नई दिल्ली: चीन से आने वाले परीक्षण किटों की डिलीवरी में देरी का सामना करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने दक्षिण कोरिया, जर्मनी और फ्रांस जैसे अन्य देशों के साथ-साथ भारत-निर्मित किट को मंजूरी दे दी है.
इन किटों की आपूर्ति करने के लिए गुजरात स्थित वोक्सटूर बायो, दिल्ली स्थित मोहरा डायग्नोस्टिक्स और सरकारी स्वामित्व वाली एचएलएल लाइफकेयर फर्म को स्वीकृत मिली हैं.
4 अप्रैल को भारत के शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान निकाय आईसीएमआर ने कोविड-19 मामलों (क्लस्टर) के साथ-साथ अधिक संख्या में प्रवास करने वाले क्षेत्रों में इन परीक्षणों के उपयोग को मंजूरी दी थी.
रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण पीड़ा (दर्द) आधारित परीक्षण हैं, जो कोरोनावायरस एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगा सकते हैं. वे त्वरित परिणाम प्रदान करते हैं और इसे प्रयोगशालाओं में करने की आवश्यकता नहीं होती है.
डिलेवरी में देरी
सरकार ने चीनी फर्मों को सात लाख किट का आर्डर दिया था, जिसकी खेप 8 अप्रैल तक पहुंचनी थी. आईसीएमआर ने कुल 45 लाख परीक्षण किट के लिए कहा है.
जीएसके वेलु चेन्नई स्थित ट्रिवट्रॉन हेल्थकेयर के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, जो चीनी निर्माताओं से किट आयात करते हैं ने कहा ‘कार्गो विमानों की कमी है, जिसके कारण किट बंदरगाहों पर फंसे हुए हैं. मूल रूप से, कंपनियों को लॉजिस्टिक के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है.’
‘हमने चीन में अपने सप्लायर से किट के परीक्षण के लिए आदेश दिए थे और वर्तमान में वे आदेशों को निष्पादित करने में देरी का सामना कर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि इस या अगले हफ्ते तक मिल जाएगा.’
चीन से डिलीवरी में देरी परीक्षण ड्राइव के स्थगन के जिम्मेदार है, जो इस समय महत्वपूर्ण है, जब भारत 10,000 कोविड-19 मामलों को पार कर गया है.
नई मंजूरियां
भारतीय फर्मों के अलावा आईसीएमआर और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने मंगलवार को कोरिया, जर्मनी और फ्रांस के नए परीक्षण किट निर्माताओं के साथ-साथ अधिक चीनी फर्मों को मंजूरी दी.
अनुमोदित निर्माताओं की 8 अप्रैल की सूची के अनुसार 33 आपूर्तिकर्ताओं को मंजूरी दी गई- जिसमें 31 चीनी फर्म, एक कोरियाई फर्म और एक इज़राइल से है.
14 अप्रैल की नवीनतम सूची में 51 निर्माताओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 40 चीनी, पांच कोरियाई, एक फ्रांसीसी, एक जर्मन, एक इजरायली और तीन भारतीय फर्म हैं.
रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण में क्या होता है?
रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण से पता चलता है कि कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्ति ने इसके लिए प्रतिरक्षा विकसित की है.
मानव शरीर दो प्रकार के एंटीबॉडी विकसित करता है- इम्युनोग्लोबुलिन एम (आईजीएम) और इम्युनोग्लोबुलिन जी (आईजीजी). ये एंटीबॉडी शरीर में एक महीने से लेकर एक साल तक या कुछ मामलों में लंबे समय तक बने रहते हैं.
आईजीएम एंटीबॉडी संक्रमण प्राप्त करने के पांच से सात दिनों के भीतर आता है, जबकि आईजीजी बाद में आता है. जब कोई व्यक्ति आईजीजी पॉजिटिव होता है, तो इसका मतलब है कि व्यक्ति संक्रमण के संपर्क में आ गया है और उनके शरीर ने प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित कर ली है.
आरटी-पीसीआर परीक्षण की तुलना में ये परीक्षण अपेक्षाकृत सस्ते हैं, जो वर्तमान में देश में कोविड-19 परीक्षण किया जा रहा है. प्राइवेट लैब में आरटीपीसीआर टेस्ट करवाने के लिए 4,500 रुपये का खर्च आता है. हालांकि, रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण लगभग 300 रुपये का है.
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