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सोमवार, 30 जून, 2025
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ में अत्याधुनिक आयुर्वेदिक प्रोसेसिंग सुविधा का किया शुभारंभ

यह सुविधा छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा विकसित की गई है, जिसमें स्प्रेयर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी में स्थापित हर्बल एक्सट्रैक्शन यूनिट भी शामिल है.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ की जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करते हुए राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दुर्ग ज़िले के पाटन विधानसभा क्षेत्र के जामगांव (एम) में अत्याधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रोसेसिंग सुविधा और केंद्रीय गोदाम परिसर का उद्घाटन किया.

यह सुविधा छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा विकसित की गई है, जिसमें स्प्रेयर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी में स्थापित हर्बल एक्सट्रैक्शन यूनिट भी शामिल है.

मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर कहा, “हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वादों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं. बीते 18 महीनों में हमने राज्य के विकास को एक नई दिशा दी है. तीन करोड़ छत्तीसगढ़वासियों से किए गए हर वादे को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है.”

मुख्यमंत्री ने बताया कि इन तीन हर्बल इकाइयों से करीब 2,000 लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिलेगा.

उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत हिस्सा जंगलों से आच्छादित है. यह परियोजना हमारे लिए सौभाग्य भी है और जिम्मेदारी भी. वनों से एकत्रित कच्चा माल आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्माण में इस्तेमाल होगा और इसका सीधा लाभ जनजातीय समुदायों को मिलेगा.”

यह इकाई मध्य भारत की सबसे बड़ी हर्बल प्रोसेसिंग यूनिट के रूप में स्थापित हुई है, जो छत्तीसगढ़ को आयुर्वेद के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में पहचान दिलाएगी.

उन्होंने तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 4,500 से बढ़ाकर 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा करने की बात दोहराते हुए बताया कि इससे 13 लाख संग्रहक परिवारों को लाभ हो रहा है.

साथ ही ‘चरण पादुका योजना’ को फिर से शुरू किया गया है, जिसके तहत जंगल में काम करने वालों को सुरक्षा जूते दिए जा रहे हैं. कार्यक्रम में पांच महिलाओं को प्रतीकस्वरूप जूते वितरित किए गए.

मुख्यमंत्री ने नागरिकों से ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में भाग लेने की अपील करते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपनी मां और प्रकृति को समर्पित करते हुए कम से कम एक पौधा ज़रूर लगाना चाहिए.

वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि छत्तीसगढ़ की 44.1% वनभूमि लघु वनोपज का भंडार है. यह प्रोसेसिंग यूनिट मध्य भारत की सबसे बड़ी इकाई है जो वनों से उत्पादों के संग्रहण, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की प्रक्रिया को व्यवस्थित करेगी. उन्होंने कहा कि राज्य में 67 प्रकार की लघु वनोपज एकत्र की जाती हैं, जिनसे 13.4 लाख से अधिक परिवारों को लाभ होता है.

यह पहल प्रधानमंत्री मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो स्थानीय मूल्य संवर्धन, पर्यावरण संरक्षण और समावेशी विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.

इस दौरान सांसद विजय बघेल; विधायक डोमन लाल कोर्सेवाड़ा, संपत लाल अग्रवाल, ललित चंद्राकर, गजेंद्र यादव और रिकेश सेन; पूर्व मंत्री रामशिला साहू; पूर्व विधायक दयाराम साहू; आदिवासी स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधीय पौधों के बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम; वन विकास निगम के अध्यक्ष रामसेवक पैकरा; पीसीसीएफ वी. श्रीनिवास राव; लघु वनोपज संघ के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार साहू; और कार्यकारी अध्यक्ष एस. मणिकासन मौजूद थे.

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