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Friday, 29 March, 2024
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यूक्रेन युद्ध के बीच, LAC गतिरोध पर बातचीत के लिए भारत दौरे पर जल्द आ सकते हैं चीनी विदेश मंत्री

वांग यी, जो CCP की स्टेट काउंसिल के भी एक नेता हैं, एक हफ्ते के लिए दक्षिण एशिया दौरे पर आने की तैयारी कर रहे हैं, और इसलिए वो एक दिन के लिए यहां आ सकते हैं. लेकिन बातचीत अभी एक समयपूर्व अवस्था में है.

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नई दिल्ली: शीर्ष-स्तर के दो सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया है, कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच, चीनी विदेश मंत्री वांग यी सीमा पर चल रहे गतिरोध पर चर्चा करने के लिए, जल्द ही भारत का दौरा कर सकते हैं.

पहले सूत्र ने बताया कि वांग यी, जो चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी की स्टेट काउंसिल के भी एक नेता हैं, एक हफ्ते के लिए दक्षिण एशिया दौरे पर आने की तैयारी कर रहे हैं, और इसलिए वो एक दिन के लिए आ सकते हैं.

लेकिन, सूत्र ने कहा, कि हालांकि वांग के इस क्षेत्र के संभावित दौरे को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन उनके भारत आने का विचार अभी भी एक ‘समयपूर्व’ अवस्था में है.

सूत्र ने आगे कहा कि अगर ये दौरा प्रतिफलित हो जाता है, तो उसका फोकस केवल सैनिक टुकड़ियों की वापसी की ‘तत्काल योजना’ पर होगा, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा के लद्दाख़ सेक्टर में, अप्रैल-मई 2020 से एक कड़वे सीमा गतिरोध में उलझे हुए हैं.

इस दौरे के रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, इस महीने के अंत में होने की संभावना है.

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दूसरे सूत्र ने कहा कि ये लड़ाई एक कारण है जिसकी वजह से, वांग अपने समकक्षी विदेश मंत्री एस जयशंकर, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से मुलाक़ात के लिए, भारत का फिज़िकल दौरा करेंगे.

सूत्र ने बताया कि चीन यूक्रेन संकट को लेकर, भारत के रुख़ पर बारीकी से नज़र रखे है. भारत की तरह, चीन ने भी लड़ाई के कूटनीतिक समाधान की मांग की है, जिसके नतीजे में इस वैश्विक संकट पर दोनों विरोधी- नई दिल्ली और बीजिंग- दरअसल ‘एक ही मत पर’ आ गए हैं.

वांग रूस-भारत-चीन (आरआईसी) की एक ‘तत्काल बैठक’ का भी प्रस्ताव दे सकते हैं, ताकि चर्चा की जा सके कि रूस की आर्थिक रूप से कैसे सहायता की जाए, चूंकि वो बहुत सारे आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जो उसकी अर्थव्यवस्था को पंगु बना सकते हैं.

मंगलवार को दि काठमांडू पोस्ट में छपी एक ख़बर में कहा गया, कि वांग के 26 मार्च को नेपाल दौरे पर आने की संभावना है.

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने अभी तक, दौरे का अधिकारिक रूप से ऐलान नहीं किया है, जिसकी बातचीत अभी शुरुआती अवस्था में है.

चीनी दूतावास के एक प्रवक्ता ने दिप्रिंट को बताया, कि दौरे की पुष्टि हो जाने के बाद, बीजिंग द्वारा उसकी तुरंत घोषणा की जाएगी.

2020 में एलएसी गतिरोध शुरू होने के बाद, जयशंकर और वांग कई मौक़ों पर एक दूसरे से मिले हैं, और उन्होंने कई बार फोन पर भी एक योजना को लागू करने के लिए बात की है, ताकि दोनों पक्ष पीछे हटने की दिशा में बढ़ सकें. लेकिन दोनों पक्ष अभी भी एलएसी पर भारी सैन्य तैनाती बनाए हुए हैं.


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जापानी PM का भारत दौरा, मोदी और ऑस्ट्रेलियाई PM के बीच भी होगी बैठक

इसी सप्ताह, जापानी प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक शीर्ष बैठक के लिए भारत दौरे पर आ रहे हैं, जहां दोनों पक्षों के बीच क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रुख़ पर चर्चा हो सकती है, जिसे लेकर टोक्यो में भी भारी चिंता बनी हुई है.

ये दौरा जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया, और अमेरिका के एक वर्चुअल क्वॉड शीर्ष सम्मेलन के बाद होगा, जिसमें यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजने के लिए, समूह के बीच एक तंत्र को सक्रिय करने पर बात की जाएगी. समूह में भारत अकेला देश है जिसने रूसी कार्रवाई की आलोचना नहीं की है, और मॉस्को के साथ सामान्य व्यवहार बनाए हुए है.

अगले हफ्ते मोदी अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षी, स्कॉट मॉरीसन के साथ भी एक वर्चुअल बैठक कर सकते हैं, चूंकि युद्ध के जारी रहने से व्यापार संबंधों और सप्लाई चेन नेटवर्क्स पर भारी दबाव पड़ रहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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