नई दिल्ली: ईश निंदा के आरोपी 37 वर्षीय ईसाई व्यक्ति को लाहौर की एक अदालत ने मंगलवार को मौत की सजा सुनाई.
कपड़ा फैक्ट्री का काम करने वाले आसिफ परवेज को कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक संदेश भेजने का दोषी पाया गया था और इसी सिलसिले में वो 2013 से जेल में बंद थे. उन पर आपत्तिजनक संदेश भेजने का आरोप उन्ही की फैक्ट्री के सुपरवाईज़र ने लगाया था.
अदालत ने पहले पेरवेज़ को ‘अपने फोन का दुरुपयोग’ पैगम्बर मोहम्मद विरोधी संदेश भेजकर करने के लिए तीन साल की जेल की सजा सुनाई और 50,000 पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना लगाया. उसके बाद उसे फांसी से लटकाने का आदेश दे दिया.
क्या थे आरोप
शिकायतकर्ता मुहम्मद सईद खोखर ने परवेज पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने वाले संदेश भेजने का आरोप लगाया था. परवेज ने अपने बचाव में, खोखर पर उसे इस्लाम मे धर्मपरिवर्तन करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. परवेज़ ने दावा किया कि खोखर ने कारखाने में काम छोड़ने के बाद उसकी निंदा की और जब उसने धर्मपरिवर्तन करने से इनकार कर दिया, तो उस पर खोखर को अपमानजनक संदेश भेजने का आरोप लगाया दिया.
खोखर के वकील ने कहा कि परवेज़ ने खोखर पर आरोप लगाया था क्योंकि उनके पास कोई अन्य बचाव का तरीका नहीं बचा था. उन्होंने यह भी कहा कि उनके साथ अन्य ईसाई फैक्ट्री के मजदूर भी थे, लेकिन किसी ने भी खोखर पर उनका धर्म बदलवाने की कोशिश करने का आरोप नहीं लगाया.
पाकिस्तान के कड़े ईश निंदा कानून
ईश निंदा कानून सबसे पहले भारत में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया और 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान में इसे अपना लिया गया.
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इन कानूनों के अनुसार, एक धार्मिक सभा को परेशान करना, शमशानों में दखलंदाज़ी करना, धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना या जानबूझकर किसी स्थान या पूजा की वस्तु को नष्ट करने के कारण एक वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की जेल की सजा हो सकती है.
कानूनों में यह भी कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ईश निंदा करने वाले को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस (एनसीजेपी) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 1987 से लेकर 2018 तक कुल 776 मुस्लिम, 505 अहमदी, 229 ईसाई और 30 हिंदुओं पर ईश निंदा कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
जुलाई में, ताहिर नसीम नामक एक व्यक्ति, जिसपर ईश निंदा का आरोप था, की पेशावर में जिला अदालत में सुनवाई के दौरान एक न्यायाधीश के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग के अनुसार, वर्तमान में, ’ईश निंदा के अपराध के लिए पाकिस्तान की जेलों में कम से कम 80 लोग हैं, जिनमें से लगभग 40 लोगों को उम्रकैद या मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा है.’
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