scorecardresearch
Monday, 20 May, 2024
होमदेशमुंबई के फुटपाथ चैलेंज और ‘धारावी मॉडल’ के पीछे है एक ‘मोटी चमड़ी वाला’ सिविल इंजीनियर

मुंबई के फुटपाथ चैलेंज और ‘धारावी मॉडल’ के पीछे है एक ‘मोटी चमड़ी वाला’ सिविल इंजीनियर

‘धारावी मॉडल’ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब सुर्खियां बटोरी हैं और शायद इस मॉडल के जितनी ही चर्चा में है इसके पीछे का चेहरा- यानी सहायक नगर आयुक्त किरण दिघावकर.

Text Size:

मुंबई: मार्च में बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन (बीएमसी) के सहायक नगर आयुक्त किरण दिघवकर के पास कुछ खास काम नहीं था.

वह हाल में परिवारिक छुट्टियां मनाकर गोवा से लौटे थे, जिसके तुरंत बाद ही देशभर में कोविड-19 संकट से निपटने के लिए लॉकडाउन लागू हो गया था. उनके अधिकार क्षेत्र में एक भी मामला नहीं था– मुंबई के इस जी नार्थ प्रशासनिक वार्ड में दादर, माहिम और धारावी आदि शामिल हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘लॉकडाउन को लागू कराने और अपने वार्ड में कोविड का कोई भी संकेत मिलने की स्थिति के लिए तैयार होने के अलावा करने के लिए ज्यादा कुछ काम नहीं था. मैं अपने कार्यालय में बैठा रहता था और खाली समय में नेटफ्लिक्स पर फिल्में देखता था. इसी दौरान एक फिल्म कामयाब का एक संवाद मेरे जेहन में बैठ गया. इसमें मुख्य पात्र हमेशा कहता रहता है, ‘इंज्वाइंग लाइफ, और ऑप्शन क्या है.’

तभी 1 अप्रैल को सब कुछ बदल गया जब धारावी का पहला कोविड-पॉजिटिव केस दर्ज किया गया. दिघवकर को पता था कि झुग्गी बस्ती की स्थिति को देखते हुए अगले कुछ महीने चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं.

38 वर्षीय अधिकारी ने कहा, ‘जब मेरी टीम हरकत में आई, मैं उस संवाद के बारे में सोचता रहा और ऑप्शन क्या है. आगे हमें चुनौती का सामना करना होगा, इसलिए बेहतर है कि हम इसका आनंद लें.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

कुछ ही समय बाद प्रति वर्ग किलोमीटर 3.54 लाख आबादी के घनत्व वाली धारावी एक कोविड हॉटस्पॉट बन गई और मामले 2,000 का आंकड़ा छूने की ओर बढ़ने लगे. जून में आकर संख्या में गिरावट दर्ज की गई.

बुधवार तक धारावी में सिर्फ 99 सक्रिय मामले बचे, यही नहीं 1 अप्रैल के बाद से अब तक यहां कोविड पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 2,415 दर्ज की गई है. सफलता की इस कहानी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी ध्यान खींचा है.

‘धारावी मॉडल’ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब सुर्खियां बटोरी हैं और शायद इस मॉडल के जितनी ही चर्चा में है इसके पीछे का चेहरा- यानी सहायक नगर आयुक्त किरण दिघावकर.

धारावी मॉडल

धारावी में सामाजिक दूरी का पालन और लॉकडाउन लागू कराना लगभग असंभव था और इस सघन झुग्गी बस्ती के लगभग हर निवासी के हाई रिस्क वाला कांटैक्ट बनने का खतरा था.

सामाजिक दूरी का पालन कराने के बजाये दिघवकर के वार्ड के अधिकारियों ने बेहद अनुशासित तरह से कांटैक्ट ट्रेसिंग, व्यापक क्वारंटाइन सुविधा के इंतजाम, ज्यादा जोखिम वाली आबादी को आइसोलेशन में रखने, नियमित तौर पर स्वच्छता के लिए सामुदायिक शौचालयों की सफाई, उपचार के लिए निजी अस्पतालों में व्यवस्था करने और बड़े पैमाने पर टेस्ट की सुविधा पर ध्यान केंद्रित किया.

