग की गई थी.
रिपोर्ट को पिछले महीने पैनल में 6:4 के बहुमत से अपनाया गया था. मोइत्रा के कैश-फॉर-क्वेरी मामले पर रिपोर्ट से पता चला कि उन्होंने 2019 से 2023 तक चार बार यूएई का दौरा किया, जबकि उनके लॉगिन को कई बार एक्सेस किया गया था.
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