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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशबंगाल की खाड़ी में चीन ने कैसे समुद्र के अंदर खुफियागीरी बढ़ा दी है

बंगाल की खाड़ी में चीन ने कैसे समुद्र के अंदर खुफियागीरी बढ़ा दी है

उपग्रह चित्र बताते हैं कि बंगाल की खाड़ी में भारतीय क्षेत्र के करीब चीनी समुद्री जहाजों की आवाजाही बढ़ गई है. दिप्रिंट ने इन जहाजों की विशेषताओं का अध्ययन किया.

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नयी दिल्ली: चीन ने भारतीय समुद्री क्षेत्र (आईओआर), खासकर बंगाल की खाड़ी में समुद्र के अंदर अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (‘प्लान’) की पनडुब्बियों की गश्त पिछले दो साल में लगभग तीन गुना बढ़ गई है.
इस महीने के शुरू में भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में अंडमान-निकोबार द्वीपों के पास चीनी पोतों को सूचनाएं एकत्रित करते हुए पाया.

दरअसल, पनडुब्बियों की आवाजाही के लिए बहुत सारे आंकड़ों की जरूरत होती है- खासकर पानी के खारेपन और समुद्र की सतही लहरों के बारे में. भारत इस क्षेत्र में दशकों से ऑपरेट करता रहा है इसलिए उसे इन मामलों में स्वतः बढ़त हासिल है. दूर के समुद्रों (जिन्हें चीन ‘फार सीज़’ कहता है) के सर्वे से ढेरों आंकड़ें प्राप्त होते हैं जिनकी मदद से ‘प्लान’ समुद्री युद्धक्षेत्र के हालात की जानकारियों के बल पर अपने ओपरेशन्स चला सकता है.

करीब दो साल पहले ‘दिप्रिंट’ ने अरब सागर और ‘आईओआर’ में चीन और पाकिस्तान की साझा गतिविधियों के बारे में खबर दी थी. अब यहां हम बंगाल की खाड़ी में चीनी पोतों की ताज़ा गतिविधियों के ब्यौरे दे रहे हैं.

शियान 01

शियान 01 ‘स्माल वाटर-प्लेन एरिया ट्वीन हल’ (‘स्वाथ’) खोजी नौका है, जिसे चीन के ‘शिप साइंटिफिक रिसर्च सेंटर’ ने डिजाइन किया है और जिसे 2009 में कमीशन किया गया. यह 60 मीटर लंबा है, इसकी अधिकतम चौड़ाई 26 मीटर है. इसके ऊपर करीब दो दर्जन ऐसे यंत्र लगे हैं जो समुद्र का भौतिक सर्वे कर सकते हैं.

Source: Col. Vinayak Bhat (retd) | ThePrint
स्रोत : कर्नल विनायक भट(रिटायर्ड) | दिप्रिंट

इसका कुल वजन 3000 टन से ज्यादा है और यह 40 दिनों तक लगातार चल सकता है. यह 15 नॉट्स की गति से 8000 समुद्री मील तक जा सकता है. यह आधा समुद्र के अंदर रहता है और समुद्र की स्केल 6 की परिस्थितियों में काम कर सकता है.

इस पोत को अंडमान-निकोबार द्वीपों के पास देखा गया.

Source: Col. Vinayak Bhat (retd) | ThePrint
स्रोत : कर्नल विनायक भट(रिटायर्ड) | दिप्रिंट

झुकेझेन #872 (हाइयांग 20)

टाइप 636ए समुद्री सर्वे पोत हाइयांग 20 को चीन के ‘स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन’ (सीएसएससी) ने डिजाइन किया. यह इसके पहले बनाए गए हाइयांग 18 जैसा ही है, जिसे बाद में मशहूर वैज्ञानिक ली सिगुयांग का नाम दे दिया गया. यह ‘प्लान’ सर्वे पोत 130 मीटर लंबा है और इसकी अधिकतम चौड़ाई 17 मीटर है. यह 5000 टन वजनी है और इस पर 150 लोग रह सकते हैं.