नतीजा यह हुआ कि धारावी में कोविड पॉजिटिव मामलों की औसत वृद्धि दर अप्रैल में 12 प्रतिशत से घटकर मई में 4.3 प्रतिशत हो गई जो जून में 0.83 प्रतिशत पर आ गई और अब जुलाई में मात्र 0.38 प्रतिशत हो गई है. बीएमसी के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में केस दोगुने होने की औसत दर 18 दिन थी जो अब बढ़कर 430 दिन हो गई है.


यह भी पढ़ें : सीएम उद्धव ठाकरे के साथ बहुत सी समस्याएं, लेकिन महाराष्ट्र के सहयोगियों ने कहा- मज़बूत है सरकार


किरण दिघावकर ने कहा, ‘हमें सख्त जान बनना था और बिना भावुक हुए काम करना था. मुझे याद है कि कैसे एक बार देर रात को किसी जरूरतमंद को तत्काल अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए फोन आया. करीब तीन घंटे बाद जब मैंने उन्हें यह बताने के लिए वापस फोन किया कि हमें एक बेड मिल गया है तभी पता चला है कि मरीज की मौत हो चुकी है. इतना सुनते ही मैं वेटिंग लिस्ट वाले अगले व्यक्ति के लिए इंतजाम करने लगा.’

मीडिया के पसंदीदा

यद्यपि, धारावी की कहानी ने किरण दिघावकर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई. स्थानीय स्तर पर अपनी योग्यता के कारण यह सिविल इंजीनियर हमेशा से ही मीडिया का पसंदीदा रहा है.

बीएमसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘वह जानते हैं कि मीडिया कितनी अहम भूमिका निभाता है, इसलिए कई अन्य अधिकारियों के विपरीत, वह पत्रकारों के संपर्क में रहते हैं.’ कोविड संकट के दौरान भी वह बीएमसी के एकमात्र अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने दैनिक आधार पर व्हाट्सएप पर पत्रकारों के साथ बिल्कुल पारदर्शी ढंग से आंकड़े साझा किए.’

उन्होंने कहा, ‘किरण दिघावकर बेतकल्लुफ, बातूनी और बेहद संवादपटु हैं. वह महफिल में छा जाने वाले लोगों में हैं.’

2019 में जी नॉर्थ वार्ड में तैनात होने से पहले किरण दिघावकर मुंबई के ए-वार्ड, जिसमें मुंबई के कुछ सबसे संभ्रांत इलाके जैसे कोलाबा, कफ परेड, चर्चगेट और सीएसटी शामिल हैं, के अलावा मलिन बस्तियों वाले शहर के एम ईस्ट वार्ड में एक सहायक नगर आयुक्त के रूप में काम कर चुके हैं.

महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड के एक पूर्व इंजीनियर के बेटे किरण दिघावकर नासिक जिले के सताना तालुका में पले-बढ़े हैं. उनकी नजरें भारतीय प्रशासनिक सेवा या भारतीय पुलिस सेवा पर टिकी थीं.

हालांकि, दो असफल प्रयासों के बाद, उन्होंने यह कोशिश छोड़ दी और आठ साल पहले एक इंजीनियर के रूप में बृहनमुंबई नगर निगम को ज्वाइन किया और कामकाज की शुरुआत नगर निकाय के सड़क विभाग से की. बाद में उन्होंने सहायक नगर आयुक्त के पद के लिए महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी और 2013 में परीक्षा क्लियर कर ली.

किरण दिघावकर ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘मेरे माता-पिता हमेशा मुझसे कहा करते थे कि तुम जहां भी जाओ, कम से कम तीन ऐसी परियोजनाओं पर काम करो जिसके लिए लोग तुम्हें याद रखें.’

उनकी ऐसी परियोजनाओं की सूची में 90 लाख रुपये के शौचालय से लेकर खूबसूरत फुटपाथ तक शामिल हैं, जिसमें से अधिकांश को स्थानीय मीडिया में अच्छी-खासी कवरेज मिली है.