Source: Col. Vinayak Bhat (retd) | ThePrint
स्रोत : कर्नल विनायक भट(रिटायर्ड) | दिप्रिंट

उपग्रह चित्र में कोलंबो (श्रीलंका) में जो समुद्री सर्वे पोत देखा गया वह झुकेझेन #872 था (जो पहले हाइयांग 20 था). नौसेना का यह पोत ‘प्लान’ के समुद्री सर्वे डिवीजन का है. इसे असैनिक पोत बताने के लिए अभी भी इसका पुराना नाम हाइयांग 20 ही चलाया जा रहा है. लेकिन इसके पिछले भाग में लगे हवाई मार करने वाली दो तोपें (जिन्हें उपग्रह चित्र में दर्शाया गया है) साफ बताते हैं कि यह असैनिक पोत नहीं है.

Source: Col. Vinayak Bhat (retd) | ThePrint
स्रोत : कर्नल विनायक भट(रिटायर्ड) | दिप्रिंट

यह पोत जब शुरू में भारतीय समुद्री क्षेत्र में आया था तब इस पर ‘प्लान’ के नौसैनिक कमांडो भी देखे गए थे. व्यापक समुद्री सर्वे करने वाले इस पोत पर 20 मेजरमेंट सिस्टम लगी हैं और पनडुब्बी वाली जिओमोर्फ़ोलॉजी, सरफेस जिओलॉजिकल सर्वे, समुद्री गुरुत्वाकर्षण, क्षेत्र का तापमान, खारापन, सघनता, ज्वार-भाटा आदि को नापने के यंत्र लगे हैं.

झ्यांग्यांहोंग 3 और 6

झ्यांग्यांहोंग 6 अपने बंदरगाह झाऊशान से भारतीय समुद्र क्षेत्र के लिए 27 नवंबर 2019 को रवाना हुआ. उसे अंडमान-निकोबार द्वीपों के पास भारतीय क्षेत्र के काफी करीब देखा गया.

Source: Col. Vinayak Bhat (retd) | ThePrint
स्रोत : कर्नल विनायक भट(रिटायर्ड) | दिप्रिंट

बताया जाता है कि 11 दिसंबर को इस पोत ने अपने ऊपर 2 मीटर लंबे स्वचालित, मानवरहित वाहन (एयूवी) ‘हाइयी’ तैनात किए, जो समुद्र जल का तापमान, खारापन, मैलापन, क्लोरोफिल, और उसमें ऑक्सीजन की मात्रा नापता है. उन्हें उन एजेंसियों को चीनी रक्षा मंत्रालय की इस लंबी चेतावनी के बाद तैनात किया गया, जो ‘अंतरराष्ट्रीय कानून और समुद्रतटीय देश के कानूनों की शर्तों को पूरा करने के लिए’ विदेशी समुद्र क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध करती हैं.

दूसरे सर्वे पोत झ्यांग्यांहोंग 3 को, जिसका मालिक चीन का ‘थर्ड इंस्टीच्यूट ऑफ ओशनोग्राफी’ है, भी उसी दिन भारतीय समुद्र क्षेत्र में देखा गया. इस पोत को भी उपग्रह चित्र में यंत्रों से लैस होते देखा जा सकता है.

Source: Col. Vinayak Bhat (retd) | ThePrint
स्रोत : कर्नल विनायक भट(रिटायर्ड) | दिप्रिंट

झ्यांग्यांहोंग 10

यह भी एक सर्वे पोत है, जिसका मालिक ‘सेकंड इंस्टीच्यूट ऑफ ओशनोग्राफी’ है. यह 99 मीटर लंबा है और इसकी अधिकतम चौड़ाई 17 मीटर है. करीब 5000 टन के इस पोत ने जुलाई 2018 में हिंद महासागर में 250 दिनों के अनुसंधान अभियान चलाया था.

Source: Col. Vinayak Bhat (retd) | ThePrint
स्रोत : कर्नल विनायक भट(रिटायर्ड) | दिप्रिंट

दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में इस अभियान के दौरान इस पोत ने क्वियानलोंग 2 नाम का ‘एयूवी’ तैनात किया था. अमेरिकी नौसेना की रिपोर्ट के मुताबिक, इस एयूवी ने 257 घंटे के नौ गोते लगाए थे.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(लेखक ने भारतीय सेना में उपग्रह खुफिया सूचनाओं पर काम किया है, और वे खास तौर पर सिर्फ दिप्रिंट के लिए लिखते हैं.)

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