कई सालों तक मुंबई की नगर निगम बीट कवर करने वाले एक पत्रकार ने कहा, ‘किरण दिघावकर जानते हैं कि कौन सी कहानियां बिकती हैं. इसलिए वह हमेशा सुर्खियों में रहते हैं.’

व्यू गैलरी से लेकर फुटपाथ चैलेंज तक

कोविड से निपटने में धारावी की सफलता की कहानी के अलावा, किरण दिघावकर का नाम मुंबई में आर्ट डेको आर्किटेक्चरल स्टाइल में आइकॉनिक मरीन ड्राइव पर बनाया गया 90 लाख रुपये का सबसे महंगा पब्लिक टॉयलेट और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के सामने एक फैंसी व्यूइंग गैलरी जैसे कुछ शोपीस प्रोजक्ट से भी जुड़ा रहा है.

सीएसटी के बाहर एक फुट ओवरब्रिज ढहने से कम से कम छह लोगों के मारे जाने की घटना ए वार्ड में किरण दिघावकर के कार्यकाल के दौरान ही हुई थी. किरण दिघावकर की टीम ने हाल में पुल का सौंदर्यीकरण कराया है, इसे पेंट किया गया और नए सिरे से टाइल्स लगाए गए और इसके ढांचे की क्षमता का आकलन नगर निकाय के पुल विभाग के माध्यम से कराया गय है. हालांकि, सहायक नगर आयुक्त को इस घटना को लेकर सीधे तौर पर कोई आलोचना नहीं झेलनी पड़ी थी.

अपनी वर्तमान पोस्टिंग में किरण दिघावकर ने एक फुटपाथ चैलेंज शुरू किया, जिसमें दादर और माहिम के निवासियों से व्हाट्सएप पर टूटे और गड्ढे वाले फुटपाथों की तस्वीरें बीएमसी को भेजने को कहा गया और उन्हें 24 घंटे के भीतर ठीक करने का वादा किया गया.

वर्तमान में, वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र और शिवसेना कैबिनेट में मंत्री आदित्य ठाकरे की पसंदीदा परियोजना ‘कल्चरल स्पाइन’ को पूरी करने के अंतिम चरण में जुटे हैं. इस परियोजना के तहत पूरे कैडल रोड पर एक चर्च, सिद्धिविनायक मंदिर, चैत्यभूमि और माहिम दरगाह को जोड़ने वाले मार्ग को पैदल यात्रियों के चलने लायक बनाया जाना है.

आदित्य ठाकरे के दोस्त, मनसे के दुश्मन

दिघवकर, मुंबई के स्वच्छ भारत मिशन नोडल अफसर भी हैं, तमाम हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट्स से जुड़े रहने के कारण सचिन तेंदुलकर और सलमान खान जैसी मुंबई की तमाम नामचीन हस्तियों के संपर्क में रहते हैं.

किरण दिघावकर ने कहा, ‘सचिन तेंदुलकर और मैंने एम ईस्ट वार्ड में एक कबड्डी मैदान स्थापित करने पर भी चर्चा की थी.’

वह आदित्य ठाकरे के भी करीबी हैं और उनके साथ मुंबई की कलात्मक कालाघोड़ा स्ट्रिप को सप्ताहांत में वाहनमुक्त करने, सीएसटी की व्यूइंग गैलरी और कैडेल रोड की ‘कल्चरल स्पाइन’ जैसी परियोजनाओं से जुड़े हैं. शिवसेना नेता के साथ उनकी निकटता ने उन्हें राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का कोपभाजन बना दिया है, खासकर किरण दिघावकर के दादर-माहिम क्षेत्रों की कमान संभालने के बाद, जो शिवसेना और मनसे का मुख्य सियासी अखाड़ा है.


यह भी पढ़ें : सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील और भीड़भाड़ वाला मालेगांव कैसे कोविड हॉटस्पाट से 75 मामलों तक आया


पिछले साल नवंबर में, किरण दिघावकर ने कुछ मनसे नेताओं के साथ झगड़ा भी किया था जब उन्होंने वो लालटेन हटा दी थीं जिसे पार्टी ने दिवाली के मौके पर त्योहार खत्म होने के कुछ दिनों बाद शिवाजी पार्क में लगाया था. इस मुद्दे पर किरण दिघावकर के साथ गाली-गलौच करने के आरोप में मनसे के पूर्व नगरसेवक संदीप देशपांडे को तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था.

देशपांडे ने कहा, ‘वह मनसे के पोस्टर फाड़ देते हैं, लेकिन स्थानीय शिवसेना के अवैध शेड के बारे में हमारी तरफ से शिकायत दर्ज कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. उन्हें एक बीएमसी अधिकारी की तरह व्यवहार करना चाहिए, न कि किसी राजनीतिक दल के एजेंट के तौर पर.’

मनसे नेता ने कहा, ‘अगर आप मुझसे पूछें, तो उनमें कुछ भी असाधारण नहीं है. उनमें कोई बहुत बड़ी खासियत नहीं बल्कि बहुत ही औसत किस्म के हैं.’

किरण दिघावकर ने ऐसी आलोचना को दरकिनार करते हुए कहा कि उन्होंने एमएनएस की तरफ से लगाई गई लालटेन हटा दी थीं क्योंकि दीपावली को गुजरे कुछ दिन बीत चुके थे और उनके आस-पास से गुजरने वाले लोगों के सिर पर गिरने का खतरा था.

उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी तरह की राजनीतिक होर्डिंग्स से नफरत है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, ‘ये शहर की शोभा बिगाड़ देती हैं, और हमें कानूनी तौर पर उन्हें हटाने का पूरा अधिकार है. मुझे किसी एक पार्टी का पक्ष क्यों लेना चाहिए. मैंने तो एक बार बीएमसी मुख्यालय में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के स्वागत वाला होर्डिंग भी हटवा दिया था तब वह मुख्यमंत्री नहीं थे.’

‘कभी कोविड टेस्ट नहीं कराया’

बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि किरण दिघावकर को अपनी टीम को धारावी में कोविड के खिलाफ जैसी तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी ले जाने की आदत है.

अधिकारी ने बताया, ‘वह केबिन में बैठने वाले अफसर नहीं हैं. वह जमीनी स्तर पर काम करते हैं और पिछले कुछ महीनों में कभी भी उन्हें पीपीई किट पहने नहीं देखा गया, जबकि वह शहर के सबसे ज्यादा जोखिम वाले इलाकों में से एक में काम कर रहे थे. वह अपनी टीम के सदस्यों के किए काम के वीडियो साझा करते रहते हैं. ये कभी उनके अपने नहीं होते.’

तमाम कारणों से किरण दिघावकर, जिनके 10 और पांच वर्ष की आयु के दो बच्चे हैं, ने पिछले दो महीनों में अपने तनाव और असुरक्षा की भावना को खुद पर हावी नहीं होने दिया. उन्होंने बताया, ‘अप्रैल के अंत और मई के पहले सप्ताह में मैं असुरक्षा की भावना से भरा था. लेकिन मैं इसे अपने चेहरे पर नहीं दिखा सकता था. अगर मैं अपना डर दिखाता तो मेरी टीम के सदस्यों का क्या हाल होता. इसीलिए, मैं उनका मनोबल बढ़ाने के लिए क्वारंटाइन सेंटर और अन्य जगहों पर उनके साथ ही रहा.’

किरण दिघावकर हर दिन घर पहुंचते हैं, तो सैनिटाइजेशन प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करते हैं और अपने बच्चों से दूरी बनाकर रखते हैं. लेकिन बताते हैं कि कई बार ऐसा होता है जब वह रात के ठंड महसूस होने पर अचानक उठ जाते हैं और जल्दी से थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर लेकर चेक करते हैं कि उनका तापमान ठीक है या नहीं.

दिवघकर ने बताया, ‘हमने अपनी टीम के 35 सदस्यों का कोविड टेस्ट कराया था जिसमें 21 पॉजिटिव निकले. लेकिन आज तक, मैंने खुद का टेस्ट नहीं कराया है. अगर मेरा टेस्ट पॉजिटिव आया तो काम करने के लिए 14 दिन का समय खो दूंगा.

उन्होंने कहा, ‘मुझे इसके कोई लक्षण नहीं हैं और मैं जानना भी नहीं चाहता.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लि करें )

share & View comments